• होम
  • सियासत
  • समाज
  • स्पोर्ट्स
  • सिनेमा
  • सोशल मीडिया
  • इकोनॉमी
  • ह्यूमर
  • टेक्नोलॉजी
  • वीडियो
होम
इकोनॉमी

आफत बनकर आ रहा है कैंसर, कितने तैयार हैं हम?

    • अभिषेक पाण्डेय
    • Updated: 21 अक्टूबर, 2015 02:17 PM
  • 21 अक्टूबर, 2015 02:17 PM
offline
भारत में लगभग 5 लाख लोग हर इस कैंसर के कारण अपनी जान गंवाते हैं जबकि 2020 तक ऐसे मामलों की तादाद 7 लाख से ज्यादा हो जाने की संभावना है. क्या इस घातक बीमारी से निपटने के लिए तैयार है सरकार?

तेजी से विकास की सीढ़िया चढ़ते भारत के लिए आने वाले वर्षों में सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक घातक बीमारी कैंसर भी है. भारत में हर साल कैंसर की वजह से लगभग 5 लाख लोगों की मौत हो जाती है. इस बीमारी के बढ़ते खतरे का अंदाज इसी बात से लगाया जा सकता है कि देश में हर मिनट दो नए कैंसर के मामले सामने आते है जबकि हर तीन मिनट में इस बीमारी के कारण एक व्यक्ति की मौत हो जाती है. आने वाले दशक में कैसे यह बीमारी भारत के लिए एक गंभीर समस्या बन सकती है और इससे निपटने के लिए क्या कदम उठाए जाने की जरूरत है, आइए जानें.

भारत में 70 फीसदी कैंसर पीड़ित गंवाते हैं जानः

भारत में हर साल कैंसर के 10 लाख से ज्यादा नए मामले सामने आते हैं. लेकिन 2020 तक इनकी संख्या 12 लाख से ज्यादा और 2035 तक 17 लाख हो जाने का अनुमान है. हालांकि भारत में दुनिया के कई विकसित देशों के मुकाबले कैंसर के मामले कम है लेकिन भारत में कैंसर के नए मामलों के कारण होने वाली मौतों की संख्या काफी ज्यादा है. भारत में हर साल सामने आने वाले कैंसर के मामलों में से 70 फीसदी से ज्यादा लोगों की मौत हो जाती है. देश में कैंसर से मरने वाले कई लोगों को तो पता भी नहीं होता है कि उन्हें यह बीमारी है. भारत में लगभग 5 लाख लोग हर साल इस बीमारी के कारण अपनी जान गंवाते हैं जबकि 2020 तक ऐसे मामलों की तादाद 7 लाख से ज्यादा हो जाने की संभावना है.   

भारत में है इससे निपटने की अधूरी तैयारीः

जिस देश में 2025 तक कैंसर के मामलों में 5 गुना तक का इजाफा होने का अनुमान है वह इस बीमारी से निपटने के लिए तैयार ही नहीं है. इसका कारण है देश में कैंसर विशेषज्ञों की भारी कमी होना. भारत में सिर्फ 1600 ओंकोलॉजिस्ट (कैंसर चिकित्सा विज्ञानी) ही हैं यानी कि 812,500 लोगों पर सिर्फ एक ओंकोलॉजिस्ट, जबकि हर एक लाख पर 1 ओंकोलॉजिस्ट होना चाहिए. भारत में हर साल सिर्फ 20-25 ओंकोलॉजिस्ट बनते हैं जबकि इनकी आवश्यकता 100 की है. इस कमी के कारण इस बीमारी...

तेजी से विकास की सीढ़िया चढ़ते भारत के लिए आने वाले वर्षों में सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक घातक बीमारी कैंसर भी है. भारत में हर साल कैंसर की वजह से लगभग 5 लाख लोगों की मौत हो जाती है. इस बीमारी के बढ़ते खतरे का अंदाज इसी बात से लगाया जा सकता है कि देश में हर मिनट दो नए कैंसर के मामले सामने आते है जबकि हर तीन मिनट में इस बीमारी के कारण एक व्यक्ति की मौत हो जाती है. आने वाले दशक में कैसे यह बीमारी भारत के लिए एक गंभीर समस्या बन सकती है और इससे निपटने के लिए क्या कदम उठाए जाने की जरूरत है, आइए जानें.

भारत में 70 फीसदी कैंसर पीड़ित गंवाते हैं जानः

भारत में हर साल कैंसर के 10 लाख से ज्यादा नए मामले सामने आते हैं. लेकिन 2020 तक इनकी संख्या 12 लाख से ज्यादा और 2035 तक 17 लाख हो जाने का अनुमान है. हालांकि भारत में दुनिया के कई विकसित देशों के मुकाबले कैंसर के मामले कम है लेकिन भारत में कैंसर के नए मामलों के कारण होने वाली मौतों की संख्या काफी ज्यादा है. भारत में हर साल सामने आने वाले कैंसर के मामलों में से 70 फीसदी से ज्यादा लोगों की मौत हो जाती है. देश में कैंसर से मरने वाले कई लोगों को तो पता भी नहीं होता है कि उन्हें यह बीमारी है. भारत में लगभग 5 लाख लोग हर साल इस बीमारी के कारण अपनी जान गंवाते हैं जबकि 2020 तक ऐसे मामलों की तादाद 7 लाख से ज्यादा हो जाने की संभावना है.   

भारत में है इससे निपटने की अधूरी तैयारीः

जिस देश में 2025 तक कैंसर के मामलों में 5 गुना तक का इजाफा होने का अनुमान है वह इस बीमारी से निपटने के लिए तैयार ही नहीं है. इसका कारण है देश में कैंसर विशेषज्ञों की भारी कमी होना. भारत में सिर्फ 1600 ओंकोलॉजिस्ट (कैंसर चिकित्सा विज्ञानी) ही हैं यानी कि 812,500 लोगों पर सिर्फ एक ओंकोलॉजिस्ट, जबकि हर एक लाख पर 1 ओंकोलॉजिस्ट होना चाहिए. भारत में हर साल सिर्फ 20-25 ओंकोलॉजिस्ट बनते हैं जबकि इनकी आवश्यकता 100 की है. इस कमी के कारण इस बीमारी से पीड़ित व्यक्ति का इलाज करने वाले डॉक्टरों के पास इसकी योग्यता ही नहीं होती. ग्रामीण क्षेत्रों से आने वाले करीब 80 फीसदी मरीज पहली बार अपने कैंसर की समस्या को लेकर प्रैक्टिशनर के पास जाते हैं जिनके पास एलोपैथ की डिग्री तक नहीं होती हैं.

भारत को होता है गंभीर नुकसानः

 इस घातक बीमारी का बढ़ना विकास, जनकल्याण और देश के आर्थिक विकास के लिए एक बड़ी बाधा है. 2012 में कैंसर के कारण 4 करोड़ 30 लाख जीवन के स्वस्थ्य वर्षों का नुकसान हुआ जबकि इससे देश की इकोनामी को 70 हजार करोड़ रुपये का नुकसान हुआ. ये आंकड़ें दिखाते हैं कि कैंसर के कारण भारतीय अर्थव्यवस्था को हर साल कितना गंभीर नुकसान झेलना पड़ता है.

सरकार ने की हैं क्या तैयारियां:

इस परेशानी से निपटने के लिए लोगों को कैंसर के प्रति जागरूक बनाना और इसकी पहचना और रोकथाम के लिए बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं आसानी से मुहैया कराना शामिल है. इसीलिए सरकार ने कैंसर के खतरे से निपटने के लिए नए अस्पतालों के निर्माण और पुराने अस्पतालों की हालत में सुधार के लिए इस क्षेत्र में निवेश किया है.  

कैंसर से जंग जीतने के लिए ये कदम उठाने होंगेः

भले ही सरकार ने कैंसर से लड़ाई के लिए कई कदम उठाए हैं लेकिन सबसे जरूरी है कि इस बीमारी के कारण होने वाली उच्च मौत दर को देखते हुए इसके खिलाफ एक विशेष तकनीक से युक्त लड़ाई लड़ी जाए. उदाहरण के लिए देश के 400 कैंसर सेंटरों में से 40 फीसदी छह बड़े शहरों में स्थित हैं साथ ही इन अस्पतालों में कैंसर से लड़ने के लिए जरूरी तकनीक और साजो-सामान की भारी कमी है. जैसे कैंसर केयर के लिए बेहद जरूरी तकनीकी पोजिशन एमिशन टोमोग्राफी/कंप्युटर टोमोग्राफी (पीईटी/सीटी) एक अडवांस्ड इमेजिंग डिवाइस है जिसका उपयोग सटीक डायग्नोजिंग, इलाज में सहायता और इलाज में सुधार की निगरानी के लिए किया जाता है. लेकिन देश में पीईटी/सीटी की महज 90 यूनिट्स ही हैं जबकि जरूरत 1300 ऐसे यूनिट्स की है. साथ ही भारत में कैंसर की सटीक जांच कर पाने वाले डॉक्टरों और सेंटरों की भारी कमी है जोकि कैंसर से होने वाली बेतहाशा मौतों का सबसे प्रमुख कारण है.

कैंसर के जांच कार्यक्रमों की मदद से पश्चिमी देशों ने कैंसर के मामलों में 25 फीसदी तक की कमी लानें में सफलता पाई है. भारत को इस बीमारी से लड़ने के लिए स्वास्थ्य सेवा उद्योग-स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराने वाले, डिवाइस बनाने वाले, फार्मा, एनजीओ और सरकारों को साथ मिलकर काम करने की जरूरत है.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

ये भी पढ़ें

Read more!

संबंधि‍त ख़बरें

  • offline
    Union Budget 2024: बजट में रक्षा क्षेत्र के साथ हुआ न्याय
  • offline
    Online Gaming Industry: सब धान बाईस पसेरी समझकर 28% GST लगा दिया!
  • offline
    कॉफी से अच्छी तो चाय निकली, जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वॉर्मिंग दोनों से एडजस्ट कर लिया!
  • offline
    राहुल का 51 मिनट का भाषण, 51 घंटे से पहले ही अडानी ने लगाई छलांग; 1 दिन में मस्क से दोगुना कमाया
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.

Read :

  • Facebook
  • Twitter

what is Ichowk :

  • About
  • Team
  • Contact
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.
▲