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ना पोस्टर में दम और ना बासी boys में....

    • सिद्धार्थ हुसैन
    • Updated: 08 सितम्बर, 2017 10:53 AM
  • 08 सितम्बर, 2017 10:53 AM
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पोस्टर ब्वॉयज 2014 की सुपर हिट मराठी फिल्म का रीमेक है और मराठी फिल्म के निर्माता श्रेयस तलपड़े ही थे. हिट फिल्म का रीमेक ज्यदातर फ़ायदे का सौदा साबित होता है, लेकिन यहां उल्टा ही दिखता है.

पोस्टर ब्वॉयज देखने की सबसे एहम वजह है देओल बंधुओं की फ़िल्मी पर्दे पर वापसी, एक अरसे बाद ख़ासतौर से बॉबी देओल दिखाई देंगे. बड़े भइया सनी देओल के साथ बॉबी की आखिरी फिल्म थी 2013 की "यमला पगला दीवाना 2" जो बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप साबित हुई थी. पोस्टर ब्वॉयज का निर्देशन किया है एक्टर श्रेयस तलपड़े ने बतौर निर्देशक ये उनकी पहली फिल्म है. हालांकि, बतौर एक्टर भी वो "पोस्टर ब्वॉयज" में तीसरे हीरो की भूमिका में दिखाई देंगे. "पोस्टर ब्वॉयज" 2014 की सुपर हिट मराठी फिल्म का रीमेक है और मराठी फिल्म के निर्माता श्रेयस तलपड़े ही थे. हिट फिल्म का रीमेक ज्यदातर फ़ायदे का सौदा साबित होता है और यही वजह बनी होगी जो श्रेयस तलपड़े सफल रहे सनी देओल और बॉबी देओल को इस फिल्म से जोड़ने में.

तो सहाब पहले बात कहानी की करते हैं. फिल्म का स्टोरी आइडिया बेहद ग़ज़ब का है, एक गाँव के तीन लोगों की फ़ोटो नसबंदी के पोस्टर पर लग जाती है अब गाँव वालों से लेकर इन तीनों के परिवार के सभी सदस्य ये मान लेते है कि इन तीन ब्वॉयज यानि सनी, बॉबी और श्रेयस ने नसबंदी करवा ली है. फिर कैसे इनकी ज़िंदगी में भूचाल आता है और ये तीनों सरकार के ख़िलाफ़ मुहिम छेड़ते हैं, आखिरकार इन्हें इंसाफ़ मिलेगा या नहीं ये फिल्म की कहानी है.

फिल्म की कहानी जितनी दिलचस्प है स्क्रीनप्ले उतना ही बोरिंग, लेखक और निर्देशक तय ही नहीं कर पाये कि वो एक इमोशनल ड्रामा बनाना चाहते थे या कॉमेडी या व्यंग. कुछ जगह पर हँसी ज़रूर आती है लेकिन ओवरऑल फिल्म बोर करती है. 80 के दशक का बैकग्राउंड म्यूजिक फिल्म की लय को तोड़ता है और बाकी जो बचा था वो खराब एडिटिंग पूरा कर देती है. सिनेमेटोग्राफ़ी भी औसत ही है. गाने ना होते तो बेहतर होता. सनी देओल से भी निर्देशक कुछ खास अभिनय नहीं करवा पाये. बॉबी देओल और श्रेयस तलपड़े जरूर कुछ सीन्स में हसाने में...

पोस्टर ब्वॉयज देखने की सबसे एहम वजह है देओल बंधुओं की फ़िल्मी पर्दे पर वापसी, एक अरसे बाद ख़ासतौर से बॉबी देओल दिखाई देंगे. बड़े भइया सनी देओल के साथ बॉबी की आखिरी फिल्म थी 2013 की "यमला पगला दीवाना 2" जो बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप साबित हुई थी. पोस्टर ब्वॉयज का निर्देशन किया है एक्टर श्रेयस तलपड़े ने बतौर निर्देशक ये उनकी पहली फिल्म है. हालांकि, बतौर एक्टर भी वो "पोस्टर ब्वॉयज" में तीसरे हीरो की भूमिका में दिखाई देंगे. "पोस्टर ब्वॉयज" 2014 की सुपर हिट मराठी फिल्म का रीमेक है और मराठी फिल्म के निर्माता श्रेयस तलपड़े ही थे. हिट फिल्म का रीमेक ज्यदातर फ़ायदे का सौदा साबित होता है और यही वजह बनी होगी जो श्रेयस तलपड़े सफल रहे सनी देओल और बॉबी देओल को इस फिल्म से जोड़ने में.

तो सहाब पहले बात कहानी की करते हैं. फिल्म का स्टोरी आइडिया बेहद ग़ज़ब का है, एक गाँव के तीन लोगों की फ़ोटो नसबंदी के पोस्टर पर लग जाती है अब गाँव वालों से लेकर इन तीनों के परिवार के सभी सदस्य ये मान लेते है कि इन तीन ब्वॉयज यानि सनी, बॉबी और श्रेयस ने नसबंदी करवा ली है. फिर कैसे इनकी ज़िंदगी में भूचाल आता है और ये तीनों सरकार के ख़िलाफ़ मुहिम छेड़ते हैं, आखिरकार इन्हें इंसाफ़ मिलेगा या नहीं ये फिल्म की कहानी है.

फिल्म की कहानी जितनी दिलचस्प है स्क्रीनप्ले उतना ही बोरिंग, लेखक और निर्देशक तय ही नहीं कर पाये कि वो एक इमोशनल ड्रामा बनाना चाहते थे या कॉमेडी या व्यंग. कुछ जगह पर हँसी ज़रूर आती है लेकिन ओवरऑल फिल्म बोर करती है. 80 के दशक का बैकग्राउंड म्यूजिक फिल्म की लय को तोड़ता है और बाकी जो बचा था वो खराब एडिटिंग पूरा कर देती है. सिनेमेटोग्राफ़ी भी औसत ही है. गाने ना होते तो बेहतर होता. सनी देओल से भी निर्देशक कुछ खास अभिनय नहीं करवा पाये. बॉबी देओल और श्रेयस तलपड़े जरूर कुछ सीन्स में हसाने में कामयाब होते हैं. सोनाली कुलकर्नी के पास भी ज्यादा स्कोप नहीं था कुछ करना का लेकिन सनी देओल की पत्नी के किरदार में वो ठीक हैं. बाकी सभी कलाकार औसत हैं.

फिल्म में कुछ सीन्स में सनी देओल ने अपनी ही फिल्मों का मजाक उड़ाया है, कहीं फिल्म "बॉर्डर" का ज़िक्र करके तो कहीं सनी देओल की एक्शन इमेज का ज़िक्र करते हुए. एक जगह पर अपने पिता धर्मेंद्र का भी इस्तेमाल किया है, जब एक बुज़ुर्ग औरत कहती है "कौन धर्मेंद्र ?" तो बॉबी का डायलॉग है "नहीं उनका बेटा", इस क़िस्म के मजाक पर देओल परिवार को तो हँसी आजाएगी लेकिन इसे कॉमेडी कहे या फूहड़ तुकबंदी ये तय करने में बहुत मुशकिल नहीं होगी.

अभिनेता निर्देशक श्रेयस तलपड़े से उम्मीद बहुत थी, कि वो नई पीढ़ी के हैं तो कुछ समझदारी की बात कहेंगे और हसाने में सक्षम रहेंगे लेकिन समझदारी के आइडिया को वो इस तरह से खराब कर देंगे ये ना हमने कामना की थी ना देखनेवालों ने और अब तो यही गुज़ारिश है "श्रेयस एक्टिंग पर ही ध्यान दीजिये" वरना ये दुकान भी बंद ना हो जाये.

सनी देओल और बॉबी देओल ने अपने हिसाब से कोशिश तो बहुत की है, लार्जर देन लाइफ़ के बजाय एक आम आदमी का किरदार निभाने की लेकिन स्क्रिप्ट चुनने में दोनों भाई चूक गये.

हम तो यही कहेंगे रुपैय भी बचाइये और अपना क़ीमती वक्त भी, टीवी पर कभी आये तो देख लीजियेगा, बाकी ये पोस्टर फटा हुआ है और ब्वॉयज अब ब्वॉयज की उम्र पार कर चुके हैं इसिलये बासी लगते हैं. बाकी फिर भी देखनी है तो देखिये आपका वक्त और पैसा बरबाद या आबाद करने का हक़ आपको है.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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