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सलमान की सुल्तान का सिनेमा हॉल से आंखों देखा हाल

    • नरेंद्र सैनी
    • Updated: 06 जुलाई, 2016 02:56 PM
  • 06 जुलाई, 2016 02:56 PM
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सलमान खान की फिल्म सुल्ता‍न का फर्स्ट डे फर्स्ट शो देखना... वह भी सिंगल स्क्रीन सिनेमा में... पढि़ए और महसूस कीजिए, क्या है लोगों की दीवानगी-

समय:सुबह के नौ बजे.

जगह: पुरानी दिल्ली का अम्बा सिनेमाघर.

सुल्तान के फर्स्ट डे फर्स्ट शो की एडवांस बुकिंग करवा रखी थी. जैसे ही हॉल पर पहुंचा तो टिकट खिड़की एकदम खाली थी. यह वाकई जोर का झटका था. भाई की फिल्म का यह हाल! समय देखा तो माजरा समझ आया कि लोग अंदर जा चुके हैं. जैसे ही हॉल के अंदर पहुंचा तो काफी सीटें भरी दिखीं. फिर दर्शकों के आने का सिलसिला साढ़े नौ बजे तक चलता रहा. फिल्म की अवधि ज्यादा होने की वजह से साढ़े नौ के शो को नौ बजे कर दिया गया था. शायद इसी चक्कर में कुछ लोग चूक गए थे.

फिल्म शुरू हो चुकी थी और लगभग 70 फीसदी सीटें फुल थीं. फैन्स के सीने आक्सीजन से फूले हुए थे. ताकि मौका पड़ने पर इसका इस्तेमाल सीटी बजाने के लिए किया जा सके. सलमान ने ऐसा किया भी. उन्होंने अपने चाहने वालों को फिल्म में इतने मौके सीटी मारने के दिए हैं कि एक समय पर आकर यह ऑक्सीजन भी कम लगने लगती है. फिर जब वे प्रो फाइटिंग के दौरान अच्छे-अच्छों को धूल चटाते हैं तो ऑडियंस से आवाज आती है, "बाप तो बाप ही होता है."

ये भी पढि़ए- सलमान और रजनीकांत की टक्कर में कौन मारेगा बाजी?

एंट्री

सलमान की जैसे ही एंट्री फिल्म में होती है तो कमाल का समा बंध जाता है. जमकर सीटियां बजने लगती हैं और जब वह अपने प्रतिद्वंद्वी को धोबी पछाड़ लगाते हैं तो ऐसा लगता है कि हमारे बराबर की सीट वाले शख्स ने ही यह दांव खेला है, जिस तरह का वे जोश दिखाते हैं और उनकी मुट्ठियां भिंची हुई नजर आती हैं वे कमाल है.

अपनी शादी में डांस

फिर फिल्म में जब सलमान का इश्क होता है तो जैसे माहौल एकदम से खुशनुमा हो जाता है. पूरे हॉल के अंदर ऐसा लगने लगता है जैसे किसी अपने को ही इश्क हो गया है. फिर जब...

समय:सुबह के नौ बजे.

जगह: पुरानी दिल्ली का अम्बा सिनेमाघर.

सुल्तान के फर्स्ट डे फर्स्ट शो की एडवांस बुकिंग करवा रखी थी. जैसे ही हॉल पर पहुंचा तो टिकट खिड़की एकदम खाली थी. यह वाकई जोर का झटका था. भाई की फिल्म का यह हाल! समय देखा तो माजरा समझ आया कि लोग अंदर जा चुके हैं. जैसे ही हॉल के अंदर पहुंचा तो काफी सीटें भरी दिखीं. फिर दर्शकों के आने का सिलसिला साढ़े नौ बजे तक चलता रहा. फिल्म की अवधि ज्यादा होने की वजह से साढ़े नौ के शो को नौ बजे कर दिया गया था. शायद इसी चक्कर में कुछ लोग चूक गए थे.

फिल्म शुरू हो चुकी थी और लगभग 70 फीसदी सीटें फुल थीं. फैन्स के सीने आक्सीजन से फूले हुए थे. ताकि मौका पड़ने पर इसका इस्तेमाल सीटी बजाने के लिए किया जा सके. सलमान ने ऐसा किया भी. उन्होंने अपने चाहने वालों को फिल्म में इतने मौके सीटी मारने के दिए हैं कि एक समय पर आकर यह ऑक्सीजन भी कम लगने लगती है. फिर जब वे प्रो फाइटिंग के दौरान अच्छे-अच्छों को धूल चटाते हैं तो ऑडियंस से आवाज आती है, "बाप तो बाप ही होता है."

ये भी पढि़ए- सलमान और रजनीकांत की टक्कर में कौन मारेगा बाजी?

एंट्री

सलमान की जैसे ही एंट्री फिल्म में होती है तो कमाल का समा बंध जाता है. जमकर सीटियां बजने लगती हैं और जब वह अपने प्रतिद्वंद्वी को धोबी पछाड़ लगाते हैं तो ऐसा लगता है कि हमारे बराबर की सीट वाले शख्स ने ही यह दांव खेला है, जिस तरह का वे जोश दिखाते हैं और उनकी मुट्ठियां भिंची हुई नजर आती हैं वे कमाल है.

अपनी शादी में डांस

फिर फिल्म में जब सलमान का इश्क होता है तो जैसे माहौल एकदम से खुशनुमा हो जाता है. पूरे हॉल के अंदर ऐसा लगने लगता है जैसे किसी अपने को ही इश्क हो गया है. फिर जब भाईजान अपनी बारात में खुद ही नाचते-गाते हैं दर्शकों की बांछें खिल जाती हैं, फ्रंट रो से सीटियों के साथ ही कुछ लोग नाचने से भी गुरेज नहीं करते हैं. शायद आने वाले दिनों में कई दूल्हे इसी तरह अपनी शादियों में खुद ही नाचते नजर आएं.

कटी पतंग लूटना

पुरानी दिल्ली का सिनेमा घर हो और बात कटी पतंग को लूटने की आ जाए तो कईयों के दिल बल्लियों उछलने लगता है. ऐसा ही सुल्तान में भाई ने मौका पतंगबाजों की हसरतों को पंख लगाने के लिए दिया है. सुल्तान पतंग लूटने का चैंप है, और वह कई मौकों पर इसे सिद्ध भी करता है. फिल्म जैसे ही भाईजान पतंग लूटने भागते हैं तो "आइबो काट्टे" का शोर पूरे सिनेमाघर में गूंजने लगता है.

ये भी पढि़ए- टूटेंगे सारे रिकॉर्ड्स, धूम मचाने आ रहे हैं सलमान खान!

अंग्रेजी का लोचा

भाई की हर बात गली के लौंडों के दिल को छूती हैं क्योंकि भाई है ही ऐसी चीज. फिर लड़कियों के सामने अंग्रेजी का लोचा तो हर देसी लौंडे की सबसे बड़ी मुसीबत रही है, और फिर जब आरफा यानी अनुष्का शर्मा शिटबॉय बोलती है तो भाई उसका सिटबॉय उच्चारण करते हैं. कुछ देर तक हॉल में यही बात गूंजती रहती है कि यह सिटबॉय क्या होता है. फिर भाई का दोस्त डिक्शनरी लेकर आता है तो पता चलता है कि यह शिट बॉय है और हॉल में ठहाके गूंज पड़ते हैं. भाई इसका हिंदी अनुवाद करते हैः टट्टी लड़का. इसके बाद तो जैसे हॉल में सीटियों की जबरदस्त गूंज पैदा होती है.

दिल टूटने पर सन्नाटा

दिल टूटने का दर्द ऐसा है, जिसका हर किसी ने अपने जीवन में स्वाद लिया होता है. जवां लोगों की जिंदगी में तो यह बहुत होता है. ऐसा ही कुछ जब भाई की जिंदगी में होता है तो सिनेमाहॉल में सन्नाटा पसर जाता है. ऐसा लगता है कि आपके बराबर में बैठे शख्स का दिल टूट गया है. आसपास देखने पर कुछ देर फैली खुशी लोगों के चेहरों से नदारद है, और मायूसी साफ दिखती है. शायद यह दम अब भाई में ही बचा है.

स्‍क्रीन पर सलमान दाव के लिए तैयार होते थे तो पड़ोस में बैठे दर्शक भी मुट्ठी बंद कर लेते थे.

हर मुक्के पर आह और वाह!

सिंगल स्क्रीन पर राज करने वाले सितारे बहुत कम ही रहे हैं. सलमान उनमें सबसे ऊपर हैं. फिल्म में जब भी कुश्ती और फाइटिंग सीन आते तो लोग दिल थामे उसे देखते. हालांकि सबको यह पता था कि जीत भाईजान की होगी. लेकिन थ्रिल तो बनता है. जब मुक्का भाई जान के पड़ता तो पूरा हॉल सन्नाटे में गूंज जाता और जैसे ही भाईजान का मुक्का चलता तो वाह से लेकर वॉउ तक हॉल में सुनाई देता.

शो खत्म होने के बाद भी जहां कुछ दर्शक सीटों पर बैठे थे और खत्म होती नंबरिंग को देख रहे थे तो कुछ बेबी को बेस पंसद है गाना गुनगुनाते हुए जा रहे थे कि तभी सामने से एक 10-11 साल का लड़का अपने पिता या भाई के साथ सामने से गुजरा जो बोल रहा था, "दोबारा भी देखेंगे न!"

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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