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दुनिया के अमीरों की दौलत से समाज विभाजन का खतरा

    • जगत सिंह
    • Updated: 17 जनवरी, 2017 01:47 PM
  • 17 जनवरी, 2017 01:47 PM
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भारतीय जनसंख्या की सम्पत्ति के बारे में ऑक्सफैम की जारी रिपोर्ट के अनुसार भारत की 58 प्रतिशत संपत्ति देश के 1 प्रतिशत अमीरों के पास है यानी भारत में अमीरों और गरीबों के बीच असंतुलन दुनिया के औसत से ज्यादा है.

गरीबी उन्मूलन के लिए काम कर रहे गैर सरकारी संगठनों के समूह ऑक्सफेम ने दावा किया है कि महज़ 8 उद्योगपतियों के पास दुनिया की आधी आबादी के बराबर दौलत है. ऑक्सफेम का कहना है कि समाज में आर्थिक असमानता बढ़ती जा रही है जिससे अराजकता के हालात पैदा हो सकते हैं. साथ की ये भी कहा है कि इस अंतर से समाज में विभाजन का खतरा पैदा हो रहा है.

जिन 8 धन कुबेर उद्योगपतियों का जिक्र ऑक्सफेम ने किया है उनमें अमेरिका के छह, स्पेन और मेक्सिको के एक-एक उद्योगपति शामिल हैं. इनकी कुल संपत्ति दुनिया के सबसे गरीब 3.6 अरब लोगों के पास मौजूद संपत्ति के बराबर है.

ये हैं दुनिया के सबसे बड़े  8 धन कुबेर बिजनेसमैन -

– बिल गेट्स: माइक्रोसॉफ्ट के फाउंडर बिल गेट्स, – मार्क जुकरबर्ग: फेसबुक के को-फाउंटर – जेफ बेजोस: ई-कॉमर्स कंपनी अमेजन के फाउंडर  – वॉरेन बफे: इन्वेस्टर

 दुनिया में अमीर और गरीबों के बीच में खाई बढ़ती जा रही है
 

– अमेंसियो ओर्टेगा: इंडीटेक्स के फाउंडर– कार्लोस स्लिम: मेक्सिको के बिजनेसमैन– लैरी एलीसन: ओरैकल के फाउंडर– माइकल ब्लूमबर्ग: न्यूयॉर्क के पूर्व मेयर

अपनी एक नई रिपोर्ट ‘एन इकॉनोमी फॉर द 99 पर्सेंट’ में ऑक्सफेम ने कहा, "संपन्न देशों में अधिक से अधिक लोगों में यथा स्थिति बर्दाशत न करने के संकेत भी अधिक दिख रहे हैं." दुनियाभर में मजदूर जहां छोटी सी तनख्वाह को लेकर मशक्कत कर रहे...

गरीबी उन्मूलन के लिए काम कर रहे गैर सरकारी संगठनों के समूह ऑक्सफेम ने दावा किया है कि महज़ 8 उद्योगपतियों के पास दुनिया की आधी आबादी के बराबर दौलत है. ऑक्सफेम का कहना है कि समाज में आर्थिक असमानता बढ़ती जा रही है जिससे अराजकता के हालात पैदा हो सकते हैं. साथ की ये भी कहा है कि इस अंतर से समाज में विभाजन का खतरा पैदा हो रहा है.

जिन 8 धन कुबेर उद्योगपतियों का जिक्र ऑक्सफेम ने किया है उनमें अमेरिका के छह, स्पेन और मेक्सिको के एक-एक उद्योगपति शामिल हैं. इनकी कुल संपत्ति दुनिया के सबसे गरीब 3.6 अरब लोगों के पास मौजूद संपत्ति के बराबर है.

ये हैं दुनिया के सबसे बड़े  8 धन कुबेर बिजनेसमैन -

– बिल गेट्स: माइक्रोसॉफ्ट के फाउंडर बिल गेट्स, – मार्क जुकरबर्ग: फेसबुक के को-फाउंटर – जेफ बेजोस: ई-कॉमर्स कंपनी अमेजन के फाउंडर  – वॉरेन बफे: इन्वेस्टर

 दुनिया में अमीर और गरीबों के बीच में खाई बढ़ती जा रही है
 

– अमेंसियो ओर्टेगा: इंडीटेक्स के फाउंडर– कार्लोस स्लिम: मेक्सिको के बिजनेसमैन– लैरी एलीसन: ओरैकल के फाउंडर– माइकल ब्लूमबर्ग: न्यूयॉर्क के पूर्व मेयर

अपनी एक नई रिपोर्ट ‘एन इकॉनोमी फॉर द 99 पर्सेंट’ में ऑक्सफेम ने कहा, "संपन्न देशों में अधिक से अधिक लोगों में यथा स्थिति बर्दाशत न करने के संकेत भी अधिक दिख रहे हैं." दुनियाभर में मजदूर जहां छोटी सी तनख्वाह को लेकर मशक्कत कर रहे हैं वहीं ‘सुपर रिच’ लोगों की संपत्ति में 2009 से हर साल करीब 11 प्रतिशत का इजाफा हो रहा है.

यह रिपोर्ट उस वक्त आई है जब दावोस में 17 जनवरी से 22 जनवरी तक चलने वाली, वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की एनुअल मीटिंग शुरू हो रही है. दावोस में मंगलवार से शुरू हो रही विश्व के राजनीतिक और आर्थिक विशिष्ट वर्गों की बैठक के एजेंडे में असमानता प्रमुख मुद्दा है. शुक्रवार तक चलने वाली ‘विश्व आर्थिक मंच’ की वार्षिक बैठक में करीब 3,000 लोग शिरकत करेंगे.

 भारत में अमीरों और गरीबों के बीच का फायला और भी बड़ा है

भारत के बड़े धनकुबेरों के पास है -

भारतीय जनसंख्या की सम्पत्ति के बारे में ऑक्सफैम की जारी रिपोर्ट के अनुसार भारत की 58 प्रतिशत संपत्ति देश के 1 प्रतिशत अमीरों के पास है यानी भारत में अमीरों और गरीबों के बीच असंतुलन दुनिया के औसत से ज्यादा है. दुनिया में शीर्ष एक प्रतिशत अमीरों के पास औसतन 50 प्रतिशत संपत्ति है. रिपोर्ट के अनुसार भारत के 57 अरबपतियों के पास 216 अरब डॉलर (करीब 14.72 लाख करोड़ रुपये) की दौलत है जो देश के आर्थिक पायदान पर नीचे की 70 प्रतिशत आबादी की कुल संपत्ति के बराबर है. भारत के 84 शीर्ष अमीरों के पास 248 अरब डॉलर (16.90 लाख करोड़ रुपये) हैं. रिलायंस इंडस्ट्रीज के मालिक मुकेश अंबानी 19.3 अरब डॉलर के साथ भारत के सबसे अमीर आदमी हैं. दिलीप संघवी (16.7 अरब डॉलर) और अजीम प्रेमजी (15 अरब डॉलर) दौलत के मामले में दूसरे और तीसरे नंबर पर हैं.

ये केवल चौकाने वाले तथ्य नहीं हैं, बल्कि दुनिया और भारत के अमीरों और गरीबों के बीच बढ़ती खाई भी है और इस असमानता को दूर करने के लिए भारत का ही नहीं, बल्कि दुनिया के तमाम देशों को प्रयास भी करना पड़ेगा ताकि पूरी दुनिया में समरसता कायम हो सके और समाज को विभाजन का खतरा से बचाया जा सके.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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