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ड्रैगन के गुरुत्वाकर्षण से भारत में गिरा ‘एपल’

    • राहुल मिश्र
    • Updated: 22 दिसम्बर, 2015 08:37 PM
  • 22 दिसम्बर, 2015 08:37 PM
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कुछ दिनों पहले लांच आई फोन के नए वैरिएंट की सेल से परेशान कंपनी को कीमतों में कटौती करनी पड़ी. यही आलम रहा तो यकीन कीजिए अगले 2-3 महीनों में एक बार फिर कीमतों में कटौती की उम्मीद दिखाई दे रही है.

शियोमी, जियोनी, कूलपैड, OVI ये तमाम उन चाइनीज कंपनियों के नाम हैं जिन्होंने पिछले दो साल में भारत के बाजार में अपनी धाक जमाई है. इन सभी कंपनियों ने आम आदमी के बजट में आने आने वाले ऐसे स्मार्टफोन दिए जो किसी भी महंगे फोन के फीचर्स से युक्त हैं. इन स्मार्टफोन ने बस एक सूत्री कार्यक्रम के तहत भारत के स्मार्टफोन बाजार पर ड्रैगन का टैरर फैलाने का काम किया है. ट्रैरर भी ऐसा कि भारत में मोबाइल फोन बनाने वाली एकमात्र कंपनी नोकिया ने अपनी फैक्ट्री बंद कर दी और भारत को बड़ा बाजार मानने वाली स्मार्टफोन कंपनी एप्पल की अपनी सेहत खराब हो गई. एप्पल की इस बीमारी का सबसे ज्यादा साइडइफेक्ट उन कस्टमर्स पर पड़ा जिन्होंने पिछले हफ्ते तक नया आईफोन खरीदा. लॉंच होने के 2 महीने के भीतर ही खबर आ गई कि कंपनी ने अपने लेटेस्ट स्मार्टफोन के दाम 16 फीसदी की कटौती कर दी है. अब इसे ड्रैगन का टेरर कहें या भारतीय उपभोक्ताओं के सिर से एप्पल का उतरता बुखार.

पिछले कुछ सालों का यह ट्रेंड रहा है कि एपल का नया आई-फोन बाजार में लॉच होने से पहले ही पूरे प्रोडक्ट लाइन की एडवांस बुकिंग हो जाती है. अमेरिका, चीन और यूरोप के बाजार में इसे लांच करने के ले वीक एंड का चुनाव किया जाता है. इसके चलते शुक्रवार रात से ही उपभोक्ताओं की लंबी कतार कंपनी के स्टोर पर जमा होने लगती है जिससे शनिवार सुबह स्टोर खुलते ही वह सबसे पहले अपना एपल डिवाइस पा सके. नए प्रोडक्ट के लिए ऐसा क्रेज अमेरिका और यूरोप की खासियत है, अब चाहे वह कोई इलेक्ट्रॉनिक गैजेट हो या फिर जेके रॉलिंग की फिक्शन नॉवेल हैरी पॉटर.

ऐसा नहीं कि इस तरह का क्रेज एशियाई देशों में नहीं दिखता. यह दीवानगी ऊंचे स्टेटस के लिए चमकदार ‘एपल’ और गैजेट को सबसे पहले पाने की होड़ के कारण है. चाइनीज फोन के लिए यह कशिश ई-कॉमर्स कंपनियों की फ्लैश सेल, प्री रजिस्ट्रेशन और एक्सक्लूसिव टाई-अप में देखने को मिलती है. वहीं आईफोन के दीवाने अब भारत में केवल वही लोग हैं जिनकी धाक पर बट्टा नॉन एपल या फिर चाइनीज ब्रांड का फोन इस्तेमाल करने...

शियोमी, जियोनी, कूलपैड, OVI ये तमाम उन चाइनीज कंपनियों के नाम हैं जिन्होंने पिछले दो साल में भारत के बाजार में अपनी धाक जमाई है. इन सभी कंपनियों ने आम आदमी के बजट में आने आने वाले ऐसे स्मार्टफोन दिए जो किसी भी महंगे फोन के फीचर्स से युक्त हैं. इन स्मार्टफोन ने बस एक सूत्री कार्यक्रम के तहत भारत के स्मार्टफोन बाजार पर ड्रैगन का टैरर फैलाने का काम किया है. ट्रैरर भी ऐसा कि भारत में मोबाइल फोन बनाने वाली एकमात्र कंपनी नोकिया ने अपनी फैक्ट्री बंद कर दी और भारत को बड़ा बाजार मानने वाली स्मार्टफोन कंपनी एप्पल की अपनी सेहत खराब हो गई. एप्पल की इस बीमारी का सबसे ज्यादा साइडइफेक्ट उन कस्टमर्स पर पड़ा जिन्होंने पिछले हफ्ते तक नया आईफोन खरीदा. लॉंच होने के 2 महीने के भीतर ही खबर आ गई कि कंपनी ने अपने लेटेस्ट स्मार्टफोन के दाम 16 फीसदी की कटौती कर दी है. अब इसे ड्रैगन का टेरर कहें या भारतीय उपभोक्ताओं के सिर से एप्पल का उतरता बुखार.

पिछले कुछ सालों का यह ट्रेंड रहा है कि एपल का नया आई-फोन बाजार में लॉच होने से पहले ही पूरे प्रोडक्ट लाइन की एडवांस बुकिंग हो जाती है. अमेरिका, चीन और यूरोप के बाजार में इसे लांच करने के ले वीक एंड का चुनाव किया जाता है. इसके चलते शुक्रवार रात से ही उपभोक्ताओं की लंबी कतार कंपनी के स्टोर पर जमा होने लगती है जिससे शनिवार सुबह स्टोर खुलते ही वह सबसे पहले अपना एपल डिवाइस पा सके. नए प्रोडक्ट के लिए ऐसा क्रेज अमेरिका और यूरोप की खासियत है, अब चाहे वह कोई इलेक्ट्रॉनिक गैजेट हो या फिर जेके रॉलिंग की फिक्शन नॉवेल हैरी पॉटर.

ऐसा नहीं कि इस तरह का क्रेज एशियाई देशों में नहीं दिखता. यह दीवानगी ऊंचे स्टेटस के लिए चमकदार ‘एपल’ और गैजेट को सबसे पहले पाने की होड़ के कारण है. चाइनीज फोन के लिए यह कशिश ई-कॉमर्स कंपनियों की फ्लैश सेल, प्री रजिस्ट्रेशन और एक्सक्लूसिव टाई-अप में देखने को मिलती है. वहीं आईफोन के दीवाने अब भारत में केवल वही लोग हैं जिनकी धाक पर बट्टा नॉन एपल या फिर चाइनीज ब्रांड का फोन इस्तेमाल करने पर लगता है. वरना 60 से 80 हजार रुपये के एपल फोन जैसी हर खूबी महज 20 हजार रुपये खर्च करके आप तमाम चाइनीज स्मार्टफोन में मिलती है.

लिहाजा, आईफोन के रुतबे को बरकरार रखने की कोशिश में कंपनी ने आईफोन 6एस और 6एस प्लस के रेट को 16 फीसदी कम कर दिया है और पिछले हफ्ते ही आईफोन 5 की कीमतों में 40 फीसदी की कटौती कर दी है. लेकिन कंपनी की बैलेंसशीट पर ज्यादा असर न दिखे इसके लिए आईफोन 6 को पहले से ज्यादा प्रीमियम पर बेचना शुरू कर दिया है.

दरअसल, भारत में आईफोन के नए रेंज की सेल बढ़ाने के लिए पहली बार एप्पल ने खास रुची दिखाई. जिसके चलते पश्चिमी देशों में लांच के कुछ ही दिनों बाद भारत में गिफ्ट फैस्टिवल यानी दिवाली के मौके आईफोन 6एस और 6एस प्लस की लांच रखी गई. इस दौरान कंपनी को बेहद उत्साही रेस्पॉस मिला क्योंकि भारत से रिकॉर्ड शिपमेंट का ऑर्डर मिला. दीवाली का त्यौहार खत्म हुआ और भारत में आईफोन 6एस और 6एस प्लस की सेल में जोरदार गिरावट दर्ज होने लगी. हर महीने शिपमेंट ऑर्डर में दर्ज हो रही है गिरावट से कंपनी को अपना टारगेट फेल होने का डर सताने लगा. लिहाजा, मजबूर होकर कंपनी को क्रिसमस और न्यू ईयर से पहले कीमतों में बड़ी कटौती का एलान करना पड़ा.

क्या करें उपभोक्ता
यह इयर एंडर है. भारतीय उपभोक्ता दिसंबर में अपने क्लोजिंग वार्षिक बजट को बैलेंस कर रहा है वहीं नए साल की उम्मीदों पर नई चुनौतियां का खतरा भी मंडरा रहा है. लिहाजा उम्मीद है कि न्यू ईयर के अलावा मार्च में पड़ी रही होली तक एप्पल की स्ट्रैटेजी को खास कारगर नहीं होगी. लिहाजा अगले तीन महीनों में एप्पल पर एक बार फिर आईफोन 6एस और 6एस प्लस कीमतों में कटौती को अंजाम दे सकती है.

 

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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