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...जब एक अकेले इंसान ने बना डाला 'ताजमहल'

    • चंदन कुमार
    • Updated: 14 जुलाई, 2015 03:04 PM
  • 14 जुलाई, 2015 03:04 PM
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मांझी - द माउंटेनमैन. एक फिल्म आने वाली है. दशरथ मांझी के लाइफ के ऊपर, जिन्होंने प्रेम के प्रतीक ताजमहल को अकेले दम पर चुनौती दे डाली, शाहजहां की बादशाहत को ललकार डाला.

गर्लफ्रेंड या बीवी को गिफ्ट दिया है कभी? कार्ड्स, फूल, चॉकलेट, कपड़े, ज्वेलरी! दिया ही होगा. सब देते हैं - अपनी जेब के हिसाब से. मतलब जैसी औकात, वैसा गिफ्ट. कितना कटु है पर सत्य है कि प्रेम जैसी विशुद्ध भावना में भी औकात जैसा तुच्छ शब्द घुस आता है. लेकिन अपने प्रेम के लिए क्या कभी अपनी औकात से बढ़कर भी कुछ किया है जैसे चांद-तारे तोड़ना, सूरज की लाली ले आना या ताजमहल बनवाना? या फिर पहाड़ तोड़ना!!!

पहाड़ तोड़ना! ये क्या पागलपन है. इसका प्रेम से क्या लेना-देना है? हमारे-आपके लिए शायद नहीं हो, लेकिन यह 'पागलपन' ही दशरथ मांझी के लिए विशुद्ध प्रेम रहा - पूरे 22 वर्षों तक. प्यार जो अपनी पत्नी फागुनी के लिए था, प्यार जो उसकी तकलीफ के लिए था, वह छेनी-हथौड़ा बन गेहलौर की पहाड़ी पर गिरा और बन गया मानवीय प्रेम के इतिहास का सच्चा वाला 'ताजमहल'.

दशरथ मांझी. एक शख्स जिसकी पत्नी गेहलौर की पहाड़ी से फिसलकर चोटिल हो जाती हैं और उनकी तकलीफ दशरथ के दिल में घर कर जाती है. पहाड़ से दो-दो हाथ करने की ठान लेते है. 1960 से 1982 तक, लगातार 22 साल. छेनी-हथौड़ी लेकर पहाड़ से युद्ध करते हैं और वह नतमस्तक होकर रास्ता देता है - 360 फुट लम्बा, 25 फुट गहरा और 30 फुट चौड़ा. गांव से शहर की दूरी को 40 किलोमीटर कम करता हुआ. प्रेम के लिए एक अकेले इंसान के संघर्ष और जीत की कहानी.

शाहजहां. एक बादशाह. अपनी तीन बेगमों में से एक मुमताज का दीवाना. उनकी याद में ताजमहल बनवाता है - 20 हजार कारीगरों की मेहनत, 22 साल तक निर्माण कार्य और 2015 के हिसाब से 5280 करोड़ रुपये की लागत. हर साल 30 लाख लोग दुनिया भर में प्रेम के प्रतीक कहे जाने वाले ताजमहल को देखने आते हैं. यूनेस्को ने इसे वर्ल्ड हेरिटेज साइट का दर्जा भी दिया है.

प्यार, प्यार होता है - अमीर या गरीब नहीं. शाहजहां-मुमताज और दशरथ-फागुनी का प्यार एक जितना गहरा हो सकता है लेकिन दोनों ने जो प्रेम के प्रतीक बनाए, उसमें आसमान-जमीन का अंतर है. और हां, सही मायने में एक ओर आगरे का ताजमहल जहां आसमान में सिर...

गर्लफ्रेंड या बीवी को गिफ्ट दिया है कभी? कार्ड्स, फूल, चॉकलेट, कपड़े, ज्वेलरी! दिया ही होगा. सब देते हैं - अपनी जेब के हिसाब से. मतलब जैसी औकात, वैसा गिफ्ट. कितना कटु है पर सत्य है कि प्रेम जैसी विशुद्ध भावना में भी औकात जैसा तुच्छ शब्द घुस आता है. लेकिन अपने प्रेम के लिए क्या कभी अपनी औकात से बढ़कर भी कुछ किया है जैसे चांद-तारे तोड़ना, सूरज की लाली ले आना या ताजमहल बनवाना? या फिर पहाड़ तोड़ना!!!

पहाड़ तोड़ना! ये क्या पागलपन है. इसका प्रेम से क्या लेना-देना है? हमारे-आपके लिए शायद नहीं हो, लेकिन यह 'पागलपन' ही दशरथ मांझी के लिए विशुद्ध प्रेम रहा - पूरे 22 वर्षों तक. प्यार जो अपनी पत्नी फागुनी के लिए था, प्यार जो उसकी तकलीफ के लिए था, वह छेनी-हथौड़ा बन गेहलौर की पहाड़ी पर गिरा और बन गया मानवीय प्रेम के इतिहास का सच्चा वाला 'ताजमहल'.

दशरथ मांझी. एक शख्स जिसकी पत्नी गेहलौर की पहाड़ी से फिसलकर चोटिल हो जाती हैं और उनकी तकलीफ दशरथ के दिल में घर कर जाती है. पहाड़ से दो-दो हाथ करने की ठान लेते है. 1960 से 1982 तक, लगातार 22 साल. छेनी-हथौड़ी लेकर पहाड़ से युद्ध करते हैं और वह नतमस्तक होकर रास्ता देता है - 360 फुट लम्बा, 25 फुट गहरा और 30 फुट चौड़ा. गांव से शहर की दूरी को 40 किलोमीटर कम करता हुआ. प्रेम के लिए एक अकेले इंसान के संघर्ष और जीत की कहानी.

शाहजहां. एक बादशाह. अपनी तीन बेगमों में से एक मुमताज का दीवाना. उनकी याद में ताजमहल बनवाता है - 20 हजार कारीगरों की मेहनत, 22 साल तक निर्माण कार्य और 2015 के हिसाब से 5280 करोड़ रुपये की लागत. हर साल 30 लाख लोग दुनिया भर में प्रेम के प्रतीक कहे जाने वाले ताजमहल को देखने आते हैं. यूनेस्को ने इसे वर्ल्ड हेरिटेज साइट का दर्जा भी दिया है.

प्यार, प्यार होता है - अमीर या गरीब नहीं. शाहजहां-मुमताज और दशरथ-फागुनी का प्यार एक जितना गहरा हो सकता है लेकिन दोनों ने जो प्रेम के प्रतीक बनाए, उसमें आसमान-जमीन का अंतर है. और हां, सही मायने में एक ओर आगरे का ताजमहल जहां आसमान में सिर उठाकर इठलाता है तो दशरथ के प्रेम का प्रतीक जमीन पर रेंगता है - मंद गति से. लेकिन ताजमहल को चुनौती देता हुआ, शाहजहां की बादशाहत को ललकारता हुआ, मुमताज को फागुनी से ईर्ष्या कराता हुआ.

रेंगता हुआ! हां, वो इसलिए क्योंकि दशरथ तो 5-6 दशक पहले ही जाग चुके थे, पहाड़ को काट डाला था, पर सरकार अभी भी सो रही है. रास्ता अभी भी पथरीला है, पक्की सड़क नहीं बनी है सरकारी दावे के बावजूद. दशरथ मांझी के इसी प्रेम पर एक फिल्म आने वाली है: मांझी - द माउंटेनमैन. केतन मेहता इसके डायरेक्टर हैं. मुख्य कलाकार हैं - नवाजुद्दीन सिद्दकी और राधिका आप्टे. फिल्म का ट्रेलर आ चुका है. पूरी फिल्म देखने के लिए आपको 21 अगस्त तक का इंतजार करना होगा.

चुनाव आपको करना है - प्रेम के प्रतीक के लिए. ईंट-गारे-संगमरमर से बने, बादशाहत की झलक लिए वास्तुकला का बेजोड़ नमूना आगरे का ताजमहल या आगरा से बस 845 किलोमीटर दूर बिहार के गया जिले के गेहलौर गांव का वह कटा हुआ बदसूरत पहाड़, जो एक अकेले इंसान के श्रम, 'औकात' और बीवी से पागलपन की हद लिए प्रेम की दास्तां कह रहा है - चुनाव आपको करना है.


इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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