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भूत का डर है या हनुमान चालीसा का बचाव !!!

    • रिम्मी कुमारी
    • Updated: 24 मार्च, 2017 07:44 PM
  • 24 मार्च, 2017 07:44 PM
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निहलानी जी अपने बेतुके विरोध से आखिर कब तक हमें निहाल करते रहेंगे? फिलौरी को लेकर भी शुरू हो गए हैं.

अनुष्का शर्मा के होम प्रोडक्शन की दूसरी फिल्म 'फिलौरी' A सर्टीफिकेशन के साथ रिलीज हो गई. लेकिन सेंसर बोर्ड की दादागिरी का सामना इन्हें भी करना पड़ा. सीबीएफसी को इस फिल्म में एक सीन से दिक्कत थी. इसमें हीरो सूरज शर्मा भूत के डर से जोर-जोर से हनुमान चालीसा का पाठ कर रहा होता है. लेकिन फिर भी फिल्म में भूत बनी अनुष्का शर्मा उसका पीछा नहीं छोड़ती है.

हमारे समाज में ये माना जाता है कि हनुमान चालिसा का पाठ करने से भूत-पिशाच सब दूर भाग जाते हैं. लेकिन इस फिल्म में ऐसा होता नहीं दिखाया गया है. सेंसर बोर्ड का मानना है कि इससे हमारी पुरानी मान्यताओं को ठेस पहुंच सकती है. उन्हें इसी बात पर ऐतराज है और वो इस सीन को हटाने की बात कह रही है.

अंधविश्वास?

यही नहीं सेंसर बोर्ड ने फिल्म की शुरुआत में ये डिसक्लेमर लगाया जाए कि वो भूत-पिशाच या किसी भी तरह के अंध-विश्वास को बढ़ावा नहीं देते. अपने इस बेतुके विरोध के पीछे कारण भी दे रहे हैं. सेंसर बोर्ड के संस्कारी चीफ पहलाज निहलानी का कहना है कि- 'मेरी राय में ये सीबीएफसी का काम नहीं है किसी फिल्म में क्या कंटेंट जाएगा वो इसे बैठकर देखे. हम केवल फिल्म में कंटेंट के प्रेजेंटेशन को बदल सकते हैं. किसी भी तरह के अंधविश्वास को बढ़ावा नहीं देना ये सरकार का काम है.'

ये कोई पहली बार नहीं है जब सेंसर बोर्ड ने ऐसे बेतुके आदेश दिए हैं. इसके पहले LGBT समुदाय पर केन्द्रित फिल्म 'का बॉडीस्केप्स' को भी नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट देने से मना कर दिया था. कारण? उनको लगा कि इस फिल्म में "समलैंगिक और समलैंगिक संबंधों के विषय की महिमामंडन" किया गया है! इसके पहले बोर्ड ने बोर्ड ने 'लिपस्टिक अंडर माई बुरखा' नाम की फिल्म को प्रमाण पत्र देने से मना कर दिया था. इसके पीछे कारण दिया कि ये फिल्म बहुत ही ज्यादा महिलाओं पर केंद्रित...

अनुष्का शर्मा के होम प्रोडक्शन की दूसरी फिल्म 'फिलौरी' A सर्टीफिकेशन के साथ रिलीज हो गई. लेकिन सेंसर बोर्ड की दादागिरी का सामना इन्हें भी करना पड़ा. सीबीएफसी को इस फिल्म में एक सीन से दिक्कत थी. इसमें हीरो सूरज शर्मा भूत के डर से जोर-जोर से हनुमान चालीसा का पाठ कर रहा होता है. लेकिन फिर भी फिल्म में भूत बनी अनुष्का शर्मा उसका पीछा नहीं छोड़ती है.

हमारे समाज में ये माना जाता है कि हनुमान चालिसा का पाठ करने से भूत-पिशाच सब दूर भाग जाते हैं. लेकिन इस फिल्म में ऐसा होता नहीं दिखाया गया है. सेंसर बोर्ड का मानना है कि इससे हमारी पुरानी मान्यताओं को ठेस पहुंच सकती है. उन्हें इसी बात पर ऐतराज है और वो इस सीन को हटाने की बात कह रही है.

अंधविश्वास?

यही नहीं सेंसर बोर्ड ने फिल्म की शुरुआत में ये डिसक्लेमर लगाया जाए कि वो भूत-पिशाच या किसी भी तरह के अंध-विश्वास को बढ़ावा नहीं देते. अपने इस बेतुके विरोध के पीछे कारण भी दे रहे हैं. सेंसर बोर्ड के संस्कारी चीफ पहलाज निहलानी का कहना है कि- 'मेरी राय में ये सीबीएफसी का काम नहीं है किसी फिल्म में क्या कंटेंट जाएगा वो इसे बैठकर देखे. हम केवल फिल्म में कंटेंट के प्रेजेंटेशन को बदल सकते हैं. किसी भी तरह के अंधविश्वास को बढ़ावा नहीं देना ये सरकार का काम है.'

ये कोई पहली बार नहीं है जब सेंसर बोर्ड ने ऐसे बेतुके आदेश दिए हैं. इसके पहले LGBT समुदाय पर केन्द्रित फिल्म 'का बॉडीस्केप्स' को भी नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट देने से मना कर दिया था. कारण? उनको लगा कि इस फिल्म में "समलैंगिक और समलैंगिक संबंधों के विषय की महिमामंडन" किया गया है! इसके पहले बोर्ड ने बोर्ड ने 'लिपस्टिक अंडर माई बुरखा' नाम की फिल्म को प्रमाण पत्र देने से मना कर दिया था. इसके पीछे कारण दिया कि ये फिल्म बहुत ही ज्यादा महिलाओं पर केंद्रित है!

पागलपन की भी एक हद होती है

यही नहीं इसके पहले भी कई फिल्मों पर सनकी सेंसर बोर्ड का चाकू चल चुका है. लेकिन ताज्जुब की बात ये है कि सेंसर बोर्ड को बॉलीवुड की मसाला फिल्मों में आइटम गर्ल के भौंड़े प्रदर्शन पर कोई ऐतराज नहीं होता. ना ही संस्कृति को कोई नुकसान होता है. अगर हनुमान चालीसा पढ़ने से भूत भागते हैं तो मेरी सलाह है कि निहलानी साहब खुद पढ़ना शुरु करें. क्या पता उनके माथे पर चढ़ा संस्कार का भूत उतर जाए.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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