• होम
  • सियासत
  • समाज
  • स्पोर्ट्स
  • सिनेमा
  • सोशल मीडिया
  • इकोनॉमी
  • ह्यूमर
  • टेक्नोलॉजी
  • वीडियो
होम
ह्यूमर

पीयूष बाबू! आईएएस की तैयारी करते-करते अस्‍थाई टीचर बन जाने वालों का दर्द समझो

    • बिलाल एम जाफ़री
    • Updated: 09 अक्टूबर, 2017 08:30 PM
  • 09 अक्टूबर, 2017 08:30 PM
offline
केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने नौकरी पर अपनी तरह का एक अनोखा बयान दिया है. उन्हें ये सोचना चाहिए था कि जिन युवाओं के लिए वो बयान दे रहे हैं वो बेचारे अपने-अपने जीवन में अलग तरह की चुनौतियों का सामना कर रहे हैं.

भारत जैसे लोकतांत्रिक देश की सबसे अच्छी बात ये है कि यहां लोगों को बोलने की आजादी है. आप पड़ोस वाले गुप्ता जी के लड़के बिट्टू से लेकर सिद्दीकी साहब की लड़की पिंकी तक किसी के विषय में भी बोलें चलेगा. भारत में चीजों को लेकर बोलना और बोलते रहना एक शाश्वत सत्य है जिसे किसी भी सूरत पर नाकारा नहीं जा सकता. आज देश में हर कोई बोल रहा है. किसी के पास बोलने का कारण है तो कोई बिन कारण बोल रहा है.

पियूष गोयल का बयान ये साफ बताता है कि उन्हें इस देश के युवाओं की कोई फ़िक्र नहीं है

बात बीते दिन की है पीयूष गोयल भी बोले हैं. हां वही पीयूष गोयल जो मोदी सरकार में रेल और कोयला मंत्रालय संभाल रहे हैं. एक जब भारत में हर आदमी बोल रहा है तो पीयूष जैसे लोगों के लिए ये बेहद ज़रूरी हो जाता है कि वो जो भी बोलें उसमें समझदारी, सूझ-बूझ और सही तर्क हों. जल्दी- जल्दी और ज्यादा से ज्यादा बोलने की चाह में पीयूष साहब एक कार्यक्रम के अंतर्गत कुछ ऐसा बोल गए जिससे मोदी जी के सवा सौ करोड़ भारतियों में लगभग आधों की भावना तो आहत हो ही गयी है.

जी हां बिल्कुल सही सुन रहे हैं आप. पीयूष साहब ये बात सहर्ष स्वीकार करते हैं कि, 'लोगों की नौकरी जाना इकॉनमी के लिए अच्छा संकेत है'. साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि, नौकरी की कमी का मतलब है कि ज्यादा से ज्यादा युवा कारोबारी बनना चाहते हैं. असल में हुआ ये था कि पीयूष गोयल भारती एयरटेल के चेयरमैन सुनील मित्तल की बात का जवाब दे रहे थे. सुनील मित्तल ने भारत की टॉप 200 कंपनियों का संज्ञान लेते हुए साझा किया था कि कंपनियां पिछले कुछ सालों से जॉब घटा रही हैं. मित्तल ने ये भी माना था कि अगर ये टॉप 200 कंपनियां रोजगार सृजन नहीं कर रही हैं तो बिजनस समुदाय के लिए समाज को अपने साथ लेकर चल पाना और भी कठिन होता जाएगा.

भारत जैसे लोकतांत्रिक देश की सबसे अच्छी बात ये है कि यहां लोगों को बोलने की आजादी है. आप पड़ोस वाले गुप्ता जी के लड़के बिट्टू से लेकर सिद्दीकी साहब की लड़की पिंकी तक किसी के विषय में भी बोलें चलेगा. भारत में चीजों को लेकर बोलना और बोलते रहना एक शाश्वत सत्य है जिसे किसी भी सूरत पर नाकारा नहीं जा सकता. आज देश में हर कोई बोल रहा है. किसी के पास बोलने का कारण है तो कोई बिन कारण बोल रहा है.

पियूष गोयल का बयान ये साफ बताता है कि उन्हें इस देश के युवाओं की कोई फ़िक्र नहीं है

बात बीते दिन की है पीयूष गोयल भी बोले हैं. हां वही पीयूष गोयल जो मोदी सरकार में रेल और कोयला मंत्रालय संभाल रहे हैं. एक जब भारत में हर आदमी बोल रहा है तो पीयूष जैसे लोगों के लिए ये बेहद ज़रूरी हो जाता है कि वो जो भी बोलें उसमें समझदारी, सूझ-बूझ और सही तर्क हों. जल्दी- जल्दी और ज्यादा से ज्यादा बोलने की चाह में पीयूष साहब एक कार्यक्रम के अंतर्गत कुछ ऐसा बोल गए जिससे मोदी जी के सवा सौ करोड़ भारतियों में लगभग आधों की भावना तो आहत हो ही गयी है.

जी हां बिल्कुल सही सुन रहे हैं आप. पीयूष साहब ये बात सहर्ष स्वीकार करते हैं कि, 'लोगों की नौकरी जाना इकॉनमी के लिए अच्छा संकेत है'. साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि, नौकरी की कमी का मतलब है कि ज्यादा से ज्यादा युवा कारोबारी बनना चाहते हैं. असल में हुआ ये था कि पीयूष गोयल भारती एयरटेल के चेयरमैन सुनील मित्तल की बात का जवाब दे रहे थे. सुनील मित्तल ने भारत की टॉप 200 कंपनियों का संज्ञान लेते हुए साझा किया था कि कंपनियां पिछले कुछ सालों से जॉब घटा रही हैं. मित्तल ने ये भी माना था कि अगर ये टॉप 200 कंपनियां रोजगार सृजन नहीं कर रही हैं तो बिजनस समुदाय के लिए समाज को अपने साथ लेकर चल पाना और भी कठिन होता जाएगा.

पीयूष का बयान ऐसा है जो किसी भी भारतीय की भावना को आहत कर सकता है

बहरहाल, पीयूष साहब बड़े आदमी भी हैं और देखा जाए तो वो ऊंचे पद पर बैठकर नौकरी भी कर रहे हैं. शायद इन्हें आम आदमी के दर्द का रत्ती भर भी एहसास नहीं है. नौकरी जाने के दर्द को पीयूष बाबू नहीं समझ सकते. और हां जो ये कह रहे है कि ज्यादा से ज्यादा युवा कारोबारी बनना चाहते हैं, वो बात अपने आप में एक बहुत बड़ा झूठ है.

हमें आंकड़ों पर बात नहीं करनी. मगर पीयूष बाबू की बात से इतना तो पक्का है कि उन्होंने गरीबी और बेरोजगारी लम्बे समय से नहीं देखी. वो ये भूल गए हैं कि हम वो भारतीय हैं जो जैसे तैसे हाई स्कूल फिर इंटर पास करते हैं. तमाम तरह के संघर्षों से ग्रेजुएशन में एडमिशन लेते हैं और फिर उसी दौरान आंखों में आईएएस बन देश सेवा और बड़ा आदमी बनने का सपना पाल लेते हैं. ग्रेजुएशन के फर्स्ट ईयर तक हम अपनी खुद की नजरों में आईएएस होते हैं.

जैसे- जैसे दूसरा फिर तीसरा साल बीतता है हमको समझ आ जाता है कि अभी हम अपने लक्ष्य से कोसों दूर हैं. इस अवधि तक आते-आते हम तमाम जगहों से ठुकरा दिए जाते हैं. हमें लोगों से ताना मिलना शुरू हो जाता है कि ऐसे ही खाली बैठे रहोगे तो शादी कैसे होगी कोई अपनी लड़की कैसे और क्यों देगा. शादी करने के लिए हम बीएड और बीटीसी करते हैं और आंखों में आईएएस का सपना रखने वाले हम, किसी प्राइमरी पाठशाला के मास्टर जी या किसी निगम में बाबू बनकर रह जाते हैं.

पियूष गोयल शायद ये भूल गए देश विकसित तब ही है जब युवाओं को रोजगार मिले

देश के जिस युवा को ये नहीं पता कि उसे इंजीनियरिंग करनी है या मेडिकल करना है उसे कारोबारी बनने का सब्ज बाग दिखाकर पीयूष बाबू ने अच्छा नहीं किया है. पीयूष बाबू को ये सोचना चाहिए था कि वो जिन युवाओं की नौकरी जाने से खुश हो रहे हैं, या उनकी नौकरी पर बयान दे रहे हैं ये वही युवा है जिन्होंने इनकी पार्टी को वोट देकर, इन्हें बयान देने के काबिल बनाया.

कहीं ऐसा न हो कि देश के युवाओं को पीयूष बाबू की बात बुरी लग जाए और भविष्य में वो इन्हीं युवाओं की बदौलत बयान देने के लिए कुर्सी पर बैठने का मौका उन्हें दोबारा न मिले. वैसे भी किसी ने कहा है समय बड़ा बलवान है और ये सबका आता है. आज समय पीयूष बाबू का है कल उन युवाओं का भी होगा जिनकी नौकरी छिनने पर बयान देने से पहले इन्होंने एक पल भी नहीं सोचा.  

ये भी पढ़ें - 

नौकरियों के मामले में हिंदुस्तान एक टाइम बम पर बैठा है

मेट्रो का इस्तेमाल कैसे करना है ये कोई लखनऊ वालों को सिखाए!

एक व्यंग्यकार का खुद को खुला पत्र

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

ये भी पढ़ें

Read more!

संबंधि‍त ख़बरें

  • offline
    टमाटर को गायब कर छुट्टी पर भेज देना बर्गर किंग का ग्राहकों को धोखा है!
  • offline
    फेसबुक और PubG से न घर बसा और न ज़िंदगी गुलज़ार हुई, दोष हमारा है
  • offline
    टमाटर को हमेशा हल्के में लिया, अब जो है सामने वो बेवफाओं से उसका इंतकाम है!
  • offline
    अंबानी ने दोस्त को 1500 करोड़ का घर दे दिया, अपने साथी पहनने को शर्ट तक नहीं देते
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.

Read :

  • Facebook
  • Twitter

what is Ichowk :

  • About
  • Team
  • Contact
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.
▲