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एक ट्रेलर जो सिर्फ सेंसर बोर्ड को चिढ़ाने के लिए बनाया गया है

    • सरवत फातिमा
    • Updated: 28 जून, 2017 07:34 PM
  • 28 जून, 2017 07:34 PM
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हमारे सुपर संस्कारी सेंसर बोर्ड को छोटे से छोटे कुसंस्कार से दिक्कत है और इसलिए वो फिल्मों पर कैंची चलाने से बाज नहीं आता. लेकिन इस फिल्म के ट्रेलर ने सेंसर बोर्ड को गुस्से से लाल कर दिया है. आखिर क्यों? जानिए आगे...

फिल्म 'लिपस्टिक अंडर माई बुर्का' ने सेंसर बोर्ड को खुला चैलेंज कर दिया है. पहले तो अपने पोस्टर के साथ और अब नए ट्रेलर के साथ. आपको याद होगा कि पिछले दिनों सेंसर बोर्ड ने इस फिल्म के बहुत ज्यादा 'महिला संबंधित' होने के कारण प्रतिबंधित करने की कोशिश की थी. लेकिन सेंसर बोर्ड का ये कदम ही फिल्म के निर्माता के लिए वरदान साबित हो रहा है और अब वे इसका भरपूर फायदा उठा रहे हैं.

इस साल मई में फिल्म के निर्माताओं ने सेंसर बोर्ड के बैन के खिलाफ फिल्म प्रमाणन अपीलीय ट्रिब्यूनल (एफसीएटी) का दरवाजा खटखटाया था. एफसीएटी ने सेंसर बोर्ड को निर्देश दिया था कि फिल्म को 'ए' सर्टिफिकेट के साथ रीलिज होने दिया जाए. तो अब यह फिल्म सिनेमा हॉल में आने के लिए तैयार है और अपने नए ट्रेलर से तहलका मचा रही है.

ये फिल्म 'बोल्ड' होने की एक नई परिभाषा गढ़ रही है. इसके ट्रेलर ने वास्तविकता और कहानी को एक साथ जोड़ने के प्रयास में फिल्म से जुड़े विवाद और अखबारों की क्लिप डाल दिया है. दो मिनट का ये ट्रेलर अखबारों की सुर्खियों से शुरू होता है और उसके बाद एक स्लोगन आता है जो कहता है- 'साल की सबसे विवादास्पद फिल्म आ गई है.'

और यह सही भी है! इसमें कोई दो राय नहीं है कि हमारे सुपर संस्कारी सेंसर बोर्ड को छोटे से छोटे कुसंस्कार से दिक्कत है और इसलिए वो फिल्मों पर कैंची चलाने से बाज नहीं आता. उदाहरण के लिए- किसिंग सीन, लव- मेकिंग, और 'इंटरकोर्स' जैसे शब्दों के उपयोग, सभी सेंसर बोर्ड के दायरे में वर्जित हैं. और भारत के लोगों को ऐसे 'नीच' और 'कुसंस्कारी चीज़ों' से बचाने के लिए ही बोर्ड या तो फिल्मों पर प्रतिबंध लगाती है या फिर उन्हें एडिट करती है.

बिल्ली के गले में घंटी बांधने के मकसद से फिल्म के ट्रेलर में सेंसर बोर्ड से मिली हर निगेटिव रिव्यू को शामिल किया गया है. 'उनका कहना था...

फिल्म 'लिपस्टिक अंडर माई बुर्का' ने सेंसर बोर्ड को खुला चैलेंज कर दिया है. पहले तो अपने पोस्टर के साथ और अब नए ट्रेलर के साथ. आपको याद होगा कि पिछले दिनों सेंसर बोर्ड ने इस फिल्म के बहुत ज्यादा 'महिला संबंधित' होने के कारण प्रतिबंधित करने की कोशिश की थी. लेकिन सेंसर बोर्ड का ये कदम ही फिल्म के निर्माता के लिए वरदान साबित हो रहा है और अब वे इसका भरपूर फायदा उठा रहे हैं.

इस साल मई में फिल्म के निर्माताओं ने सेंसर बोर्ड के बैन के खिलाफ फिल्म प्रमाणन अपीलीय ट्रिब्यूनल (एफसीएटी) का दरवाजा खटखटाया था. एफसीएटी ने सेंसर बोर्ड को निर्देश दिया था कि फिल्म को 'ए' सर्टिफिकेट के साथ रीलिज होने दिया जाए. तो अब यह फिल्म सिनेमा हॉल में आने के लिए तैयार है और अपने नए ट्रेलर से तहलका मचा रही है.

ये फिल्म 'बोल्ड' होने की एक नई परिभाषा गढ़ रही है. इसके ट्रेलर ने वास्तविकता और कहानी को एक साथ जोड़ने के प्रयास में फिल्म से जुड़े विवाद और अखबारों की क्लिप डाल दिया है. दो मिनट का ये ट्रेलर अखबारों की सुर्खियों से शुरू होता है और उसके बाद एक स्लोगन आता है जो कहता है- 'साल की सबसे विवादास्पद फिल्म आ गई है.'

और यह सही भी है! इसमें कोई दो राय नहीं है कि हमारे सुपर संस्कारी सेंसर बोर्ड को छोटे से छोटे कुसंस्कार से दिक्कत है और इसलिए वो फिल्मों पर कैंची चलाने से बाज नहीं आता. उदाहरण के लिए- किसिंग सीन, लव- मेकिंग, और 'इंटरकोर्स' जैसे शब्दों के उपयोग, सभी सेंसर बोर्ड के दायरे में वर्जित हैं. और भारत के लोगों को ऐसे 'नीच' और 'कुसंस्कारी चीज़ों' से बचाने के लिए ही बोर्ड या तो फिल्मों पर प्रतिबंध लगाती है या फिर उन्हें एडिट करती है.

बिल्ली के गले में घंटी बांधने के मकसद से फिल्म के ट्रेलर में सेंसर बोर्ड से मिली हर निगेटिव रिव्यू को शामिल किया गया है. 'उनका कहना था कि इसमें बहुत ही ज्यादा सेक्स सीन हैं' और 'ये फिल्म वो देखना नहीं चाहते' ट्रेलर में हर बात का मजा लिया गया है. और इसका सबसे अच्छा पार्ट पता है क्या है? एक लड़की पूछती है, 'हमारी आज़ादी से आप इतना डरते क्यों हैं?'

तो कुल जमा बात ये है कि फिल्म के ट्रेलर ने सेंसर बोर्ड को गुस्से से लाल कर दिया है. अब देखना ये है कि अगले महीने जब ये फिल्म सिनेमाघरों में आएगी तब क्या रंग जमाती है.

ये भी पढ़ें-

सेंसरबोर्ड और फिल्म के पंगे की कहानी पोस्टर ने ही बता दी..

एक खूबसूरत लिपस्टिक पर सेंसर का फिजूल बुर्का


इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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