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पहली बार गुजरात में विकास के बजाय किसी और चीज पर भाजपा का फोकस

    • अमित अरोड़ा
    • Updated: 15 अक्टूबर, 2017 01:11 PM
  • 15 अक्टूबर, 2017 01:11 PM
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गुजरात में चुनाव होने वाले हैं ऐसे में पार्टी अध्यक्ष लगातार लोगों को ये बता रहे हैं कि राज्य की कानून व्यवस्था चुस्त दुरुस्त है. शाह का मानना है कि भाजपा के शासन में आज राज्य से अपराध लगभग समाप्त हो गया है और लोग शांति से जीवन यापन कर रहे हैं.

आजतक के विशेष कार्यक्रम 'पंचायत गुजरात' में भाग लेते हुए भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने गुजरात की वर्तमान क़ानून-व्ययवस्था और प्रदेश में कांग्रेस राज के समय की कानून-व्ययवस्था की तुलना कर, अपनी पीठ थपथपाई. अमित शाह का कहना था की गुजरात एक सरहदी राज्य है. कांग्रेस के राज में सरहद की जो स्थिति थी उसमें और आज की स्थिति में बहुत अंतर है. एक समय था जब असामाजिक तत्वों द्वारा गुजरात में हथियारों की तस्करी होती थी. यह गुट गुजरात की जनता को परेशान करते थे और देश में आतंक फैलते थे. आज भाजपा के शासन में ऐसा कोई भी असामाजिक गुट नहीं बचा है.

शाह का मानना है कि, भाजपा के शासन में गुजरात में, असामाजिक गुट खत्म हो गए हैं

अमित शाह ने गुजरात की जनता को चेताया की विकास के साथ-साथ उन्हें यह भी ध्यान रखना चाहिए कि प्रदेश की 1600 किलीमीटर की अंतरराष्ट्रीय सीमा है. कांग्रेस के समय यह अंतरराष्ट्रीय सीमा बिल्कुल खुली थी. जिसके कारण प्रदेश में असामाजिक तत्वों का बोलबाला था. भाजपा सरकार ने इस सीमा को सुरक्षित बनाया है. इस विषय पर बातकर अमित शाह गुजरात चुनाव में सुरक्षा और कानून-व्ययवस्था की स्थिति को एक बड़ा मुद्दा बनाना चाहते हैं. इस चुनाव में कांग्रेस की रणनीति है की भाजपा के विकास मॉडल पर प्रश्न चिन्ह उठाए. कांग्रेस सोशल मीडिया के द्वारा और अपनी रैलियों में भाजपा के विकास को पागल कह रही है.

अमित शाह की कोशिश है कि बहस का केंद्र विकास से हट कर सुरक्षा और कानून-व्ययवस्था बने. हालांकि वह भाजपा के विकास कार्यों का बखान करते भी नहीं थकते हैं. 'पंचायत गुजरात' कार्यक्रम में शाह ने कांग्रेस से रोहिंग्या मुस्लिम के विषय पर भी सवाल उठाया. उन्होने राहुल गांधी से पूछा कि जो व्यक्ति अपने लोकसभा क्षेत्र अमेठी को इतने वर्षों में विकसित नहीं कर पाया, वह किस...

आजतक के विशेष कार्यक्रम 'पंचायत गुजरात' में भाग लेते हुए भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने गुजरात की वर्तमान क़ानून-व्ययवस्था और प्रदेश में कांग्रेस राज के समय की कानून-व्ययवस्था की तुलना कर, अपनी पीठ थपथपाई. अमित शाह का कहना था की गुजरात एक सरहदी राज्य है. कांग्रेस के राज में सरहद की जो स्थिति थी उसमें और आज की स्थिति में बहुत अंतर है. एक समय था जब असामाजिक तत्वों द्वारा गुजरात में हथियारों की तस्करी होती थी. यह गुट गुजरात की जनता को परेशान करते थे और देश में आतंक फैलते थे. आज भाजपा के शासन में ऐसा कोई भी असामाजिक गुट नहीं बचा है.

शाह का मानना है कि, भाजपा के शासन में गुजरात में, असामाजिक गुट खत्म हो गए हैं

अमित शाह ने गुजरात की जनता को चेताया की विकास के साथ-साथ उन्हें यह भी ध्यान रखना चाहिए कि प्रदेश की 1600 किलीमीटर की अंतरराष्ट्रीय सीमा है. कांग्रेस के समय यह अंतरराष्ट्रीय सीमा बिल्कुल खुली थी. जिसके कारण प्रदेश में असामाजिक तत्वों का बोलबाला था. भाजपा सरकार ने इस सीमा को सुरक्षित बनाया है. इस विषय पर बातकर अमित शाह गुजरात चुनाव में सुरक्षा और कानून-व्ययवस्था की स्थिति को एक बड़ा मुद्दा बनाना चाहते हैं. इस चुनाव में कांग्रेस की रणनीति है की भाजपा के विकास मॉडल पर प्रश्न चिन्ह उठाए. कांग्रेस सोशल मीडिया के द्वारा और अपनी रैलियों में भाजपा के विकास को पागल कह रही है.

अमित शाह की कोशिश है कि बहस का केंद्र विकास से हट कर सुरक्षा और कानून-व्ययवस्था बने. हालांकि वह भाजपा के विकास कार्यों का बखान करते भी नहीं थकते हैं. 'पंचायत गुजरात' कार्यक्रम में शाह ने कांग्रेस से रोहिंग्या मुस्लिम के विषय पर भी सवाल उठाया. उन्होने राहुल गांधी से पूछा कि जो व्यक्ति अपने लोकसभा क्षेत्र अमेठी को इतने वर्षों में विकसित नहीं कर पाया, वह किस आधार पर गुजरात के विकास पर प्रश्न चिन्ह लगा सकता है?

2014 लोक सभा चुनावों में नरेंद्र मोदी और अमित शाह की जोड़ी ने अपनी रणनीति से बहस के मुद्दे तय किया. पूरे चुनाव में कांग्रेस पार्टी उन मुद्दों के जवाब ही देती रह गई. 2014 लोक सभा चुनावों का परिणाम सबके सामने है. अब अमित शाह, कांग्रेस और राहुल गाँधी को गुजरात चुनाव के मुद्दे तय नहीं करने देना चाहते. यह देखना होगा की इन चुनावों में कौनसी पार्टी मुद्दे तय करती है और किसकी रणनीति सफल होती है.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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