• होम
  • सियासत
  • समाज
  • स्पोर्ट्स
  • सिनेमा
  • सोशल मीडिया
  • इकोनॉमी
  • ह्यूमर
  • टेक्नोलॉजी
  • वीडियो
होम
ह्यूमर

'रायता विद राहुल' से बात शुरू होकर पहुंची 'खाट-सभा' तक

    • मृगांक शेखर
    • Updated: 07 सितम्बर, 2016 03:51 PM
  • 07 सितम्बर, 2016 03:51 PM
offline
पहले तो पीके ने अपनी टीम के साथ माथापच्ची की, लेकिन राहुल के लिए किसी को पास कोई अच्छा आइडिया नहीं मिला. जो भी आइडिया मिले वे सारे पप्पू-फील वाले थे जो मजाक की वजह बन जाते. फिर...

कांग्रेस के लिए पंजाब में कॉफी विद कैप्टन शुरू कर चुके प्रशांत किशोर को राहुल गांधी के लिए कोई बेहतरीन इवेंट क्रिएट करने को कहा गया. पहले तो उन्होंने अपनी टीम के साथ माथापच्ची की, लेकिन राहुल के लिए किसी के पास कोई अच्छा आइडिया नहीं मिला. जो आइडिया सामने आए वे सारे पप्पू-फील वाले थे जो मजाक की वजह बन जाते.

जब पीके ने दिग्विजय सिंह से संपर्क किया तो उन्होंने भी हाथ खड़े कर दिये क्योंकि यूपी पर उनका रिसर्च सेक्युलर मसलों के दायरे में सीमित था. असल में, पीके राहुल गांधी के लिए कोई ऐसा आइडिया चाहते थे जो मोदी एक्सपेरिमेंट जैसा कारगर हो, लेकिन किसी भी सूरत में अमरिंदर सिंह की तरह कॉपी न लगे.

थक हार कर पीके ने प्रियंका को फोन लगाया तो उन्होंने सोचने के लिए थोड़ा वक्त मांगा. पांच मिनट बाद प्रियंका का फोन आया, "देखो यूपी में हमारा फोकस बीजेपी पर है इसलिए बनारस से ही कोई ठीक रहेगा. मैंने अजय राय से बात कर ली है, उन्हें कॉल करो वो हेल्प करेगा."

पीके को ये बात ज्यादा दमदार लगी क्योंकि राहुल को बोलने के लिए नोट लिख कर देने होते हैं और इस बार भोजपुरी में देने की चुनौती थी.

इसे भी पढ़ें: ये सुनते ही हर किसी का सिर गर्व से झुक गया

जब पीके ने बनारस में अजय राय से बात की तो उन्होंने वहां के कुछ नेताओं के नाम बताये जिनमें से किसी न किसी का आइडिया काम लायक जरूर हो सकता था. फिर फौरन फ्लाइट से पीके बाबतपुर पहुंचे. सीधे होटल गये. कुछ ही देर में वो इंग्लिशिया लाइन में कांग्रेस दफ्तर पहुंच चुके थे. अपना अपना आइडिया लेकर सभी नेता वहां पहले से ही मौजूद थे. उनकी मदद के लिए पीके ने उस लड़के को भी साथ ले लिया था जो राहुल गांधी के भाषणों के लिए कहानियां सुनाता है. सबसे बड़ी बात ये है कि भाषण कोई भी लिखे बगैर उस लड़के के अप्रूवल के राहुल कोई भी स्पीच फाइनल नहीं...

कांग्रेस के लिए पंजाब में कॉफी विद कैप्टन शुरू कर चुके प्रशांत किशोर को राहुल गांधी के लिए कोई बेहतरीन इवेंट क्रिएट करने को कहा गया. पहले तो उन्होंने अपनी टीम के साथ माथापच्ची की, लेकिन राहुल के लिए किसी के पास कोई अच्छा आइडिया नहीं मिला. जो आइडिया सामने आए वे सारे पप्पू-फील वाले थे जो मजाक की वजह बन जाते.

जब पीके ने दिग्विजय सिंह से संपर्क किया तो उन्होंने भी हाथ खड़े कर दिये क्योंकि यूपी पर उनका रिसर्च सेक्युलर मसलों के दायरे में सीमित था. असल में, पीके राहुल गांधी के लिए कोई ऐसा आइडिया चाहते थे जो मोदी एक्सपेरिमेंट जैसा कारगर हो, लेकिन किसी भी सूरत में अमरिंदर सिंह की तरह कॉपी न लगे.

थक हार कर पीके ने प्रियंका को फोन लगाया तो उन्होंने सोचने के लिए थोड़ा वक्त मांगा. पांच मिनट बाद प्रियंका का फोन आया, "देखो यूपी में हमारा फोकस बीजेपी पर है इसलिए बनारस से ही कोई ठीक रहेगा. मैंने अजय राय से बात कर ली है, उन्हें कॉल करो वो हेल्प करेगा."

पीके को ये बात ज्यादा दमदार लगी क्योंकि राहुल को बोलने के लिए नोट लिख कर देने होते हैं और इस बार भोजपुरी में देने की चुनौती थी.

इसे भी पढ़ें: ये सुनते ही हर किसी का सिर गर्व से झुक गया

जब पीके ने बनारस में अजय राय से बात की तो उन्होंने वहां के कुछ नेताओं के नाम बताये जिनमें से किसी न किसी का आइडिया काम लायक जरूर हो सकता था. फिर फौरन फ्लाइट से पीके बाबतपुर पहुंचे. सीधे होटल गये. कुछ ही देर में वो इंग्लिशिया लाइन में कांग्रेस दफ्तर पहुंच चुके थे. अपना अपना आइडिया लेकर सभी नेता वहां पहले से ही मौजूद थे. उनकी मदद के लिए पीके ने उस लड़के को भी साथ ले लिया था जो राहुल गांधी के भाषणों के लिए कहानियां सुनाता है. सबसे बड़ी बात ये है कि भाषण कोई भी लिखे बगैर उस लड़के के अप्रूवल के राहुल कोई भी स्पीच फाइनल नहीं करते.

रायता विद राहुल

बुजुर्ग होने के नाते सबसे पहले मणिशंकर पांडेय को आइडिया पेश करने को कहा गया. मणिशंकर ने बताया, "इवेंट का नाम 'रायता विद राहुल' हो सकता है. इसमें..."

मणिशंकर अपनी बात पूरी कर पाते कि दयालु गुरु ने टांग अड़ा दी, "ये तो नहीं चलेगा. इस पर केजरीवाल बवाल कर देंगे. इस पर उनका आईपीआर है. शायद उन्होंने पेटेंट के लिए भी अप्लाई कर रखा है."

आइडिया ऑटो-रिजेक्ट हो गया.

रेस विद राहुल

मणिशंकर के बाद राजेश मिश्रा का नंबर आया. राजेश मिश्रा ने बताया कि 'रेस विद राहुल' को रन फॉर फन की तरह आयोजित किया जा सकता है. बोले, "हर फेज हाफ मैराथन जितना लंबा हो सकता है - और जितने लोग चाहें इसमें हिस्सा ले सकते हैं. अच्छी बात ये है कि रॉबर्ट वाड्रा को भी इसमें आसानी से एकोमोडेट किया जा सकता है."

दयालु गुरु फिर टपक पड़े, "गोरखपुर-देवरिया बेल्ट में बुखार का पहले से ही इतना प्रकोप रहा है. इस वक्त तो और भी बुरा हाल है. अगर किसी को चिकनगुनिया या डेंगू हुआ हो और रेस में टपक गया तो लेने के देने पड़ जाएंगे."

जब राजेश मिश्रा का भी आइडिया रिजेक्ट हो गया तो पीके बोले, "ठीक है दयालु गुरु, अब आप ही कोई आइडिया दीजिए."

अच्छे दिन मोदी जी नहीं, हम लाएंगे...

राजेश को दयालु का बात काटना हजम नहीं हुआ, "मेरे पास दूसरा आइडिया भी है." सभी निगाहें एक बार फिर से राजेश मिश्रा की ओर घूम गयीं.

राजेश मिश्रा ने नया आइडिया पेश किया, "राहुल जी की अपनी ब्रांडिंग है और उसमें 'रेसलिंग विद राहुल' जैसा इवेंट ठीक हो सकता है. ये एक सिम्बोलिक फाइट होगी. बिलकुल वैसे ही जैसे खली वगैरह के मैच प्रायोजित होते हैं. इसमें दो पहलवान अखाड़े में उतरेंगे और उन्हें चेहरे के एक्सप्रेशन और अपनी बातों से खुद को एग्रेसिव साबित करना होगा. फिजिकल एक्ट के नाम पर बस शर्ट या कुर्ते के आस्तीन चढ़ाने होंगे. अब जो खुद को ज्यादा एग्रेसिव शो करता वो विजेता होगा. ऐसे हर शो में पहले छोटे कार्यकर्ता उतरेंगे, फिर बड़े और आखिर में राहुल गांधी को भी सुल्तान कलेवर धारण करना होगा. लोगों के मन में राहुल जी की पहले से ही ऐसी छवि बनी हुई है. इस दौरान सबको 'मैं भी राहुल' वाली गांधी टोपी पहना दी जाएगी. इवेंट हिट हो जाएगा."

इसे भी पढ़ें: मंगल पर मोदी के मन की बात सुनिये

पीके बोले - आइडिया तो अच्छा है फिर भी एक बार और लोगों की भी सुन लेते हैं. "अब जरा दयालु गुरु की भी सुन लेते हैं," पीके ने कहा.

लूडो विद राहुल

दयालु गुरु ने समझाया कि 'लूडो विद राहुल' एक अच्छा आइटम हो सकता है. फिर विस्तार से बताया, "ये सबसे आसान खेल है और हर किसी के समझ में आता है. कहीं भी बैठ कर खेला जा सकता है. इसमें एक राहुल तो दूसरे कोई बच्चा, तीसरी कोई महिला और चौथा कोई बुजुर्ग भी हो सकता है. जो लोग पास में खड़े होकर देखेंगे और बाकियों के लिए टीवी स्क्रीन लगा दिया जाएगा..."

"ओके-ओके. समझ गया. नेक्स्ट," पीके ने खुद दयालु को रोकते हुए कहा. पीके को लगा विरोधी इसमें से पप्पू फील खोज लेंगे और पहले ही इवेंट के बाद संबित पात्रा या मुख्तार अब्बास नकवी चीख चीख कर बाइट देने लगेंगे कि कांग्रेस ने राहुल के लिए उनके लायक खेल खोज निकाला है. बढ़िया है अब वो वही खेलें.

हल चलाते चलाते

अब गुड्डू मिश्रा की बारी थी. गुड्डू मिश्रा ने बताया कि मामला किसानों का है इसलिए मीटिंग खेतों में हो और हल के साथ हो तो मजा आएगा. बोले, "बीच-बीच में राहुलजी थोड़ा हल भी जोत लेंगे इसका टीवी के लिए विजुअल अच्छा बनेगा - लुक एंड फील भी बढ़िया रहेगा. अगर हल के साथ नंगे पांव रहने में दिक्कत है तो मैं गांव से टायर वाला चप्पल या कोई पुराना चमड़े का जूता ला दूंगा."

"गुड. टू गुड, आय थिंक" पीके बोले.

गुड्डू ने आगे बताया, "इसके लिए राहुल जी को मोदी की तरह ये समझाने की जहमत नहीं उठानी पड़ेगी कि वो उन्हीं के बीच के क्यों हैं. लोगों से करीबी जताने के लिए मोदी जी की तरह कोई कहानी भी नहीं गढ़नी होगी."

पीके को ये आइडिया सबसे अच्छा लगा और वो फाइनल करने की सोच रहे थे कि राहुल गांधी के ऑफिस वाला लड़का बोला, "मैं भी आइडिया दूं?" "श्योर-श्योर," पीके ने उसे खास तवज्जो देते हुए कहा.

खाट पर चर्चा

लड़का बोला, "मेरा एक छोटा आइडिया है सर - खाट पर चर्चा. मुझे लगता है सरजी ने किसानों के बीच काफी वक्त गुजारा है. नेट पर उनके फोटो देखिये वो उनके यहां खाट पर बैठे नजर आते हैं. इसलिए इस इवेंट में मेरी समझ से बांस या लकड़ी वाली खाट होनी चाहिये." सब लोग लड़के की हर बात ध्यान से सुनने लगे. पीके भी.

लड़का बोला, "जिस इलाके से यात्रा शुरू करनी है वहां भी खाट का खूब इस्तेमाल होता है. अगर खाट का इस्तेमाल होगा तो सरजी डायरेक्ट कनेक्ट होंगे. इस्तेमाल के बाद किसानों के पास वो खाट बतौर निशानी भी छोड़ी जा सकती है."

"अमेजिंग. ऑसम. ग्रेट यार..."

"एक और बात है," लड़के ने पूछा, "प्रॉमिस कीजिए, आप सरजी को नहीं बताएंगे..."

"ओके. पक्का, नहीं बताएंगे. कोई नहीं बताएगा," पीके ने भरोसा दिलाया. ऐसा लग रहा था जैसे लड़का पूरे जोर से अपनी हंसी रोकने की कोशिश कर रहा हो.

लड़का बोला, "इसमें सबसे बड़ा फायदा ये है कि चर्चा करते करते अगर सरजी को नींद आ गयी तो भी चलेगा..."

पीके का तो दिमाग ही खुल गया. सोचा, "जो शख्स भरी संसद में सो जाता हो उसे नींद तो कहीं भी आ सकती है...'

"थैक्स," पीके लड़के से बोले, "ये आइडिया फाइनल है, बस एक चेंज है, इसका नाम 'खाट-सभा' होगा."

खुशी के मारे पीके ने लपक कर लड़के को गले लगा लिया. हंसी तो हर मुंह से फूट रही थी, लेकिन लीक हो जाने के डर से पसीने भी छूट रहे थे.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

ये भी पढ़ें

Read more!

संबंधि‍त ख़बरें

  • offline
    टमाटर को गायब कर छुट्टी पर भेज देना बर्गर किंग का ग्राहकों को धोखा है!
  • offline
    फेसबुक और PubG से न घर बसा और न ज़िंदगी गुलज़ार हुई, दोष हमारा है
  • offline
    टमाटर को हमेशा हल्के में लिया, अब जो है सामने वो बेवफाओं से उसका इंतकाम है!
  • offline
    अंबानी ने दोस्त को 1500 करोड़ का घर दे दिया, अपने साथी पहनने को शर्ट तक नहीं देते
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.

Read :

  • Facebook
  • Twitter

what is Ichowk :

  • About
  • Team
  • Contact
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.
▲