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व्यंग्य: नशा शराब में होता तो नाचती बोतल...

    • जितेंद्र कुमार
    • Updated: 07 मई, 2015 12:28 PM
  • 07 मई, 2015 12:28 PM
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ऐसा क्यों है कि किसी शराब पिए इंसान की अपनी सोच के बजाय शराब को ही कठघरे में खड़ा कर दिया जाता है?

नशे की हालत में अमूमन ड्राइव करना मना है. कानूनन और नैतिक रूप से. एक समझदार इंसान कभी भी कोई ऐसा काम नहीं करता जिससे उसकी या किसी और की जान खतरे में पड़ जाए. लेकिन 2002 की सितंबर की उस रात सलमान खान ने नशे की हालत में भी स्टीयरिंग खुद पकड़ी और नतीजा सबके सामने है. आमतौर पर यह जरूरी नहीं कि हर बार नशे की हालत में कोई हादसा हो ही, लेकिन संभावनाएं तो बढ़ ही जाती है. कई बार हादसों का न होना ही नशेबाजों को स्टीयरिंग पकड़ लेने का आत्मविश्वास देता है.

गलती सलमान खान ने की. लेकिन कठघरे में नशेबाजों को भी रखा जा रहा है. सामाजिक मापदंडों में शराब पीने वालों को गलत नजरिये से देखा जाता है. जबकि सच यह भी है कि हर रोज कितने ही लोग अपने घरों में या पबों में दो चार पैग पीकर आराम से बिना किसी को परेशान किये घर पहुँचते हैं. इनमे से कई दिन भर की थकान लिए होते हैं तो कई मनोरंजन के लिए या सोशल पार्टियों में शराब पीते हैं.

फिर ऐसा क्यों है कि किसी शराब पिए इंसान की अपनी सोच के बजाय शराब को ही कठघरे में खड़ा कर दिया जाता है? हर 25 वर्ष से ऊपर के व्यक्ति के लिए शराब सरकारी तौर से ठेकों पर उपलब्ध है. शराब पीने के ऊपर कोई कानूनी पाबन्दी नहीं है. जबकि शराब पीने के बाद ड्रायविंग पर भारी जुर्माना और सजा का प्रावधान है. शराब पीना अपराध नहीं है, बल्कि शराब पीकर गाड़ी चलाना अपराध है.

बॉलीवुड का ही एक मशहूर गाना है 'नशा शराब में होती तो नाचती बोतल, किसी को दौलत का नशा तो किसी को शोहरत का नशा' शराब के नशे में वाकई उत्तेजना होती है. इंसान की अपनी सोच मजबूत हो जाती है. लेकिन ऐसा नहीं है कि किसी शराबी इंसान को कुछ याद नहीं रहता. पुलिस के सामने पड़ते ही अच्छे अच्छे शराबी के व्यवहार में बदलाव हो जाता है. कोई शराब पिया इंसान अपने माँ बाप को नहीं भूलता. सीधे शब्दों में कहें तो शराब आपसे आपकी सीमाएं नहीं भुलवाता बल्कि उसी दायरे में आपको मजबूत बना जाता है.

ऊँची पंहुच और रसूख वाले लोग शराब के नशे में यह मान सकते हैं कि उनका कोई क्या कर लेगा. लेकिन यह सोच...

नशे की हालत में अमूमन ड्राइव करना मना है. कानूनन और नैतिक रूप से. एक समझदार इंसान कभी भी कोई ऐसा काम नहीं करता जिससे उसकी या किसी और की जान खतरे में पड़ जाए. लेकिन 2002 की सितंबर की उस रात सलमान खान ने नशे की हालत में भी स्टीयरिंग खुद पकड़ी और नतीजा सबके सामने है. आमतौर पर यह जरूरी नहीं कि हर बार नशे की हालत में कोई हादसा हो ही, लेकिन संभावनाएं तो बढ़ ही जाती है. कई बार हादसों का न होना ही नशेबाजों को स्टीयरिंग पकड़ लेने का आत्मविश्वास देता है.

गलती सलमान खान ने की. लेकिन कठघरे में नशेबाजों को भी रखा जा रहा है. सामाजिक मापदंडों में शराब पीने वालों को गलत नजरिये से देखा जाता है. जबकि सच यह भी है कि हर रोज कितने ही लोग अपने घरों में या पबों में दो चार पैग पीकर आराम से बिना किसी को परेशान किये घर पहुँचते हैं. इनमे से कई दिन भर की थकान लिए होते हैं तो कई मनोरंजन के लिए या सोशल पार्टियों में शराब पीते हैं.

फिर ऐसा क्यों है कि किसी शराब पिए इंसान की अपनी सोच के बजाय शराब को ही कठघरे में खड़ा कर दिया जाता है? हर 25 वर्ष से ऊपर के व्यक्ति के लिए शराब सरकारी तौर से ठेकों पर उपलब्ध है. शराब पीने के ऊपर कोई कानूनी पाबन्दी नहीं है. जबकि शराब पीने के बाद ड्रायविंग पर भारी जुर्माना और सजा का प्रावधान है. शराब पीना अपराध नहीं है, बल्कि शराब पीकर गाड़ी चलाना अपराध है.

बॉलीवुड का ही एक मशहूर गाना है 'नशा शराब में होती तो नाचती बोतल, किसी को दौलत का नशा तो किसी को शोहरत का नशा' शराब के नशे में वाकई उत्तेजना होती है. इंसान की अपनी सोच मजबूत हो जाती है. लेकिन ऐसा नहीं है कि किसी शराबी इंसान को कुछ याद नहीं रहता. पुलिस के सामने पड़ते ही अच्छे अच्छे शराबी के व्यवहार में बदलाव हो जाता है. कोई शराब पिया इंसान अपने माँ बाप को नहीं भूलता. सीधे शब्दों में कहें तो शराब आपसे आपकी सीमाएं नहीं भुलवाता बल्कि उसी दायरे में आपको मजबूत बना जाता है.

ऊँची पंहुच और रसूख वाले लोग शराब के नशे में यह मान सकते हैं कि उनका कोई क्या कर लेगा. लेकिन यह सोच उनके अंदर पहले से ही होती है. कुछ भी करके बच जाने की मानसिकता ही हमें मजबूर करती है कि शराब पीकर हम मनमानी हरकतें करने लगते हैं.

हमें पता है कि पकड़े जाने पर ट्रैफिक पुलिस के किये गए जुर्माने को दे देना कोई बड़ी बात नहीं है. इसलिए हम सडकों पर शराब पीकर गाड़ियां चला लेते हैं. लेकिन शायद ही कभी ऐसा होता हो कि हम शराब पीकर ऑफिस आने की सोचें. क्योंकि पहले से ही यह हमारे दिमाग में होता है कि हम शराब पीकर ऑफिस नहीं आ सकते. लेकिन दिक्कत तब होती है जब कोई बड़ा हादसा हो जाता है. ऐसे में भी रसूखदार कई तरीके से अपना बचाव या अपनी सजा कम करवा लेते हैं.

अभी 13 साल की लम्बी अदालती कार्रवाई के बाद, सलमान खान न केवल शराब पीकर गाड़ी चलाने के दोषी पाये गए हैं, बल्कि उनसे हुए हादसों में लोग मरे और घायल भी हुए थे. अगर उन्हें पीकर गाडी चलाने पर ही सजा हो गई होती, तो शायद भविष्य में वो दोबारा शराब पीकर गाड़ी नहीं चला रहे होते और ये हादसा नहीं होता.

सलमान खान एक अच्छे अभिनेता हैं. कम से कम दो पीढ़ियों के वे आदर्श रहे हैं. आज भी हम उनकी फिल्मों के लिए दीवाने हैं. ऐसे में उनको सजा न मिलना समाज में वही संदेश देगा कि रसूखदार कुछ भी करके बच सकता है. और इस तरह के हादसे और बढ़ेंगे.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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