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राहुल की कुंडली में है दोष! जहां जाते हैं, वहां से भगा दिए जाते हैं

    • बिलाल एम जाफ़री
    • Updated: 09 जून, 2017 11:40 AM
  • 09 जून, 2017 11:40 AM
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जिस तरह किसानों से मिलने मंदसौर गए राहुल गांधी को पुलिस द्वारा रोका गया और हर बार कुछ ऐसा ही किया जाता है वो साफ दर्शाता है कि राहुल की कुंडली में कोई दोष है.

अपने आस-पास हमने अक्सर ही ऐसे लोगों को देखा है जो कुछ अच्छा करना चाहते हैं मगर जैसे ही वो कुछ अच्छा करने जाते हैं बुरा हो जाता है. ऐसे लोग सिर्फ अच्छे काम को देख भर लें तो इनके देखने मात्र से अच्छा भला काम खराब हो जाता है. प्रायः ये देखा गया है कि ऐसे लोगों को कोई पसंद नहीं करता और समाज इन्हें पनौती का दर्जा देता है.

अब ऊपर लिखी बात को भारतीय राजनीति और राहुल गांधी के सम्बन्ध में देखिये. भारतीय राजनीति में राहुल एक ऐसी शख़्सियत हैं जिन्होंने आजतक जिस भी काम में हाथ डाला वो बिगड़ गया. बात जब राहुल की हो तो उसमें कांग्रेस अपने आप ही अपना रास्ता बना लेती है. कांग्रेस को लगता है कि राहुल में अपार संभावनाएं हैं और एक न एक दिन वो अवश्य ही इस देश के प्रधानमंत्री बनेंगे. बहरहाल ये बात जगजाहिर है कि राहुल को घूमने फिरने का बड़ा शौक है और जब भी मौका मिलता है ये किसी से मिलने के बहाने घूमने निकल जाते हैं.

राहुल गांधी की कुंडली में है दोष

राहुल को अगर ध्यान से देखा जाए तो पता चलता है कि अवश्य ही इनकी कुंडली में कोई दोष है. ये बेचारे जब भी किसी से मिलने जाते हैं तो या तो इन्हें गिरफ्तार कर लिया जाता है या फिर भगा दिया जाता है. इस बात को बेहतर ढंग से समझने के लिए आप पूर्व में भट्टा परसौल और वर्तमान में मंदसौर को बतौर उदाहरण देख सकते हैं. राहुल भट्टा परसौल में भी भगाए गए थे, मंदसौर में भी भगाए गए हैं.     

सच में कई मायनों में राहुल गांधी अद्भुत हैं. ये इनका भोलापन ही है जिसके चलते इन्हें कभी आलू की फैक्ट्री या फिर पाइन एप्पल और कोकोनट के जूस के लिए इंटरनेट पर ट्रोल किया जाता है, तो कभी ये इस वजह से सुर्ख़ियों में आ जाते हैं कि इन्हें लगता है कि गरीबी और कुछ नहीं बस स्टेट ऑफ माइंड है. राहुल निराले हैं, उनकी अदाएं...

अपने आस-पास हमने अक्सर ही ऐसे लोगों को देखा है जो कुछ अच्छा करना चाहते हैं मगर जैसे ही वो कुछ अच्छा करने जाते हैं बुरा हो जाता है. ऐसे लोग सिर्फ अच्छे काम को देख भर लें तो इनके देखने मात्र से अच्छा भला काम खराब हो जाता है. प्रायः ये देखा गया है कि ऐसे लोगों को कोई पसंद नहीं करता और समाज इन्हें पनौती का दर्जा देता है.

अब ऊपर लिखी बात को भारतीय राजनीति और राहुल गांधी के सम्बन्ध में देखिये. भारतीय राजनीति में राहुल एक ऐसी शख़्सियत हैं जिन्होंने आजतक जिस भी काम में हाथ डाला वो बिगड़ गया. बात जब राहुल की हो तो उसमें कांग्रेस अपने आप ही अपना रास्ता बना लेती है. कांग्रेस को लगता है कि राहुल में अपार संभावनाएं हैं और एक न एक दिन वो अवश्य ही इस देश के प्रधानमंत्री बनेंगे. बहरहाल ये बात जगजाहिर है कि राहुल को घूमने फिरने का बड़ा शौक है और जब भी मौका मिलता है ये किसी से मिलने के बहाने घूमने निकल जाते हैं.

राहुल गांधी की कुंडली में है दोष

राहुल को अगर ध्यान से देखा जाए तो पता चलता है कि अवश्य ही इनकी कुंडली में कोई दोष है. ये बेचारे जब भी किसी से मिलने जाते हैं तो या तो इन्हें गिरफ्तार कर लिया जाता है या फिर भगा दिया जाता है. इस बात को बेहतर ढंग से समझने के लिए आप पूर्व में भट्टा परसौल और वर्तमान में मंदसौर को बतौर उदाहरण देख सकते हैं. राहुल भट्टा परसौल में भी भगाए गए थे, मंदसौर में भी भगाए गए हैं.     

सच में कई मायनों में राहुल गांधी अद्भुत हैं. ये इनका भोलापन ही है जिसके चलते इन्हें कभी आलू की फैक्ट्री या फिर पाइन एप्पल और कोकोनट के जूस के लिए इंटरनेट पर ट्रोल किया जाता है, तो कभी ये इस वजह से सुर्ख़ियों में आ जाते हैं कि इन्हें लगता है कि गरीबी और कुछ नहीं बस स्टेट ऑफ माइंड है. राहुल निराले हैं, उनकी अदाएं और बातें उससे भी ज्यादा निराली हैं.

राहुल हर बार होते हैं पुलिस की नाइंसाफी का शिकार

ये इतने भोले, इतने निराले हैं कि अभी कुछ दिन पहले ही हुए उत्तर प्रदेश चुनाव में इन्होंने अखिलेश यादव को पाताल की उन गहराइयों में ढकेल दिया जिससे निकलते-निकलते अखिलेश का राजनीतिक भविष्य समाप्त हो जायगा.

अंत में हम अपनी बात खत्म करते हुए बस इतना ही कहेंगे कि राहुल गांधी को ये समझना होगा कि हर बात में कूदने से अच्छा है कि वो खुद अपना आत्मसात करें और अपनी कुंडली को सही करवाने के लिए पूजा अर्चना का सहारा लें. वरना भारतीय राजनीति में कब कौन किसे खिलौना बना के छोड़ दे कहा नहीं जा सकता.  

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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