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कतार का भी अपना मज़ा है....

    • अबयज़ खान
    • Updated: 12 नवम्बर, 2016 01:53 PM
  • 12 नवम्बर, 2016 01:53 PM
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न हिन्दू, न मुसलमान का भेद, न जाति न ऊंच नीच, न दंगा न फ़साद, मोहल्ले के जिन लोगों को एक दूसरे की शक्लें देखे ज़माने हो जाते थे वो अब कतार में खड़े होकर एक दूसरे का हाल चाल जान रहे हैं.

ब्लैक को व्हाइट करने का सरकार का ये आइडिया कुछ लोगों को पसंद नहीं आया है और मुझे भी इसमें कुछ तकनीकी खामियां नज़र आती हैं, लेकिन कतार में इतने दिन बाद इतने सारे लोगों को एक साथ खड़ा देखा है. भइया बड़ा मज़ा आ रहा है. सक्सेना जी की भाषा में बोलूं तो "आई लाइक इट" बड़े दिनों बाद एक साथ लोग कतार में खड़े हैं.

ये भी पढ़ें- करंसी बैन को लेकर वो जवाब जो शायद आसानी से नहीं मिलेंगे!

न हिन्दू, न मुसलमान का भेद, न जाति न ऊंच नीच, न दंगा न फ़साद, मोहल्ले के जिन लोगों को एक दूसरे की शक्लें देखे ज़माने हो जाते थे वो अब कतार में खड़े होकर एक दूसरे का हाल चाल जान रहे हैं.  शर्मा जी.. वर्मा जी.. खान साहब.. कितने दिन बाद एक ही सफ में खड़े हैं. न कोई बन्दा रहा न कोई मेहमूद ओ अयाज़. कितने दिन बाद सब एक दूसरे की खेरियत पूछ रहे हैं. चार-चार घंटे लाइन में खड़े हैं. लंबी-लंबी टेढ़ी-मेढ़ी कितनी अच्छी लग रही हैं कतारें. जेब खाली है.

 सांकेतिक फोटो

पैसे हैं फिर भी नहीं हैं. ऊपर से चिंता ये भी है कि ये मुआ 2000 का नोट. अब घूस के दाम भी बढ़ जाएंगे. आंटियां एक दूसरे का हाल चाल ले रही हैं. सरकार को गाली देने के साथ साथ आने वाली सर्दियों पर चर्चा हो रही है. आटे दाल का भाव सरकार पहले ही बता चुकी है. औरतों की परेशानी ये है कि पतियों से बचा के जो "काला धन" रखा था उसे बिना उनको बताए सफ़ेद कैसे करें. आन्टियों की माथा पच्ची इसी पर है. बड़े दिनों बाद सास बहू और नागिन से निकलकर देश पर चर्चा हो रही है.

ब्लैक को व्हाइट करने का सरकार का ये आइडिया कुछ लोगों को पसंद नहीं आया है और मुझे भी इसमें कुछ तकनीकी खामियां नज़र आती हैं, लेकिन कतार में इतने दिन बाद इतने सारे लोगों को एक साथ खड़ा देखा है. भइया बड़ा मज़ा आ रहा है. सक्सेना जी की भाषा में बोलूं तो "आई लाइक इट" बड़े दिनों बाद एक साथ लोग कतार में खड़े हैं.

ये भी पढ़ें- करंसी बैन को लेकर वो जवाब जो शायद आसानी से नहीं मिलेंगे!

न हिन्दू, न मुसलमान का भेद, न जाति न ऊंच नीच, न दंगा न फ़साद, मोहल्ले के जिन लोगों को एक दूसरे की शक्लें देखे ज़माने हो जाते थे वो अब कतार में खड़े होकर एक दूसरे का हाल चाल जान रहे हैं.  शर्मा जी.. वर्मा जी.. खान साहब.. कितने दिन बाद एक ही सफ में खड़े हैं. न कोई बन्दा रहा न कोई मेहमूद ओ अयाज़. कितने दिन बाद सब एक दूसरे की खेरियत पूछ रहे हैं. चार-चार घंटे लाइन में खड़े हैं. लंबी-लंबी टेढ़ी-मेढ़ी कितनी अच्छी लग रही हैं कतारें. जेब खाली है.

 सांकेतिक फोटो

पैसे हैं फिर भी नहीं हैं. ऊपर से चिंता ये भी है कि ये मुआ 2000 का नोट. अब घूस के दाम भी बढ़ जाएंगे. आंटियां एक दूसरे का हाल चाल ले रही हैं. सरकार को गाली देने के साथ साथ आने वाली सर्दियों पर चर्चा हो रही है. आटे दाल का भाव सरकार पहले ही बता चुकी है. औरतों की परेशानी ये है कि पतियों से बचा के जो "काला धन" रखा था उसे बिना उनको बताए सफ़ेद कैसे करें. आन्टियों की माथा पच्ची इसी पर है. बड़े दिनों बाद सास बहू और नागिन से निकलकर देश पर चर्चा हो रही है.

ये भी पढ़ें- 500-1000 के नोट बैन, अफवाहें छुट्टा घूम रहीं

सास बहू सबका दुःख एक जैसा ही है. ऊपर से कमबख्त नमक ने और ज़ायका बिगाड़ दिया. कित्ता अच्छा लग रहा है, पहली बार पूरा देश आटे दाल पर एक साथ चर्चा कर रहा है. नई उम्र के लड़के लड़कियां स्मार्टफोन के साथ और स्मार्ट कैसे बनें इस पर चर्चा कर रहे हैं. शादियों का सीज़न है तो लड़कियों की चिंता आई लाइनर से लेकर सजने संवरने में है. सहेली की शादी में नया सूट भी लेना है. लेकिन इत्ते कम पैसे में सब कैसे होगा.

जब दिमाग में ये बात आती है तो बीच बीच में सरकार को दे गाली.. दे गाली.. मोहल्ले के कुछ खपची बुड्ढे जो हमेशा ज्ञान पेलते रहते थे उन्हें भी काम मिल गया है. 3-4 घंटे कतार में रहकर कम से कम बैंक से 4 हज़ार रुपए तो बदल कर लाएंगे. चौक पर बैठकर तो खलिहर ही थे. कोई काम धंधा नहीं था. दिल्ली में कतार में खड़े कुछ लोग बात कर रहे थे कि भइया अब पूरी दुनिया मोदी जी के इशारे पर चल रही है. देखिए उन्होंने ट्रम्प को अमरीका का राष्ट्रपति बनवा दिया. इत्ता ही नहीं. सुना है गिनीज़ बुक वालों की भी इन कतारों पर नज़र है. योग के बाद एक साथ इत्ती ढेर सारी लंबी-लंबी कतारें लगने का रिकॉर्ड भी भारत के नाम होने वाला है. सच में बड़ा मज़ा आ रहा है. "आई लाइक इट".

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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