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महिलाओं का रूप धरने वाले सारे हीरो के भगवान हैं मेहता जी !

    • ऑनलाइन एडिक्ट
    • Updated: 20 जनवरी, 2017 04:07 PM
  • 20 जनवरी, 2017 04:07 PM
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हिंदुस्तान में जुगाड़ की अपनी खास जगह है और लोग अब अफेयर के लिए भी जुगाड़ लगाने लगे हैं. एक ऐसा ही किस्सा सामने आया है जहां दोस्त की पत्नि से चल रहे 7 साल पुराने अफेयर को कायम रखने के लिए एक व्यक्ति हमेशा महिला बनकर मिलने आता था.

हिंदुस्तान में जुगाड़ को बहुत अहमियत दी जाती है. कहावत में भी कहा गया है कि अगर घी सीधी उंगली से ना निकले तो उंगली टेढ़ी कर लीजिए. अब इसी को तो जुगाड़ कहते हैं. जुगाड़ की हद कोई तय नहीं कर सकता और ये किसी भी काम के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है. शायद यही सोचा होगा पुणे के राजेश घीसूलाल मेहता ने. तभी तो अपनी प्रेमिका से मिलने के लिए उन्हें महिलाओं के कपड़े पहनने की तरकीब सूझी.

लव जो ना कराए वो थोड़ा...

जी, प्यार में इंसान कुछ भी कर सकता है इसके गाहे-बगाहे तरह-तरह के उदाहरण देखने को मिलते हैं और ताजा उदाहरण श्रीमान मेहता का ही है. अपने अच्छे दोस्त की बीवी से उन्हें इश्क हो गया, लेकिन जमाना उन्हें कैसे मिलने देता.. तो इसके लिए उन्होंने एक नया तरीका खोजा. दोस्त के घर से जाने के बाद वो महिला के वेश में घर में आते थे. एक अंग्रेजी दैनिक की रिपोर्ट के मुताबिक ये अफेयर पिछले 7 साल से चल रहा था.

सही सही गलत का फैसला लोग करते रहें, मेहता जी ने तो अपना काम कर दिया.

कहानी अभी भी फिल्मी है...

अगर 7 साल से ये अफेयर चल रहा था तो इसका पता कैसे चला? इसमें भी एक स्टोरी है. दरअसल एक दिन जब मेहता जी अपनी प्रेमिका से मिलने आए तो उन्होंने सलवार कमीज और दुपट्टा डाला हुआ था. प्रेमिका के पतिदेव यानी मेहता जी के दोस्त सो रहे थे और मेहता जी ने उन्हें क्लोरोफॉर्म सुंघाने की कोशिश की. इसी बीच, उनकी नींद खुल गई. जागते ही उन्होंने मेहता जी का दुपट्टा खींचा और तब जाकर उन्हें ये एहसास हुआ कि ये तो उनका पुराना दोस्त है. रिपोर्ट की मानें तो मेहता ने एक कमरे खुद को बंद कर नाइटी पहनी और फिर भागने की कोशिश की....

हिंदुस्तान में जुगाड़ को बहुत अहमियत दी जाती है. कहावत में भी कहा गया है कि अगर घी सीधी उंगली से ना निकले तो उंगली टेढ़ी कर लीजिए. अब इसी को तो जुगाड़ कहते हैं. जुगाड़ की हद कोई तय नहीं कर सकता और ये किसी भी काम के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है. शायद यही सोचा होगा पुणे के राजेश घीसूलाल मेहता ने. तभी तो अपनी प्रेमिका से मिलने के लिए उन्हें महिलाओं के कपड़े पहनने की तरकीब सूझी.

लव जो ना कराए वो थोड़ा...

जी, प्यार में इंसान कुछ भी कर सकता है इसके गाहे-बगाहे तरह-तरह के उदाहरण देखने को मिलते हैं और ताजा उदाहरण श्रीमान मेहता का ही है. अपने अच्छे दोस्त की बीवी से उन्हें इश्क हो गया, लेकिन जमाना उन्हें कैसे मिलने देता.. तो इसके लिए उन्होंने एक नया तरीका खोजा. दोस्त के घर से जाने के बाद वो महिला के वेश में घर में आते थे. एक अंग्रेजी दैनिक की रिपोर्ट के मुताबिक ये अफेयर पिछले 7 साल से चल रहा था.

सही सही गलत का फैसला लोग करते रहें, मेहता जी ने तो अपना काम कर दिया.

कहानी अभी भी फिल्मी है...

अगर 7 साल से ये अफेयर चल रहा था तो इसका पता कैसे चला? इसमें भी एक स्टोरी है. दरअसल एक दिन जब मेहता जी अपनी प्रेमिका से मिलने आए तो उन्होंने सलवार कमीज और दुपट्टा डाला हुआ था. प्रेमिका के पतिदेव यानी मेहता जी के दोस्त सो रहे थे और मेहता जी ने उन्हें क्लोरोफॉर्म सुंघाने की कोशिश की. इसी बीच, उनकी नींद खुल गई. जागते ही उन्होंने मेहता जी का दुपट्टा खींचा और तब जाकर उन्हें ये एहसास हुआ कि ये तो उनका पुराना दोस्त है. रिपोर्ट की मानें तो मेहता ने एक कमरे खुद को बंद कर नाइटी पहनी और फिर भागने की कोशिश की. भागने से पहले कुछ गालियां भी दीं.

ऐसा कई फिल्मों में हुआ है कि नायक किसी महिला का वेश धरकर अपनी प्रेमिका से मिलने आया हो. चाहें गोविंदा की आंटी नबंर 1 हो, राजा बाबू हो या फिर दुलारा हो. रितेश देशमुख की फिल्म अपना सपना मनी-मनी हो, फिल्म जान-ए-मन के सलमान खान हों, ब्लफ मास्टर (1963) फिल्म में शम्मी कपूर हों या फिर 80 के दशक में आई शशि कपूर की फिल्म हसीना मान जाएगी हो. हर युग में किसी ना किसी हीरो ने कन्या का रूप धरा है, लेकिन मिस्टर मेहता तो उनके भी गुरू निकले.भई, सभी हीरो एक या दो बार लड़की बने होंगे, लेकिन मिस्टर मेहता ने तो अपना अफेयर 7 साल तक चलाया. फिर ना जाने कितनी ही बार उन्होंने महिला का वेश बनाया होगा. कितनी ही बार तरह-तरह की पोशाकों में सजे होंगे और तो और रिपोर्ट के अनुसार मिस्टर मेहता ने तो भागने के पहले भी कपड़े बदले. अब शायद उन्हें आदत हो गई हो. ये तो भगवान ही जानें कि उन्हें क्या सूझी, लेकिन एक बात तो पक्की है. मेहता जी, फिल्मी नायकों से ज्यादा जुझारू थे.

बॉलीवुड के ऐसे सारे कलाकारों की अदाकारी मेहता जी के आगे फीकी है, जो पिछले 7 साल से अपना स्‍वांग सफलता पूर्वक रच रहे थे.

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जहां मेहता को अरेस्ट कर लिया गया है वहीं, उनकी प्रेमिका की कोई रिपोर्ट सामने नहीं आई है. अब जरा एक बार इस पूरे घटनाक्रम को एक दूसरे एंगल से देखते हैं. प्रेमिका कुंवारी नहीं थी, पति था और दो बच्चे भी. पति बरतन का कारोबारी, पुने में अपना बंगला और दूर से देखने में एक खुशहाल परिवार. पर क्या वजह रही इस खुशहाल परिवार के तबाह होने की.

स्टार परिवार की एक टैग लाइन काफी लोकप्रिय थी. 'रिश्ता वही सोच नई'. पर ये किस हद तक जायज है? ये सही है कि आजकल हर दूसरे-तीसरे घर में कोई ना कोई किस्सा हो रहा है, लेकिन ये कुछ अलग है. शादी एक पवित्र रिश्ता होता है और उसका इस तरह से मजाक उड़ाना थोड़ा हजम नहीं हुआ. इस सब में दोषी अकेले मेहता जी नहीं हैं बल्कि वो प्रेमिका भी है जिसे एक बार भी ये ख्याल नहीं आया कि इस रिश्ते का अंजाम क्या हो सकता है.

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मैं मानती हूं कि लड़कियों को आजादी मिलनी चाहिए, अपने हिस्से की खुशी मिलनी चाहिए, समाज में आजादी मिलने चाहिए और एक ऐसी शादी जो उन्हें परेशान कर रही हो उससे निजाद पाना हक है, लेकिन एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर गले नहीं उतरते. ये तरीका सही नहीं है. ना ही इसमें रिश्ते की पवित्रता बचती है और ना ही किसी घुटन से आजादी मिलती है. वो कहते हैं ना 'दिल बहलाने के लिए गालिब एक ये ख्याल भी अच्छा है', कुछ इसी तरह के होते हैं एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर. सिर्फ दिल बहलाने के लिए. ना ही इसे समाज सही मानता है और ना ही ये किसी व्यक्ति के लिए सही होते हैं.

जहां मैं भी फेमिनिस्ट हूं वहीं, एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर मेरे लिए उस गढ्ढे की तरह है जिसमें गिरने के बाद इंसान वापस नहीं उठ सकता. इसे घोखे की श्रेणी में रखा जाए तो ही सही है. ना सिर्फ ये उस इंसान के लिए घातक होता है बल्कि उसके पूरे परिवार को ले डूबता है. एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर करने पर तो अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन को भी नहीं बक्शा था. फिर ये तो हिंदुस्तान है. ये अमेरिका से ज्यादा मॉर्डन तो हो नहीं सकता. हालांकि, मेरा मानना है कि एक्स्ट्रा मैरिटल किसी भी युग में हो गलत ही होते हैं. अगर कोई शादी आपको खुश नहीं कर पा रही तो उसे निभाने की कोई जरूरत नहीं, लेकिन एक्स्ट्रा मैरिटल करके कम से कम रिश्ते की पवित्रता नहीं खत्म करनी चाहिए.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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