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जकरबर्ग से पूछे जाने चाहिए ये 5 सवाल

    • राहुल मिश्र
    • Updated: 27 अक्टूबर, 2015 04:08 PM
  • 27 अक्टूबर, 2015 04:08 PM
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फेसबुक का दुनियाभर में 400 करोड़ लोगों को इंटरनेट पहुंचाना कोई परमार्थ नहीं है. इस काम में बड़ा निवेश है तो बदले में बड़ा मुनाफा भी. अब क्या यह निवेश सिर्फ टेक्स पेयर के पैसे से हो और मुनाफा कुछ चुनिंदा टेक्नोलॉजी कंपनियों का?

दुनियाभर की टेक्नोलॉजी कंपनियों की नजर हमारे बाजार पर है. हमें भी अपने टेक्नोलॉजिकल डेवलपमेंट के लिए इन कंपनियों की जरूरत है. इसीलिए हाल में अपने सिलिकन वैली दौरे पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने फेसबुक के सीईओ मार्क जकरबर्ग के साथ टाउनहाल चर्चा की थी. इस चर्चा के दौरान मोदी-जकरबर्ग पर दुनियाभर से सवालों की बौछार हुई, हालांकि जकरबर्ग ने वे सवाल ही उठाए, जिससे उनकी कंपनी या सोशल मीडिया की मार्केटिंग हो सके. अब एक बार फिर मार्क बुधवार को मार्क भारत आ रहे हैं और आईआईटी दिल्ली में टाउनहॉल सभा आयोजित कर रहे हैं. भारत एक लोकतांत्रिक परंपराओं वाला देश है और फेसबुक को स्वतंत्र सवालों से दिक्कत महसूस हो रही है. लिहाजा इस टाउनहाल में पूछे जाने वाले सवालों को कंपनी ने पहले इकट्ठा करना शुरू कर दिया है और फिर मीट शुरू होने के बाद काट-छांट के बाद सवालों को जगह दी जाएगी.

देश में फिलहाल 30 करोड़ लोगों तक इंटरनेट की पहुंच है. अभी भी 100 करोड़ लोगों तक इसे पहुंचना बाकी और यही फेसबुक का इंडिया इंटरेस्ट है. क्योंकि फेसबुक अपने इंटरनेट डॉट ओआरजी की मदद से पूरी दुनिया में इंटरनेट से अछूते 400 करोड़ लोगों को जोड़ने का सपना सजोए बैठा हैं. और जब अकेले भारत में उसके टार्गेट का एक चौथाई हिस्सा मौजूद है तो आईआईटी दिल्ली में कराए जा रहे टाउनहाल मीट में जकरबर्ग को भारत में इन कठिन सवालों का जवाब देना पड़ेगा.

1. क्या फेसबुक का इटरनेट डॉट ओआरजी कार्यक्रम भारत में नेट न्यूट्रैलिटी का विरोधी है, अगर ऐसा नहीं है तो फिर क्यों फेसबुक ने महज रिलायंस के साथ अपने इस प्रोजेक्ट के लिए पार्टनरशिप की है?

2. फेसबुक और व्हाट्स एप्प जैसे सोशल मीडिया प्लैटफार्म का देश की अर्थव्यवस्था में क्या योगदान है. जिस तरह से ये प्लैटफॉर्म इंटरनेट डेटा की खपत कराकर मुनाफा कमा रहे हैं, इस मुनाफे में देश को क्या वापस मिल रहा है?

3. मोदी और जकरबर्ग की सिलिकन वैली में मुलाकात की ही तर्ज पर चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से भी मुलाकात हुई थी. हालांकि, चीन ने फेसबुक को दो...

दुनियाभर की टेक्नोलॉजी कंपनियों की नजर हमारे बाजार पर है. हमें भी अपने टेक्नोलॉजिकल डेवलपमेंट के लिए इन कंपनियों की जरूरत है. इसीलिए हाल में अपने सिलिकन वैली दौरे पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने फेसबुक के सीईओ मार्क जकरबर्ग के साथ टाउनहाल चर्चा की थी. इस चर्चा के दौरान मोदी-जकरबर्ग पर दुनियाभर से सवालों की बौछार हुई, हालांकि जकरबर्ग ने वे सवाल ही उठाए, जिससे उनकी कंपनी या सोशल मीडिया की मार्केटिंग हो सके. अब एक बार फिर मार्क बुधवार को मार्क भारत आ रहे हैं और आईआईटी दिल्ली में टाउनहॉल सभा आयोजित कर रहे हैं. भारत एक लोकतांत्रिक परंपराओं वाला देश है और फेसबुक को स्वतंत्र सवालों से दिक्कत महसूस हो रही है. लिहाजा इस टाउनहाल में पूछे जाने वाले सवालों को कंपनी ने पहले इकट्ठा करना शुरू कर दिया है और फिर मीट शुरू होने के बाद काट-छांट के बाद सवालों को जगह दी जाएगी.

देश में फिलहाल 30 करोड़ लोगों तक इंटरनेट की पहुंच है. अभी भी 100 करोड़ लोगों तक इसे पहुंचना बाकी और यही फेसबुक का इंडिया इंटरेस्ट है. क्योंकि फेसबुक अपने इंटरनेट डॉट ओआरजी की मदद से पूरी दुनिया में इंटरनेट से अछूते 400 करोड़ लोगों को जोड़ने का सपना सजोए बैठा हैं. और जब अकेले भारत में उसके टार्गेट का एक चौथाई हिस्सा मौजूद है तो आईआईटी दिल्ली में कराए जा रहे टाउनहाल मीट में जकरबर्ग को भारत में इन कठिन सवालों का जवाब देना पड़ेगा.

1. क्या फेसबुक का इटरनेट डॉट ओआरजी कार्यक्रम भारत में नेट न्यूट्रैलिटी का विरोधी है, अगर ऐसा नहीं है तो फिर क्यों फेसबुक ने महज रिलायंस के साथ अपने इस प्रोजेक्ट के लिए पार्टनरशिप की है?

2. फेसबुक और व्हाट्स एप्प जैसे सोशल मीडिया प्लैटफार्म का देश की अर्थव्यवस्था में क्या योगदान है. जिस तरह से ये प्लैटफॉर्म इंटरनेट डेटा की खपत कराकर मुनाफा कमा रहे हैं, इस मुनाफे में देश को क्या वापस मिल रहा है?

3. मोदी और जकरबर्ग की सिलिकन वैली में मुलाकात की ही तर्ज पर चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से भी मुलाकात हुई थी. हालांकि, चीन ने फेसबुक को दो टूक जवाब देते हुए उसे अपने देश में न घुसने देने के लिए नियमों को कड़ा कर दिया. इसके साथ ही चीन ने अपना खुद का फेसबुक जैसा प्लेटफार्म वाइबो विकसित कर लिया. चीन जैसी चुनौती भारत से मिली तो क्या करेगा फेसबुक?

4. मोदी से मुलाकात के बाद डिजिटल इंडिया के रंग में प्रोफाइल फोटो बदलने से फेसबुक को कितना फायदा हुआ. प्रधानमंत्री मोदी के साथ मुलाकात के बाद जकरबर्ग ने अपने प्रोफाइल इमेज को तिरंगे में बदलकर पूरे देश से ऐसा करने के लिए प्रेरित किया. लाखों लोगों ने मार्क को फॉलो करते हुए ऐसा किया लेकिन करोड़ों को यह समझ नहीं आया कि ऐसा करने से इंडिया डिजिटल कैसे बन जाएगा?

5. डिजिटल इंडिया बनाने के लिए जरूरी इंफ्रा डेवलपमेंट में फेसबुक क्या योगदान करेगी. क्या फेसबुक और गूगल जैसी ग्लोबल टेक्नोलॉजी कंपनियों को देश में रेडिमेड इंफ्रा की जरूरत है. यह इंफ्रा देश की सरकार टैक्स पेयर के पैसे से बना रहा है और ग्लोबल टेक्नोलॉजी कंपनियां महज अपने अंतरराष्ट्रीय वर्चस्व के चलते यूजर्स का अपने फायदे के लिए इस्तेमाल करती है. इसके बावजूद वह दुनियाभर में लोगों को इंटरनेट से जोड़ने के काम को महान कृत्य बता कर अपना विस्तार करती हैं. जब इन सुविधाओं के इस्तेमाल के लिए देश में बेसिक इंफ्रास्ट्रक्चर की जरूरत है तो क्या इन कंपनियों का इस इंफ्रास्ट्रक्चर को तैयार करने में योगदान नहीं होना चाहिए?

क्या फेसबुक भारत में किसी तरह के टैक्स का भुगतान करता है. दुनियाभर में फेसबुक का दूसरा सबसे बड़ा यूजरबेस भारत में है. लिहाजा, बड़ी मात्रा में भारत से यूजर्स द्वारा कंटेंट तैयार किया जा रहा है जिसका उसे कोई फायदा नहीं मिल रहा है. देखा जाए तो वह उच्च दरों पर इंटरनेट सेवा ले रहा है और मुफ्त में इन सोशल मीडिया कंपनियों को कंटेंट और जानकारियां दे रहा है जिससे उसे मोटा मुनाफा हो रहा है. इसके साथ ही आपको जानकार आश्चर्य होगा कि फेसबुक भारत में किसी तरह के सर्विस टैक्स का भुगतान नहीं करती.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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