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ईमेल और एलोपैथी भी बैन कर दीजिए सरकार !

    • मोहित चतुर्वेदी
    • Updated: 15 मार्च, 2017 01:05 PM
  • 15 मार्च, 2017 01:05 PM
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यूपी चुनाव में बीजेपी की जीत और ईवीएम में गड़बड़ी... इन दोनों की खूब चर्चा हो रही है. लेकिन सवाल है कि यदि ईवीएम के दुरुपयोग पर उसे बंद किया जा सकता है तो हैक तो ईमेल और डेबिट कार्ड भी होते हैं ?

यूपी चुनाव में बीजेपी की जीत और ईवीएम में गड़बड़ी... इन दोनों की खूब चर्चा हो रही है. बीजेपी की जीत एक आश्‍चर्यजनक सत्‍य है, जबकि ईवीएम की गड़बड़ी एक रहस्‍य. तरह-तरह की बातें हो रही हैं. ज्ञान परोसा जा रहा है कि इस वोटिंग मशीन को दुनिया के कई देशों ठुकरा दिया है. विधानसभा चुनाव में हार चख चुके लगभग सभी दल ईवीएम पर सवाल खड़े कर रहे हैं और इस पर बैन लगाने की मांग कर रहे हैं. बैन ही ईवीएम में गड़बड़ी का इलाज है, तो गड़बड़ी तो बहुत सारी चीजों में होती है. ईवीएम की तरह ही लगभग हर इलेक्‍ट्रॉनिक डिवाइस पर सवाल उठते हैं. एक बात ये भी है कि इलेक्टॉनिक डिवाइज आते हैं हमारी सहूलियत के लिए, न की परेशानी के लिए. तो क्‍या इन परेशानियों का एक ही हल है- बैन ? आइए जानते हैं अगर ये ईवीएम की तरह ही ये 5 चीजें और बैैन हो जाएं तो क्या होगा...

शुरुआत ईवीएम मशीन के बैन से

यूपी में बीजेपी की शानदार जीत के बाद खबरें आईं कि ईवीएम में गड़बड़ी है. आरोप लगा कि वोट किसी को भी वह दर्ज बीजेपी के खाते में हो रहा था. हालांकि, यह जवाब कोई नहीं दे पाया कि यदि ऐसा ही होता तो बीजेपी पंजाब, गोवा और मणिपुर में भी स्‍पष्‍ट बहुमत ले आती. लेकिन नेता पुराने दौर वाले मतपत्रों से मतदान की वकालत करने लगे हैं. लेकिन यह तर्क देने वाले नेता शायद वह दौर भूल गए, जब मतदान केंद्रों पर बाहुबली आकर मतपत्र छीन लेते थे. अपने रुतबे का खौफ दिखाते हुए मनमर्जी से जिसे चाहते थोक में वोट दिए जाते थे. उत्‍तर प्रदेश और बिहार में मतदान वाले दिन जमकर हथियार चलते थे और सैकड़ों जानें जाती थीं. लेकिन ईवीएम के दौर में यह खबरें नहीं आतीं. और यदि सबकुछ ठीक से निपट गया तो चुनाव नतीजे वाले दिन हजारों कर्मचारी बैठकर घंटों एक-एक मत गिनते थे. यदि मामूली गड़बड़ी हुई तो फिर से वोट गिने जाते थे.

यूपी चुनाव में बीजेपी की जीत और ईवीएम में गड़बड़ी... इन दोनों की खूब चर्चा हो रही है. बीजेपी की जीत एक आश्‍चर्यजनक सत्‍य है, जबकि ईवीएम की गड़बड़ी एक रहस्‍य. तरह-तरह की बातें हो रही हैं. ज्ञान परोसा जा रहा है कि इस वोटिंग मशीन को दुनिया के कई देशों ठुकरा दिया है. विधानसभा चुनाव में हार चख चुके लगभग सभी दल ईवीएम पर सवाल खड़े कर रहे हैं और इस पर बैन लगाने की मांग कर रहे हैं. बैन ही ईवीएम में गड़बड़ी का इलाज है, तो गड़बड़ी तो बहुत सारी चीजों में होती है. ईवीएम की तरह ही लगभग हर इलेक्‍ट्रॉनिक डिवाइस पर सवाल उठते हैं. एक बात ये भी है कि इलेक्टॉनिक डिवाइज आते हैं हमारी सहूलियत के लिए, न की परेशानी के लिए. तो क्‍या इन परेशानियों का एक ही हल है- बैन ? आइए जानते हैं अगर ये ईवीएम की तरह ही ये 5 चीजें और बैैन हो जाएं तो क्या होगा...

शुरुआत ईवीएम मशीन के बैन से

यूपी में बीजेपी की शानदार जीत के बाद खबरें आईं कि ईवीएम में गड़बड़ी है. आरोप लगा कि वोट किसी को भी वह दर्ज बीजेपी के खाते में हो रहा था. हालांकि, यह जवाब कोई नहीं दे पाया कि यदि ऐसा ही होता तो बीजेपी पंजाब, गोवा और मणिपुर में भी स्‍पष्‍ट बहुमत ले आती. लेकिन नेता पुराने दौर वाले मतपत्रों से मतदान की वकालत करने लगे हैं. लेकिन यह तर्क देने वाले नेता शायद वह दौर भूल गए, जब मतदान केंद्रों पर बाहुबली आकर मतपत्र छीन लेते थे. अपने रुतबे का खौफ दिखाते हुए मनमर्जी से जिसे चाहते थोक में वोट दिए जाते थे. उत्‍तर प्रदेश और बिहार में मतदान वाले दिन जमकर हथियार चलते थे और सैकड़ों जानें जाती थीं. लेकिन ईवीएम के दौर में यह खबरें नहीं आतीं. और यदि सबकुछ ठीक से निपट गया तो चुनाव नतीजे वाले दिन हजारों कर्मचारी बैठकर घंटों एक-एक मत गिनते थे. यदि मामूली गड़बड़ी हुई तो फिर से वोट गिने जाते थे.

लेकिन, छोडि़ए उन बातों को. यदि आम सहमति बन ही रही है तो चलते हैं फिर उसी पुराने दौर में. लेकिन, इसके साथ-साथ कुछ और चीजों को भी तिलांजलि देने के बारे में सोचते हैं, जो टेक्‍नोलॉजी लाई तो हमारी सुविधा के लिए है, लेकिन इनके आने से कुछ परेशानियां भी हुईं.

ऑनलाइन बैंकिंग बंद कीजिए

खबर तो ऐसी भी आती हैं कि ऑनलाइन बैंकिंग से कई लोगों को चूना लगा. किसी ने पासवर्ड हैक कर लिया. किसी के अकाउंट में गलत पैसा ट्रांसफर हो गया. जब ऐसा ही है तो बंद कर देना चाहिए ऑनलाइन बैंकिंग भी. वरना तो लोग ठगते ही रहेंगे. देखा जाए तो ऑनलाइन बैंकिंग लोगों की लाइफ लाइन सी बन गई है. मतलब बैंक जाने की जरूरत नहीं, घर बैठे बैंक के सारे काम हो जाते हैं. फिर भी शिकायतें तो हैं ही ना. तो एक बार आंखें बंद कीजिए और कल्‍पना कीजिए उस दौर की, जब हर छोटे-बड़े काम के लिए बैंक की लाइन में लगना पड़ता था. पीतल के टोकन पकड़ाए जाते थे और घंटों बाद नंबर आता था. फिर एक मोटा सा रजिस्‍टर लिए, बैंक का बाबू आपके जमा खर्च का हिसाब निकालकर आपकी जरूरत पूरी करता था.

ईमेल तो तत्‍काल ही बैन होना चाहिए

मान लिया कि सेकंड के सौवें हिस्‍से में आपकी बात धरती के इस कोने से दूसरे कोने तक पहुंच जाती है, लेकिन यहां भी खतरा तो है ही. ईमेल हैक नहीं होते हैं क्‍या. कोई हमारी चिट्ठी पढ़ ले, ऐसी टेक्‍नोलॉजी किस काम की. तो फिर चलते हैं उसी दौर में. अंतरर्देशीय पत्र. कुछ पर्सनल हुआ तो नीला वाला. नहीं तो पीला पोस्‍टकार्ड. भले हफ्तों-महीनो में आपकी बात पहुंचे, लेकिन रहेगा मामला गोपनीय. लौट जाइए, उसी दौर में. पोस्‍टमैन इज ए बिजीमैन.

डेबिट कार्ड बंद कीजिए

अभी-अभी की बात है. लाखों डेबिट कार्ड हैक हो गए थे. सभी बैंकों में हड़कंप मच गया था. असर क्‍या हुआ यह तो पता नहीं चला. लेकिन जो भी हुआ होगा, बुरा ही होगा. बैंक के स्‍तर पर हैकिंग की बात छोड़ दें तो पर्सनल लेवल पर भी खतरा तो रहता ही है. किसी के हाथ पिन लग गया तो रुपया जाते देर न लगेगी. ईवीएम हैकिंग जैसे किसी बड़े कांड से बचने के लिए हे सरकार, तुरंत ये डेबिट कार्ड वाली सुविधा भी छीन लो. पैसे लेने-देन के मामले से अपने डिजिटल इंडिया को दूर ही रखो. बैंक से पैसा लाना-ले जाना सुविधाजनक है. जब हम ईवीएम ठीक से नहीं चला पा रहे हैं तो डेबिट कार्ड तो पैसे वाला मामला है. मत भरोसा कीजिए.

एलोपैथी दवाईयां बैन कीजिए, आर्युवेदिक दवाई यूज करेंगे

ईवीएम विरोधी सभी नेतागणों से एक परेशानी शेयर करना चाहते हैं... ये एंटीबायोटिक खाते हैं तो पेट दुखता है. कुछ दवाओं से तो खुजली भी होती है. ये और बात है कि डॉक्‍टर इसे साइड इफेक्‍ट कहकर दूसरी दवा लिख देते हैं. लेकिन आपके इस ईवीएम वाले ज्ञान से एक विचार आ रहा है कि क्‍यों न इन एलोपैथी वाली दवाओं पर रोक लगा दी जाए. न ऐसी दवा होगी, न उसका साइड इफेक्‍ट. लौट चाहते हैं, उसी काढ़ा, अर्क और अवलेह वाली दुनिया में. सबकुछ हर्बल. यदि मॉडर्न होने की बात चलेगी तो होम्योपैथी से काम चला लेंगे. जीरो साइड इफेक्‍ट.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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