• होम
  • सियासत
  • समाज
  • स्पोर्ट्स
  • सिनेमा
  • सोशल मीडिया
  • इकोनॉमी
  • ह्यूमर
  • टेक्नोलॉजी
  • वीडियो
होम
सिनेमा

बहुत मीठी है बरेली की बर्फी

    • ऋचा साकल्ले
    • Updated: 19 अगस्त, 2017 04:18 PM
  • 19 अगस्त, 2017 04:18 PM
offline
प्यार का त्रिकोण भी जो आप इसमें देखेंगे तो आप इसे निगेटिव पॉजिटिव के किनारों में बांट नहीं सकेंगे... आप देखेंगे कि एक किरदार जो आपको निगेटिव लग रहा है वो इतनी आसानी से पॉजिटिव रंग में आ जाता है कि आपको पता ही नहीं चलता.

अगर आपके सामने ऐसी लड़की आए जो मुंहफट वो..सिगरेट पीती हो...शराब पीती हो...सवाल करती हो.. देर रात तक घर से बाहर रहती हो और दोस्तों के साथ अंग्रेजी फिल्में देखती है और बराबरी के सवाल उठाती है तो आप उसे क्या कहेंगे...बरेली की बर्फी में मिलिए ऐसी ही एक लड़की से

बिट्टी की कहानी कुछ यूं है

दुनिया की नजर में मानें तो एक ऐसी लड़की की भूमिका में हैं कृति सेनन.. जो दुर्गुणों का भंडार है.. ये लड़की बिट्टी यूपी के शहर की एक आम मिडिल क्लास फैमिली से है लेकिन अपनी जिंदगी अपने मुताबिक जीना पसंद करती है... सिगरेट पीती है.. शराब के बिना उसे नींद नहीं आती है.. देर रात घर से बाहर रहती है.. अंग्रेजी फिल्में देखती है... वो सब करती है जिसे समाज लड़की के लिए ना अच्छा मानता है और ना सही मानती है.

आम नहीं है बिट्टी सवाल करती है वो

बिट्टी को पिता का फुल सपोर्ट है लेकिन मां उसे अक्सर ताना मारती है कि इससे तो अच्छा है लड़का हुआ होता हमारा. यूपी के एक छोटे से आम शहर की रुढिवादी मां की तरह वो भी बिट्टी को बस शादी करके घर बसाते देखना चाहती है. कई लड़के आते हैं बिट्टी को देखने लेकिन बिट्टी से मिलने के बाद वो उसे मना करते हैं. मसलन एक स्टीरियोटाइप मेल की तरह कुछ लड़के उससे सवाल करते हैं कि क्या वो वर्जिन है तब वो पलटकर उनसे सवाल करती है क्या वो वर्जिन हैं.. लेकिन भला ये सवाल कैसे सहेगा मर्द समाज... ये सवाल पूछने का हक सिर्फ उसका है और ऐसे सवाल के जवाब में जब उसे लड़की ये कह दे कि वो वर्जिन नहीं है तो वो फिर शादी के लिए ना ही कहेगा.

बरेली की बिट्टी के आम सवाल

मां के तानों से परेशान बिट्टी एक आम लड़की की तरह दुखी भी होती है.. वो क्षण आता है उसके सामने भी जिससे बिट्टी जैसे हम लड़कियां कभी ना कभी गुजरती हैं कि...

अगर आपके सामने ऐसी लड़की आए जो मुंहफट वो..सिगरेट पीती हो...शराब पीती हो...सवाल करती हो.. देर रात तक घर से बाहर रहती हो और दोस्तों के साथ अंग्रेजी फिल्में देखती है और बराबरी के सवाल उठाती है तो आप उसे क्या कहेंगे...बरेली की बर्फी में मिलिए ऐसी ही एक लड़की से

बिट्टी की कहानी कुछ यूं है

दुनिया की नजर में मानें तो एक ऐसी लड़की की भूमिका में हैं कृति सेनन.. जो दुर्गुणों का भंडार है.. ये लड़की बिट्टी यूपी के शहर की एक आम मिडिल क्लास फैमिली से है लेकिन अपनी जिंदगी अपने मुताबिक जीना पसंद करती है... सिगरेट पीती है.. शराब के बिना उसे नींद नहीं आती है.. देर रात घर से बाहर रहती है.. अंग्रेजी फिल्में देखती है... वो सब करती है जिसे समाज लड़की के लिए ना अच्छा मानता है और ना सही मानती है.

आम नहीं है बिट्टी सवाल करती है वो

बिट्टी को पिता का फुल सपोर्ट है लेकिन मां उसे अक्सर ताना मारती है कि इससे तो अच्छा है लड़का हुआ होता हमारा. यूपी के एक छोटे से आम शहर की रुढिवादी मां की तरह वो भी बिट्टी को बस शादी करके घर बसाते देखना चाहती है. कई लड़के आते हैं बिट्टी को देखने लेकिन बिट्टी से मिलने के बाद वो उसे मना करते हैं. मसलन एक स्टीरियोटाइप मेल की तरह कुछ लड़के उससे सवाल करते हैं कि क्या वो वर्जिन है तब वो पलटकर उनसे सवाल करती है क्या वो वर्जिन हैं.. लेकिन भला ये सवाल कैसे सहेगा मर्द समाज... ये सवाल पूछने का हक सिर्फ उसका है और ऐसे सवाल के जवाब में जब उसे लड़की ये कह दे कि वो वर्जिन नहीं है तो वो फिर शादी के लिए ना ही कहेगा.

बरेली की बिट्टी के आम सवाल

मां के तानों से परेशान बिट्टी एक आम लड़की की तरह दुखी भी होती है.. वो क्षण आता है उसके सामने भी जिससे बिट्टी जैसे हम लड़कियां कभी ना कभी गुजरती हैं कि आखिर कहां गलत हैं हम... क्यों होता है हमारे साथ ऐसा.. कहीं सचमुच हम इस समाज के लायक नहीं... ऐसे ही अपराधबोध के साथ बिट्टी अपने पिता से सवाल करती है आखिर लड़की होना इतना कठिन क्यों है समाज में... और सचमुच ये सवाल आज की हर लड़की का सवाल बन जाता है... आए दिन होने वाले बलात्कारों का शिकार बनी लड़की... हर दूसरे दिन गर्भ मे मार दी जाने वाली लड़की... हर बार दहेज के लिए मार दी जाने वाली लड़की... सड़क पर मनचलों का शिकार बनने वाली लड़की... अपनी मर्जी का जीवन जीने वाली लड़की... ये इन सब लड़कियों का सवाल है जो बिट्टी पूछती है अपने पिता से. शुक्र है बिट्टी ये सवाल अपने पिता से पूछ सकती है कई लडकियों को हमारे समाज में ये भी नसीब नहीं होता.

एक फैसला जो बना बिट्टी का साहस

परेशान बिट्टी लेती है घर छोड़ने का फैसला... कहीं दूर जाकर जीवन अपने तरीके से जीने का फैसला... लेकिन रेलवे स्टेशन पर मिली एक किताब बरेली की बर्फी उसे बताती है कि वो गलत लड़की नहीं.. किताब में एक ऐसी लड़की का विवरण मिलता है जो बिट्टी से मेल खाता है.. बिट्टी अब उस किताब के लेखक प्रीतम विद्रोही से प्रभावित हो जाती है उसे लगता है कोई तो है उसे इस दुनिया में जो गलत नहीं मानता.. अब वो मिलना चाहती है उस लेखक से.. वो दूर जाने का फैसला बदल लेती है.. प्रीतम विद्रोही से मिलने का सपना पाले वो घर लौट आती है और फिर यहीं से शुरु होता है प्यार का त्रिकोण...

प्यार का त्रिकोण भी जो आप इसमें देखेंगे तो आप इसे निगेटिव पॉजिटिव के किनारों में बांट नहीं सकेंगे... आप देखेंगे कि एक किरदार जो आपको निगेटिव लग रहा है वो इतनी आसानी से पॉजिटिव रंग में आ जाता है कि आपको पता ही नहीं चलता.. बिल्कुल रियल जैसे हम आसानी से परिस्थिति के मुताबिक कभी पॉजिटिव कभी निगेटिव रूप अख्तियार कर लेते हैं.

इसके बाद क्या होता है ये तो आप फिल्म देखकर पता लगाइए... इसमें कोई शक नहीं है कि निल बटे सन्नाटा की निर्देशक अश्विनी अय्यर तिवारी का ये फिल्म भी एक यादगार शानदार परफॉरमेंस है.. राजकुमार राव, आयुष्मान खुराना, पंकज त्रिपाठी, सीमा पाहवा और कृति सेनन भी यूपी के एक आम परिवार के लोगों की तरह रियल लगते हैं. बहुत ही जबरदस्त कहानी गढ़ी है ब्लॉकबस्टर दंगल के डायरेक्टर और राइटर नितेश तिवार और श्रेयस जैन ने जो बधाई के पात्र हैं.

सीधे सपाट शब्दों में कहूं तो यही कहूंगी कि बहुत दिनों बाद बेहद अच्छी एंटरटेनिंग स्टोरीज का जो अकाल बॉलीवुड में चल रहा था उसकी भरपाई करती है बरेली की बर्फी.. स्वाद में बड़ी मीठी है बरेली की बर्फी.. इसे कई गुना मीठा किया है जावेद अख्तर के नरेशन ने और ये स्वाद आपकी जुबान पर कई दिनों तक रहेगा इसका भी वादा है मेरा... मेरे तो इसे साढ़े चार स्टार पक्के हैं.

ये भी पढ़ें-

वो दस फिल्में जिन्होंने अक्षय कुमार को सुपरस्टार बना दिया

टॉयलेट एक प्रेम कथा- एक अच्‍छी फिल्म, जिसे सरकारी घोषणा-पत्र बनाकर बर्बाद कर दिया


इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

ये भी पढ़ें

Read more!

संबंधि‍त ख़बरें

  • offline
    सत्तर के दशक की जिंदगी का दस्‍तावेज़ है बासु चटर्जी की फिल्‍में
  • offline
    Angutho Review: राजस्थानी सिनेमा को अमीरस पिलाती 'अंगुठो'
  • offline
    Akshay Kumar के अच्छे दिन आ गए, ये तीन बातें तो शुभ संकेत ही हैं!
  • offline
    आजादी का ये सप्ताह भारतीय सिनेमा के इतिहास में दर्ज हो गया है!
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.

Read :

  • Facebook
  • Twitter

what is Ichowk :

  • About
  • Team
  • Contact
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.
▲