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छोटे से लक्षद्वीप से अमित शाह ने साधा बड़ा लक्ष्य

    • श्रीधर राव
    • Updated: 20 मई, 2017 05:26 PM
  • 20 मई, 2017 05:26 PM
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अगर बीजेपी अध्यक्ष खुद बूथ स्तर पर पहुंचकर सिर्फ एक लोकसभा सीट वाले इस क्रेंदशासित प्रदेश में अकेले मेहनत कर रहे हैं तो जाहिर है लक्षद्वीप भले छोटा हो लेकिन उनका लक्ष्य बहुत बड़ा है.

ये बात राजनीति के पंडितों को जरूर हैरान और परेशान कर रही होगी कि आखिर मौजूदा दौर की देश की सबसे बड़ी पार्टी बीजेपी का राष्ट्रीय अध्यक्ष, सत्ताधारी दल की पार्टी का अध्यक्ष, सबसे हाईप्रोफाइल अध्यक्ष अमित शाह, देश के सबसे छोटे क्रेंद शासित प्रदेश लक्षद्वीप में आखिर तीन दिन से क्या कर रहे हैं?

अमित शाह 16, 17 और 18 मई को लक्षद्वीप में रहे. द्वार-द्वार जाकर उन्होंने लोगों से मुलाकात की. वो बूथ स्तर पर पहुंचे और पार्टी के कार्यकर्ताओं से मुलाकात की. लोगों से व्यक्तिगत तौर पर मिले. उनकी सभ्यता और संस्कृति में खुद को ढाला और उनके रंग में मगन दिखे अमित शाह.

घर-घर जाकर लोगों से मिले अमित शाह

अमित शाह स्थानीय मछुआरों के घर गये. 42 साल के अब्दुल खादेर के घर उन्होंने भोजन किया, वो एक अन्य मछुआरे अब्दुल रहमान के घऱ भी गये. बीजेपी नेता छिहत्तर साल की वरिष्ठ लोक गायिका पू से भी मिले. गायिका वृद्धावस्था की बीमारियों के चलते बिस्तर पर हैं, शाह ने गायिका की बेटी से उनकी सेहत के बारे में बात की.

मछुआरों के घर नाश्त भी किया

इतने बड़े कद के राजनीतिक व्यक्ति का आत्मीयता से भरा ये आचरण मौजूदा दौर में विरला ही देखने को मिलता है. ये ठीक है कि इसके पीछे बीजेपी नेता की सोच सियासी ही रही होगी लेकिन स्थानीय लोगों के लिए उम्मीदों से भरी थी. स्थानीय उम्मीद थी चिकित्सकीय आवश्यकताओं की, उम्मीद शैक्षणिक ज़रूरतों की. क्योंकि यहां के लोग अपनी इन मूलभूत ज़रूरतों के लिए अब तक कोच्चि पर निर्भर हैं.

लेकिन शाह ने अपनी यात्रा में यहां के...

ये बात राजनीति के पंडितों को जरूर हैरान और परेशान कर रही होगी कि आखिर मौजूदा दौर की देश की सबसे बड़ी पार्टी बीजेपी का राष्ट्रीय अध्यक्ष, सत्ताधारी दल की पार्टी का अध्यक्ष, सबसे हाईप्रोफाइल अध्यक्ष अमित शाह, देश के सबसे छोटे क्रेंद शासित प्रदेश लक्षद्वीप में आखिर तीन दिन से क्या कर रहे हैं?

अमित शाह 16, 17 और 18 मई को लक्षद्वीप में रहे. द्वार-द्वार जाकर उन्होंने लोगों से मुलाकात की. वो बूथ स्तर पर पहुंचे और पार्टी के कार्यकर्ताओं से मुलाकात की. लोगों से व्यक्तिगत तौर पर मिले. उनकी सभ्यता और संस्कृति में खुद को ढाला और उनके रंग में मगन दिखे अमित शाह.

घर-घर जाकर लोगों से मिले अमित शाह

अमित शाह स्थानीय मछुआरों के घर गये. 42 साल के अब्दुल खादेर के घर उन्होंने भोजन किया, वो एक अन्य मछुआरे अब्दुल रहमान के घऱ भी गये. बीजेपी नेता छिहत्तर साल की वरिष्ठ लोक गायिका पू से भी मिले. गायिका वृद्धावस्था की बीमारियों के चलते बिस्तर पर हैं, शाह ने गायिका की बेटी से उनकी सेहत के बारे में बात की.

मछुआरों के घर नाश्त भी किया

इतने बड़े कद के राजनीतिक व्यक्ति का आत्मीयता से भरा ये आचरण मौजूदा दौर में विरला ही देखने को मिलता है. ये ठीक है कि इसके पीछे बीजेपी नेता की सोच सियासी ही रही होगी लेकिन स्थानीय लोगों के लिए उम्मीदों से भरी थी. स्थानीय उम्मीद थी चिकित्सकीय आवश्यकताओं की, उम्मीद शैक्षणिक ज़रूरतों की. क्योंकि यहां के लोग अपनी इन मूलभूत ज़रूरतों के लिए अब तक कोच्चि पर निर्भर हैं.

लेकिन शाह ने अपनी यात्रा में यहां के लोगों को उम्मीद से कई गुना ज्यादा देने का भरोसा दे दिया. उन्होंने वादा किया कि वो नवंबर के महीने में प्रधानमंत्री को यहां लेकर आएंगे और कोशिश करेंगे के वो पूरे दिन यहां रहें. उन्होंने लक्षद्वीप की राजधानी को जल्द से जल्द स्मार्ट सिटी बदलने का वादा किया, इसके लिए हर वो चीज करना चाहते हैं जो यहां के लोगों के लिए बरसों से दूर की कौड़ी रही. मसलन कोल्ड स्टोरेज सुविधा, पूरे द्वीप पर पीने के पानी की सुविधा, फोर-जी कनेक्टिविटी, मालवाहक जहाज उपलब्ध कराने का भरोसा भी उन्होंने दिया. यहीं नहीं, उन्होंने विकास के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करने की भी बात की.

  

है ना सोचनेवाली बात है कि जिस केंद्र शासित प्रदेश में दस बसे हुए और सत्रह निर्जन द्वीप हैं. कोई 60 से 70 हजार की आबादी होगी लक्षद्वीप की. सिर्फ एक लोकसभा सीट है, वो भी रिजर्व. दो हजार चौदह के आम चुनाव तक यहां हमेशा से कांग्रेस ही जीतती रही सिर्फ एक बार यहां से जनतादल के प्रत्याशी को सफलता मिली है. वो भी ये एक मुस्लिम बहुल इलाका है. वहां मोदी के इस सिपहसालार की ऐसी कड़ी मेहनत. जाहिर है शाह रेत से तेल निकाल कर ही दम लेंगे.

अब अगर बीजेपी अध्यक्ष खुद बूथ स्तर पर पहुंचकर सिर्फ एक लोकसभा सीट वाले इस क्रेंदशासित प्रदेश में अकेले मेहनत कर रहे हैं तो जाहिर है लक्षद्वीप भले छोटा हो लेकिन उनका लक्ष्य बहुत बड़ा है और वो लक्ष्य है लोकसभा चुनाव 2019. वो लक्ष्य है केरल, दक्षिण के इस राज्य में घुसना है तो कहीं पर पैर जमाना ही होगा. लक्ष्य है मुस्लिम मतदाता, इन्हें भाजपा से जोड़ना है तो कहीं से तो ठोस शुरूआत करनी होगी. लक्ष्य है आम आदमी, संदेश ये जाना चाहिए कि राज्य बड़ा हो या छोटा बीजेपी एक-एक व्यक्ति की चिंता कर रही है. लक्ष्य है एक-एक सीट पर बीजेपी को स्थापित करना. ताकि देश का कोई भी कोना बीजेपी की जद में बाहर ना जाने पाये.  

बीजेपी प्रेसीडेंट अच्छे से जानते हैं कि जब दो हजार चौदह के मुकाबले दो हजार उन्नीस में उनके मतदाताओं की संख्या बढ़ जाएगी, उनके सांसदों की संख्या बढ़ जाएगी तो शाह और मोदी की ताकत भी कई गुना बढ़ जाएगी. और यही होगा इस सरकार की सफलता का सबसे बड़ा प्रमाण. अपने टिवट् पर अमित शाह ये बात उद्घाटित भी करते हैं कि अलग-अलग राज्य, अलग-अलग लोग, अलग-अलग संस्कृतियां लेकिन बीजेपी के लिए वही जोश, वही सहयोग.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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