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पोर्न देखने की ये कैसी लत!

    • पारुल चंद्रा
    • Updated: 23 जनवरी, 2016 11:37 AM
  • 23 जनवरी, 2016 11:37 AM
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भोपाल नगर निगम की बैठक में अधिकारी अपने मोबाइल पर पोर्न देखते पकड़े गए. लेकिन ये अकेले ऐसे नहीं है, किसी भी स्टेट की विधानसभा के फुटेज गौर से देखेंगे तो इस रोग के पीड़ित हर जगह मिलेंगे.

कुछ चीजों की लत सच में बड़ी बुरी होती है. न जगह देखती है... न समय... और न ही इंसान. अब पोर्न को ही ले लीजिए, इसे देखने की लत अगर किसी को लग गई है तो क्या कर सकते हैं. बेडरूम में हों, स्‍कूल में, दफ्तर या विधानसभा में. मोबाइल की मिनीस्‍क्रीन पर शुरू.

भोपाल नगर निगम की बैठक में अधिकारी अपने मोबाइल पर पोर्न देखते पकड़े गए. उनका कहना है कि ' वो अपनी मोबाइल सक्रीन पर आए एड को बंद कर रहे थे. और धोखे से वो क्लिप चल गई'. पर कमाल है ये क्लिप एक बार चली तो चलती ही रही. उधर मीटिंग में बोरिंग चर्चाएं चल रही थीं और इधर इनका इंटरटेनमेंट जारी था. फिलहाल महाशय सस्‍पेंड हैं.

लेकिन लत है भाई.. क्या करें. मीडिया को तो खिंचाई का मौका चाहिए बस. ये कौन से विरले हैं जो ये ‘नज़ीर’ पेश कर रहे हैं. पहले भी ऐसे मामले आए हैं और एक दो नहीं कम से कम आधा दर्जन तो हैं ही. यकीन नहीं तो देख लीजिए. गुजरात, उड़ीसा, कर्नाटक, भोपाल किसी भी स्टेट की विधानसभा के फुटेज गौर से देखेंगे तो इस रोग के पीड़ित हर जगह मिलेंगे.  

ये भी पढ़ें- मानसिकता वेब कैमरे पर सारा 'सुख' पा लेने की

 

जनता के पैसे से जनता की नुमाइंदगी करते हुए अगर थोड़ा बहुत नैतिक पतन हो भी गया तो क्या है. जनता तो मर्डर, रेप, करप्शन के आरोपियों तक को चुन कर कुर्सियों पर बैठा देती है तो अगर थोड़ा बहुत पोर्न देख लिया तो क्या सूली पर चढ़ा दोगे.



कुछ चीजों की लत सच में बड़ी बुरी होती है. न जगह देखती है... न समय... और न ही इंसान. अब पोर्न को ही ले लीजिए, इसे देखने की लत अगर किसी को लग गई है तो क्या कर सकते हैं. बेडरूम में हों, स्‍कूल में, दफ्तर या विधानसभा में. मोबाइल की मिनीस्‍क्रीन पर शुरू.

भोपाल नगर निगम की बैठक में अधिकारी अपने मोबाइल पर पोर्न देखते पकड़े गए. उनका कहना है कि ' वो अपनी मोबाइल सक्रीन पर आए एड को बंद कर रहे थे. और धोखे से वो क्लिप चल गई'. पर कमाल है ये क्लिप एक बार चली तो चलती ही रही. उधर मीटिंग में बोरिंग चर्चाएं चल रही थीं और इधर इनका इंटरटेनमेंट जारी था. फिलहाल महाशय सस्‍पेंड हैं.

लेकिन लत है भाई.. क्या करें. मीडिया को तो खिंचाई का मौका चाहिए बस. ये कौन से विरले हैं जो ये ‘नज़ीर’ पेश कर रहे हैं. पहले भी ऐसे मामले आए हैं और एक दो नहीं कम से कम आधा दर्जन तो हैं ही. यकीन नहीं तो देख लीजिए. गुजरात, उड़ीसा, कर्नाटक, भोपाल किसी भी स्टेट की विधानसभा के फुटेज गौर से देखेंगे तो इस रोग के पीड़ित हर जगह मिलेंगे.  

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जनता के पैसे से जनता की नुमाइंदगी करते हुए अगर थोड़ा बहुत नैतिक पतन हो भी गया तो क्या है. जनता तो मर्डर, रेप, करप्शन के आरोपियों तक को चुन कर कुर्सियों पर बैठा देती है तो अगर थोड़ा बहुत पोर्न देख लिया तो क्या सूली पर चढ़ा दोगे.





इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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