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अनंत की गिरफ्तारी में नीतीश का मैसेज और लालू का प्रभाव

    • मृगांक शेखर
    • Updated: 26 जून, 2015 03:50 PM
  • 26 जून, 2015 03:50 PM
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पुलिस के चेहरे पर भी दहशत नजर आती है. लेकिन ऐसा विरले ही देखने को मिलता है. ऐसा नजारा अनंत सिंह की गिरफ्तारी के दौरान दिखा.

पुलिस के चेहरे पर भी दहशत नजर आती है. लेकिन ऐसा विरले ही देखने को मिलता है. बताते हैं कि ऐसा नजारा अनंत सिंह की गिरफ्तारी के दौरान दिखा.

हो भी क्यों न? अब तक अनंत को छूने की किसी पुलिसवाले की हिम्मत तक न होती थी. जिस लाव लश्कर के साथ पुलिस अनंत की गिरफ्तारी के लिए पहुंची थी, ऐसा सिर्फ नक्सल ऑपरेशन में ही देखने को मिलता है.

मोकामा से विधायक अनंत सिंह अपने समर्थकों में छोटे सरकार के नाम से जाने जाते हैं. माना जाता है कि वहां उनकी समानांतर सत्ता चलती है.

तो क्या अनंत सिंह की गिरफ्तारी एक सामान्य पुलिस कार्रवाई नहीं है? क्या ये पुलिस के कंधे पर बंदूक रख कर की गई राजनीतिक कार्रवाई है?

लालू प्रसाद का प्रभाव

अनंत सिंह पर चार युवकों को अगवा कर एक की हत्या में साजिश का आरोप है. जिस शख्स की हत्या हुई है उसका नाम पुटुस यादव है.

इस मामले में लालू का कहना है कि अनंत का लंबा आपराधिक इतिहास रहा है और पुटुस को उसके घर में घुसकर एके-47 के बल पर अगवा किया गया.

लालू ने कहा कि कई लोगों को संदेह था कि अनंत पर कार्रवाई नहीं होगी, लेकिन नीतीश सरकार ने साबित कर दिया कि बिहार में कानून का राज है.

बिहार में 16 फीसदी यादव वोट है. बताते हैं कि यादव तबका नीतीश से खासा खफा रहा है. यादवों का आरोप है कि नीतीश ने उनके हितों की बात तो दूर उनके साथ ज्यादती की है. सीएम उम्मीदवार के तौर पर नीतीश के नाम पर हामी न भरने के पीछे लालू के संकोच की वजह भी यही मानी जाती रही है. लालू डरते रहे हैं कि उनका यादव वोट नीतीश के उम्मीदवारों को न मिल कर किसी और के खाते में चला जाएगा.

पटना के राजनीतिक गलियारों में चर्चा रही कि अनंत की गिरफ्तारी में लालू प्रसाद के दबाव के चलते हुई है. बाद में लालू ने इसे साफ भी कर दिया, "हां वह मेरा ही दबाव था जिसके चलते उसकी गिरफ्तारी हुई. मैं क्या करता? आप क्या करेंगे यदि कोई आपके बच्चे को खींच ले और उसे ले जाए या कोई किसी पत्रकार पर हमला करे? ऐसे लोग सामाजिक सौहार्द...

पुलिस के चेहरे पर भी दहशत नजर आती है. लेकिन ऐसा विरले ही देखने को मिलता है. बताते हैं कि ऐसा नजारा अनंत सिंह की गिरफ्तारी के दौरान दिखा.

हो भी क्यों न? अब तक अनंत को छूने की किसी पुलिसवाले की हिम्मत तक न होती थी. जिस लाव लश्कर के साथ पुलिस अनंत की गिरफ्तारी के लिए पहुंची थी, ऐसा सिर्फ नक्सल ऑपरेशन में ही देखने को मिलता है.

मोकामा से विधायक अनंत सिंह अपने समर्थकों में छोटे सरकार के नाम से जाने जाते हैं. माना जाता है कि वहां उनकी समानांतर सत्ता चलती है.

तो क्या अनंत सिंह की गिरफ्तारी एक सामान्य पुलिस कार्रवाई नहीं है? क्या ये पुलिस के कंधे पर बंदूक रख कर की गई राजनीतिक कार्रवाई है?

लालू प्रसाद का प्रभाव

अनंत सिंह पर चार युवकों को अगवा कर एक की हत्या में साजिश का आरोप है. जिस शख्स की हत्या हुई है उसका नाम पुटुस यादव है.

इस मामले में लालू का कहना है कि अनंत का लंबा आपराधिक इतिहास रहा है और पुटुस को उसके घर में घुसकर एके-47 के बल पर अगवा किया गया.

लालू ने कहा कि कई लोगों को संदेह था कि अनंत पर कार्रवाई नहीं होगी, लेकिन नीतीश सरकार ने साबित कर दिया कि बिहार में कानून का राज है.

बिहार में 16 फीसदी यादव वोट है. बताते हैं कि यादव तबका नीतीश से खासा खफा रहा है. यादवों का आरोप है कि नीतीश ने उनके हितों की बात तो दूर उनके साथ ज्यादती की है. सीएम उम्मीदवार के तौर पर नीतीश के नाम पर हामी न भरने के पीछे लालू के संकोच की वजह भी यही मानी जाती रही है. लालू डरते रहे हैं कि उनका यादव वोट नीतीश के उम्मीदवारों को न मिल कर किसी और के खाते में चला जाएगा.

पटना के राजनीतिक गलियारों में चर्चा रही कि अनंत की गिरफ्तारी में लालू प्रसाद के दबाव के चलते हुई है. बाद में लालू ने इसे साफ भी कर दिया, "हां वह मेरा ही दबाव था जिसके चलते उसकी गिरफ्तारी हुई. मैं क्या करता? आप क्या करेंगे यदि कोई आपके बच्चे को खींच ले और उसे ले जाए या कोई किसी पत्रकार पर हमला करे? ऐसे लोग सामाजिक सौहार्द नष्ट कर देते हैं."

मैसेज देने की कोशिश

आरजेडी अध्यक्ष लालू प्रसाद के साथ हाथ मिलाने के बाद से नीतीश कुमार लगातार निशाने पर रहे हैं. विपक्ष का आरोप रहा है कि लालू-नीतीश गठबंधन अगर सत्ता में आया तो बिहार में जंगलराज पार्ट - 2 देखने को मिलेगा. विपक्ष के लिए लोगों को ये बात समझाने में इसलिए भी आसानी होती है क्योंकि जंगलराज के खात्मे के नाम पर ही नीतीश कुमार सत्ता में आए थे.

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा है कि मेरे रहते हुए बिहार में जंगलराज नहीं आएगा. नीतीश का कहना है, "मैंने बिहार में कानून का राज कायम किया है और यह कायम रहेगा." यानी अनंत सिंह को जेल भेज कर नीतीश कुमार ने लोगों में यही मैसेज देने की कोशिश की है.

मांझी का हमला

पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी का आरोप है कि अनंत सिंह को नीतीश कुमार हमेशा बचाते रहे हैं. मांझी का कहना है कि अनंत ने मुख्यमंत्री रहते उन्हें हत्या तक की धमकी दी थी.

अनंत की गिरफ्तारी पर बीजेपी नेता सैयद शाहनवाज हुसैन ने कहा कि बिहार में एक बार फिर जंगल राज स्थापित हो गया है. शाहनवाज का कहना है कि अनंत प्रकरण में मुख्यमंत्री को जवाब देना चाहिए, क्योंकि उनके पास गृह मंत्रालय भी है.

नीतीश कुमार और अनंत सिंह [फाइल फोटो]

अनंत सिंह की गिरफ्तारी को लेकर उठ रहे सवालों पर नीतीश कुमार का कहना है, "हम न किसी को फंसाते हैं, न ही किसी को बचाते हैं. कानून सबके लिए बराबर है."

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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