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पनामा पेपर्स से पाकिस्तान और चीन की सरकार को खतरा

    • राहुल मिश्र
    • Updated: 05 अप्रिल, 2016 05:21 PM
  • 05 अप्रिल, 2016 05:21 PM
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जूलियन असांज और एडवर्ड स्नोडेन के खुलासों की तरह ही पनामा पेपर्स लीक पर भी सवाल नहीं उठाया जा रहा है. बल्कि इस खुलासे से माना जा रहा है कि दुनियाभर में ब्लैकमनी को टैक्स से सुरक्षित करने का यही बेजोड़ तरीका है.

माइकल स्नोडेन ने 2013 में अमेरिकी सुरक्षा एजेंसी के संवेदनशील आंकड़ों को चोरी कर इंटरनेट पर पब्लिक कर दिया था. स्नोडेन के इन लीक्स ने अमेरिकी सुरक्षा एजेंसी के कामकाज के तरीकों को जगजाहिर किया जिसने दुनियाभर में तहलका मचा दिया. अपनी जिंदगी बचाने के लिए स्नोडेन को पहले दर-दर भटकना पड़ा. एक बार फिर इससे भी बड़ा एक खुलासा पूरी दुनिया को अपनी चपेट में ले रहा है. पनामा पेपर्स नाम से हुए इस खुलासे ने पूरी दुनिया के सामने रख दिया है कि कैसे कई देशों में अमीर जिसमें राजनेता, बिजनेसमैन और कलाकार जैसे लोग शामिल हैं, अपने देश में टैक्स चोरी कर अपना पैसा विदेशों में जमा कराते हैं.

पनामा पेपर्स की संज्ञा उन एक करोड़ दस लाख गोपनीय दस्तावेजों को दी जा रही है जिसे लैटिन अमेरिकी देश पनामा की एक लॉ फर्म मोसाक फोनसेका से चोरी कर जारी किया गया है. यह फर्म दुनियाभर में रईसों को किसी अन्य देश में कंपनी बनाकर पैसे सुरक्षित करने पर सलाह देती है. इन खुलासों के मुताबिक मोसाक फोनसेका ने 2 लाख से ज्यादा कंपनियां बनवाई जिसमें दुनियाभर से 14 हजार से अधिक खाताधारक हैं. इस सूची में लगभग विश्व स्तर के 143 राजनेता शामिल हैं जिसमें लगभग 12 के आसपास ऐसे नेता हैं जिनके हाथ में देश की राजनीतिक कमान है. मोसाक फोनसेका के इन्हीं गोपनीय पनामा पेपर्स में चीन, पाकिस्तान, भारत समेत कई देशों के प्रतिष्ठित लोग शामिल हैं. भारत में जहां कई उद्योगपतियों और कलाकारों के नाम इन पेपर्स में शामिल हैं वहीं सबसे खतरनाक सूची चीन, पाकिस्तान और रूस जैसे देशों की है जहां सत्ताधारी राजनेता जैसे शी जिनपिंग, नवाज शरीफ और ब्लादिमीर पुतिन के नजदीकियों पर उंगली उठाई गई है.

गौरतलब है कि जूलियन असांज और एडवर्ड स्नोडेन के खुलासों की तरह ही पनामा पेपर्स लीक पर भी सवाल नहीं उठाया जा रहा है. बल्कि इस खुलासे से माना जा रहा है कि दुनियाभर में ब्लैकमनी को टैक्स से सुरक्षित करने का यही बेजोड़ तरीका है. हालांकि टैक्स चोरी के लिए बनाई गई इन कंपनियों की सूची से चीन और पाकिस्तान जैसे देशों गंभीर...

माइकल स्नोडेन ने 2013 में अमेरिकी सुरक्षा एजेंसी के संवेदनशील आंकड़ों को चोरी कर इंटरनेट पर पब्लिक कर दिया था. स्नोडेन के इन लीक्स ने अमेरिकी सुरक्षा एजेंसी के कामकाज के तरीकों को जगजाहिर किया जिसने दुनियाभर में तहलका मचा दिया. अपनी जिंदगी बचाने के लिए स्नोडेन को पहले दर-दर भटकना पड़ा. एक बार फिर इससे भी बड़ा एक खुलासा पूरी दुनिया को अपनी चपेट में ले रहा है. पनामा पेपर्स नाम से हुए इस खुलासे ने पूरी दुनिया के सामने रख दिया है कि कैसे कई देशों में अमीर जिसमें राजनेता, बिजनेसमैन और कलाकार जैसे लोग शामिल हैं, अपने देश में टैक्स चोरी कर अपना पैसा विदेशों में जमा कराते हैं.

पनामा पेपर्स की संज्ञा उन एक करोड़ दस लाख गोपनीय दस्तावेजों को दी जा रही है जिसे लैटिन अमेरिकी देश पनामा की एक लॉ फर्म मोसाक फोनसेका से चोरी कर जारी किया गया है. यह फर्म दुनियाभर में रईसों को किसी अन्य देश में कंपनी बनाकर पैसे सुरक्षित करने पर सलाह देती है. इन खुलासों के मुताबिक मोसाक फोनसेका ने 2 लाख से ज्यादा कंपनियां बनवाई जिसमें दुनियाभर से 14 हजार से अधिक खाताधारक हैं. इस सूची में लगभग विश्व स्तर के 143 राजनेता शामिल हैं जिसमें लगभग 12 के आसपास ऐसे नेता हैं जिनके हाथ में देश की राजनीतिक कमान है. मोसाक फोनसेका के इन्हीं गोपनीय पनामा पेपर्स में चीन, पाकिस्तान, भारत समेत कई देशों के प्रतिष्ठित लोग शामिल हैं. भारत में जहां कई उद्योगपतियों और कलाकारों के नाम इन पेपर्स में शामिल हैं वहीं सबसे खतरनाक सूची चीन, पाकिस्तान और रूस जैसे देशों की है जहां सत्ताधारी राजनेता जैसे शी जिनपिंग, नवाज शरीफ और ब्लादिमीर पुतिन के नजदीकियों पर उंगली उठाई गई है.

गौरतलब है कि जूलियन असांज और एडवर्ड स्नोडेन के खुलासों की तरह ही पनामा पेपर्स लीक पर भी सवाल नहीं उठाया जा रहा है. बल्कि इस खुलासे से माना जा रहा है कि दुनियाभर में ब्लैकमनी को टैक्स से सुरक्षित करने का यही बेजोड़ तरीका है. हालांकि टैक्स चोरी के लिए बनाई गई इन कंपनियों की सूची से चीन और पाकिस्तान जैसे देशों गंभीर राजनीतिक असर देखने को मिल सकता है और वहीं रूस में ब्लादिमीर पुतिन के लिए चुनौती बढ़ सकती है.

मोसाक फोनसेका

पनामा पेपर्स के खुलासे के मुताबिक पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के तीन बच्चों- मरियम शरीफ, हसन शरीफ और हुसैन शरीफ ने मोसाक फोनसेका की सेवाएं लेते हुए टैक्स हैवन कहे जाने वाले देशों में कई कंपनियों का गठन समय-समय पर किया है. इसके अलावा इन पेपर्स में पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो, उनके भतीजे हसन अली जाफरी और पूर्व होम मिनिस्टर रेहमान मलिक भी ऐसी ही एक कंपनी में डायरेक्टर होने का ओहदा रखते थे. साथ ही पूर्व प्रधानमंत्री और बेनजीर भुट्टो के पति आसिफ अली जरदारी के बेहद करीबी जावेद पाशा ऐसी लगभग 5 कंपनियों में डायरेक्टर रहे हैं.

वहीं चीन में राष्ट्रपति शी जिनपिंग के नजदीकी रिश्तेदार समेत देश के कई बड़े मौजूदा और पूर्व नेताओं के नाम पनामा पेपर्स में शामिल हैं. हालांकि चीन सरकार की तरफ से बयान जारी कर कहा गया है कि इन दस्तावेजों द्वारा लगाए जा रहे सभी आरोप बेबुनियाद हैं. साथ ही चीन में इस खबर से संबंधित सभी वेबसाइट को बंद कर दिया गया है. और रूस ने अपने राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन के नजदीकियों पर लगे आरोपों को खारिज करने के लिए दावा किया है कि यह एक अमेरिकी साजिश है जिसका आधार उनका ब्लादिमीर पुतिन से डर (पुतिनफोबिया) है.

अब अपनी सफाई में भले कोई देश कुछ भी कहे लेकिन एक बात साफ है कि इस खुलासे ने राजनेताओं समेत उन बड़े उद्योगपतियों को बेनकाब कर दिया है जो अपने देश में टैक्स की चोरी करते हैं. टैक्स की चोरी देश के खजाने से चोरी है और अगर किसी देश का सर्वोच्च नेता ऐसी चोरी करते हुए पाया जाता है तो उसके लिए सबसे पहली सजा यही है कि उसे सत्ता से दूर कर दिया जाए. लिहाजा आने वाले दिनों में इस खुलासे का राजनीतिक असर पाकिस्तान और चीन में देखने को मिल सकता है.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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