क्या आम आदमी पार्टी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कांग्रेस मुक्त भारत के सपने को साकर करने का काम कर रही है? जानकारों कि माने तो आनंदीबेन के मुख्यमंत्री बनने के बाद गुजरात में कमजोर हो चुकी बीजेपी के लिये 2017 के विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी अच्छे दिन ला सकती है.
जब से आम आदमी पार्टी ने गुजरात विधानसभा की सभी 182 सीटों पर चुनाव लडने कि धोषणा की है, पार्टी के गुजरात कार्यकर्ताओ में एक नयी जान आ गयी है. लेकिन सवाल यहां पर ये है कि आखीरकार आम आदमी पार्टी के 182 सीट पर से चुनाव लडने से फायदा किस राजनेतिक पार्टी को होगा? गुजरात में आम आदमी पार्टी के अस्तित्व को देखे तो किसी जीत की उम्मीद बेहद कम है. गुजरात का इतिहास रहा है कि यहा कभी भी किसी बाहरी राजनैतिक पार्टी का वजूद नहीं बना है. यहां तक की गुजराती नेतृत्व में बनी राष्ट्रीय जनता दल (शंकरसिंह वाघेला) भी यहां विफल हो चुकी है. यहा सिर्फ दो पक्ष में चुनाव होता है, एक बीजेपी ओर दूसरा कोग्रेस. गुजरात के वरिष्ठ पत्रकार देवेन्द्र पटेल मानते हे कि अगर आम आदमी पार्टी सभी 182 सीटों पर अपना उम्मीदवार उतारती है तो सबसे ज्यादा नुकसान राज्य में कांग्रेस को होगा. बीते चुनावों में ये देखा भी गया है कि कांग्रेस और बीजेपी की द्विपक्षीय लड़ाई में तीसरे उम्मीदवार के उतरने से नुकसान कांग्रेस को ही उठाना पड़ा है क्योंकि यहां बीजेपी के वोट बैंक में सेंधमारी नहीं की जा सकी है.
गुजरात की सभी सीटों पर लड़ेगी आम आदमी पार्टी |
गौरतलब है कि,नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद गुजरात की नई मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल को लेकर पार्टी आला कमान खुश नही है. आनंदीबेन के मुख्यमंत्री बनने के बाद बीजेपी...
क्या आम आदमी पार्टी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कांग्रेस मुक्त भारत के सपने को साकर करने का काम कर रही है? जानकारों कि माने तो आनंदीबेन के मुख्यमंत्री बनने के बाद गुजरात में कमजोर हो चुकी बीजेपी के लिये 2017 के विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी अच्छे दिन ला सकती है.
जब से आम आदमी पार्टी ने गुजरात विधानसभा की सभी 182 सीटों पर चुनाव लडने कि धोषणा की है, पार्टी के गुजरात कार्यकर्ताओ में एक नयी जान आ गयी है. लेकिन सवाल यहां पर ये है कि आखीरकार आम आदमी पार्टी के 182 सीट पर से चुनाव लडने से फायदा किस राजनेतिक पार्टी को होगा? गुजरात में आम आदमी पार्टी के अस्तित्व को देखे तो किसी जीत की उम्मीद बेहद कम है. गुजरात का इतिहास रहा है कि यहा कभी भी किसी बाहरी राजनैतिक पार्टी का वजूद नहीं बना है. यहां तक की गुजराती नेतृत्व में बनी राष्ट्रीय जनता दल (शंकरसिंह वाघेला) भी यहां विफल हो चुकी है. यहा सिर्फ दो पक्ष में चुनाव होता है, एक बीजेपी ओर दूसरा कोग्रेस. गुजरात के वरिष्ठ पत्रकार देवेन्द्र पटेल मानते हे कि अगर आम आदमी पार्टी सभी 182 सीटों पर अपना उम्मीदवार उतारती है तो सबसे ज्यादा नुकसान राज्य में कांग्रेस को होगा. बीते चुनावों में ये देखा भी गया है कि कांग्रेस और बीजेपी की द्विपक्षीय लड़ाई में तीसरे उम्मीदवार के उतरने से नुकसान कांग्रेस को ही उठाना पड़ा है क्योंकि यहां बीजेपी के वोट बैंक में सेंधमारी नहीं की जा सकी है.
गुजरात की सभी सीटों पर लड़ेगी आम आदमी पार्टी |
गौरतलब है कि,नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद गुजरात की नई मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल को लेकर पार्टी आला कमान खुश नही है. आनंदीबेन के मुख्यमंत्री बनने के बाद बीजेपी में अंदरुनी गुटबाजी बढ़ी है. यहां तक कि पाटीदार आरक्षण आंदोलन के बाद लगातार गुजरात में बीजेपी की लोकप्रियता पर भी सवाल खडे होने लगे हैं. इस बीच गुजरात में कराए गए तहसील ओर जिला पंचायत चुनावों में बीजेपी को सीटो में नुकसान भी झेलना पडा हे. ऐसे में कांग्रेस पाटीदारो को खुश कर इस बार गुजरात के तख्त पर काबिज होने का सपना संजो रही है. लेकिन जिस तरह पहले अरविंद केजरीवाल ने हार्दिक पटेल को जेल में बंद करने का विरोध किया और अब पाटीदारों को आरक्षण देने की मांग को जायज करार दे रहे हैं इससे जाहिर है कि वह उन्हें अपनी ओर आकर्षित करने कि हर संभव कोशिश में लगे हैं. हालांकि, अरविंद केजरीवाल की इस चुनौती से दोनों बीजेपी और कांग्रेस बेफिक्र नजर आ रही है.
आम आदमी पार्टी ने 2014 लोकसभा चुनाव में गुजरात की 26 सीट में 24 सीटों पर चुनाव लडा था. इन सभी 24 सीटों पर आम आदमी पार्टी के कैंडिडेट की जमानत तक जब्त हो गई थी. पार्टी को गुजरात में कुल मिलाकर 3,01,558 वोट मिले थे जो कि राज्य में कुल वोचट का महज 1.2 फीसदी था. इन आंकड़ों के बावजूद राज्य में आम आदमी पार्टी काफी जोश में है. पार्टी ने जोर-शोर से राज्य में अपना मेंबरशिप ड्राईव भी चला रखा है. जानकारों का मानना है कि पार्टी की नजर दलित, ओबीसी ओर माईनॉरिटी वोट बैंक पर है. जाहिर है राज्य में यह वोट बैंक कई दशकों से कांग्रेस को मजबूत कर रहा है और अब आम आदमी पार्टी की चुनौती कै सीधा असर सत्ता में उसकी वापसी की उम्मीद पर पड़ेगा. लिहाजा, अरविंद केजरीवाल का गुजरात की सभी सीटों पर लड़ने का फैसला कहीं न कहीं बीजेपी को रास आ रहा है और क्योंकि ऐसा हुआ तो सत्तारूढ़ बीजेपी एक बार फिर राज्य में अपने अच्छे दिनों को बरकरार रखने में सफल हो सकती है.
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