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यूपी चुनाव हार के बाद अखिलेश का ऐटिट्यूड कुछ कहता है...

    • कुमार अभिषेक
    • Updated: 12 मार्च, 2017 02:22 PM
  • 12 मार्च, 2017 02:22 PM
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यूपी चुनाव हारने के बाद हुई प्रेस कॉन्फ्रेंस में अखिलेश की मुस्कुराहट के पीछे का दर्द भी दिखता रहा. विकास के मुद्दे पर बोलते हुए कहा- मैंने बेहतर काम किया लेकिन अब लगता है बहकाने से भी वोट मिलता है.

नतीजों से पर्दा हट चुका था, अखिलेश हार चुके थे और अब इस्तीफे की औपचारिकता निभानी थी, पत्रकार लगातार अखिलेश की उस आखिरी प्रेस कॉन्फ्रेंस का इंतजार कर रहे थे जो उन्हें बतौर सीएम करना था. ये वक्त भी आया जब नजीते के साफ होने के बाद अखिलेश पहुंचते हैं. शाम के ठीक 5 बजे थे और मुख्यमंत्री के सरकारी आवास पांच कालिदास मार्ग के भीतर के चिरपरिचित हॉल में पत्रकारों की गहमागहमी भी अपने चरम पर थी, ऐसे में अचानक ही हलचल बढती है और अपने सुरक्षाकर्मियों को सामने से हटने का निर्देश देते अखिलेश वैसी ही मुस्कुराहट लिए हॉल में हाजिर होते हैं जैसे अबतक प्रेस के सामने आते रहे हैं. सफेद कुर्ता-पायजमा और काली बंडी में अखिलेश ने उसी मुस्कुराहट के साथ सभी पत्रकारों का अभिवादन किया और बिना किसी लाग लपेट के अपनी हार उसी संयत तरीके से स्वीकार कर ली जिस संयमित व्यवहार के लिए वो जाने जाते हैं.

ज्यादातर पत्रकार अखिलेश के ऐसे हाव-भाव देखकर दंग थे क्योंकि ऐसी हार के बाद मुस्कुराहट की कल्पना किसी ने नहीं की थी, अखिलेश यादव के साथ हमेशा हमसाए की तरह साथ रहने वाले राजेन्द्र चौधरी और प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम भी अगल-बगल बैठे थे, इन दोनों के चेहरे से साफ था कि अब सब कुछ खत्म हो चुका है, लेकिन अखिलेश अपना गम छुपा गए. वहीं हंसी वही ठिठोली अखिलेश के प्रेस कॉन्फ्रेंस में मौजूद थी जिसके लिए वो जाने जाते हैं.

शुरूआत बीजेपी को मुबारकबाद देने से हुई, जब अखिलेश ने कहा कि जनता के फैसले को हम खुशी के साथ स्वीकार करते हैं और उम्मीद करते हैं कि आने वाली सरकार हमारी सरकार से बेहतर काम करेगी. अखिलेश की बात में सम्मान था लेकिन थोड़ा तंज भी जो आगे और तीखा होता गया. अखिलेश अपनी मुसकुराहट के उस दर्द को भी बयां करते गए जो हार के साथ उन्होंने महसूस की होगी.

पूरे प्रेस कॉन्फ्रेंस में अखिलेश की...

नतीजों से पर्दा हट चुका था, अखिलेश हार चुके थे और अब इस्तीफे की औपचारिकता निभानी थी, पत्रकार लगातार अखिलेश की उस आखिरी प्रेस कॉन्फ्रेंस का इंतजार कर रहे थे जो उन्हें बतौर सीएम करना था. ये वक्त भी आया जब नजीते के साफ होने के बाद अखिलेश पहुंचते हैं. शाम के ठीक 5 बजे थे और मुख्यमंत्री के सरकारी आवास पांच कालिदास मार्ग के भीतर के चिरपरिचित हॉल में पत्रकारों की गहमागहमी भी अपने चरम पर थी, ऐसे में अचानक ही हलचल बढती है और अपने सुरक्षाकर्मियों को सामने से हटने का निर्देश देते अखिलेश वैसी ही मुस्कुराहट लिए हॉल में हाजिर होते हैं जैसे अबतक प्रेस के सामने आते रहे हैं. सफेद कुर्ता-पायजमा और काली बंडी में अखिलेश ने उसी मुस्कुराहट के साथ सभी पत्रकारों का अभिवादन किया और बिना किसी लाग लपेट के अपनी हार उसी संयत तरीके से स्वीकार कर ली जिस संयमित व्यवहार के लिए वो जाने जाते हैं.

ज्यादातर पत्रकार अखिलेश के ऐसे हाव-भाव देखकर दंग थे क्योंकि ऐसी हार के बाद मुस्कुराहट की कल्पना किसी ने नहीं की थी, अखिलेश यादव के साथ हमेशा हमसाए की तरह साथ रहने वाले राजेन्द्र चौधरी और प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम भी अगल-बगल बैठे थे, इन दोनों के चेहरे से साफ था कि अब सब कुछ खत्म हो चुका है, लेकिन अखिलेश अपना गम छुपा गए. वहीं हंसी वही ठिठोली अखिलेश के प्रेस कॉन्फ्रेंस में मौजूद थी जिसके लिए वो जाने जाते हैं.

शुरूआत बीजेपी को मुबारकबाद देने से हुई, जब अखिलेश ने कहा कि जनता के फैसले को हम खुशी के साथ स्वीकार करते हैं और उम्मीद करते हैं कि आने वाली सरकार हमारी सरकार से बेहतर काम करेगी. अखिलेश की बात में सम्मान था लेकिन थोड़ा तंज भी जो आगे और तीखा होता गया. अखिलेश अपनी मुसकुराहट के उस दर्द को भी बयां करते गए जो हार के साथ उन्होंने महसूस की होगी.

पूरे प्रेस कॉन्फ्रेंस में अखिलेश की मुस्कुराहट के पीछे का दर्द भी दिखता रहा. विकास के मुद्दे पर बोलते हुए कहा- मैंने बेहतर काम किया लेकिन अब लगता है बहकाने से भी वोट मिलता है. तंज कसते हुए अखिलेश ने कहा कि मैंने एक्सप्रेस वे बनाया लेकिन लगता है नई सरकार हमसे भी अच्छा एक्सप्रेस वे बनाएगी. बार-बार अखिलेश कहते रहे कि मैंने पेंशन राशि एक हजार करने का वादा किया था, अब लगता है बीजेपी दो हजार देगी और अब उम्मीद करता हूं पहली ही कैबिनेट में किसानों का कर्ज भी माफ होगा. अखिलेश लगातार नई सरकार को शुभकानाओं के साथ तंज कसते रहे.

चुनावी सर्वे ने शायद इस बात का एहसास करा दिया था कि शनिवार की सुबह की फिजा अखिलेश के लिए मुफीद नहीं है, लेकिन पार्टी की ये हालत होगी शायद इसकी कल्पना किसी को नहीं थी. प्रेस कॉन्फ्रेंस में अखिलेश से एक के बाद एक कई सवाल हुए और सहज तरीके से अखिलेश जबाब देते गए. पिता के विवाद को ये कहकर टाल गए कि ये वक्त इस चर्चा का नहीं है, लेकिन चाचा शिवपाल को नहीं बख्शा, अखिलेश ने कहा कि चाचा ने घमंड की बात मेरे बारे में नहीं बल्कि मेरी परछाईं के बारे में कही होगी.

पत्रकार सवाल पछते रहे और अखिलेश जबाब देते रहे, कहा कांग्रेस के साथ गठबंधन जारी रहेगा लेकिन 2019 में कोई व्यापक गठबंधन बनेगा इसपर सवाल टाल गए.

आखिर में हंसते मुस्कुराते अखिलेश से पत्रकारों ने पूछा कि आप दिल्ली के पत्रकारों को ज्यादा तरजीह देते रहे, लेकिन यूपी वालों को कोई तरजीह नहीं दी तो अखिलेश झेंप गये और कहा अगले चुनाव प्रचार में आप सबको साथ लेकर चलुंगा. अखिलेश नें पत्रकारों से कहा वो और सवालों के लिए तैयार हैं लेकिन आपके पास सवाल नहीं है तो चलता हूं....

अपने उसी चपल अंदाज में उठे अखिलेश ने पत्रकारों का अभिवादन करते हुए सीधे राजभवन का रूख किया जहां राज्यपाल राम नाईक को अपना इस्तीफा सौंपा. चाल में वही तीखापन, चेहरे पर वहीं मुस्कान और हाथ में इस्तीफा, लेकिन अखिलेश के हाव-भाव में उन्होंने अपने हार के गम को अपने ऊपर हावी नहीं होने दिया. करीब 15 मिनट की औपचारिक मुलाकात और इस्तीफा सौंपने के बाद अखिलेश ने विदाई ली. राजभवन से निकलते हुए बाहर पत्रकारों ने फिर रोका तो अखिलेश अपनी कार से उतरे लेकिन भगदड की स्थिति बनते देख मुस्कुराते हुए अपने काफिले के साथ वापस घर की ओर चल दिए.

हार के बाद मायावती जहां परेशान और खीजी हुई दिखाई दीं, वहीं अखिलेश ने अपने व्यवहार में संयम बनाए रखा जो उन्हें किसी बड़े राजनेता की कतार में खड़ा रखता है.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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