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हमारे भूत डराते कम और हंसाते ज्यादा हैं

    • श्रुति दीक्षित
    • Updated: 07 जुलाई, 2018 12:01 PM
  • 20 अगस्त, 2017 02:29 PM
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एनाबेल क्रिएशन फिल्म सिनेमा हॉल में देखने के बाद मुझे लग रहा है कि भारतीय हॉरर फिल्म और हॉलीवुड की हॉरर फिल्मों में कई ऐसी बातें हैं जो अलग हैं और यकीनन भारतीय हॉरर फिल्में सिर्फ मेरे जैसे लोगों के लिए ही बनाई जाती हैं.

रोमांस, कॉमेडी, एक्शन, थ्रिलर और हॉरर भारतीय सिनेमा में इसकी अलग ही परिभाषा है. जहां तक हॉरर फिल्मों की बात है वहां तो भारतीय सिनेमा अभी तक दर्शकों को निराश ही करती आई है. हॉरर फिल्मे देखने के शौकीन लोग अगर इस स्टोरी को पढ़ रहे हैं तो वो आसानी से समझ जाएंगे कि मैं क्या कहने की कोशिश कर रही हूं. दरअसल, मैं उन लोगों में से हूं जो हॉन्टेड 3D जैसी फिल्म देखकर भी डर जाते हैं, लेकिन सभी हॉरर फिल्में देखते जरूर हैं.

एक बार देख लीजिए उस फिल्म का ट्रेलर जिसके बारे में यहां बात हो रही है. इसका ट्रेलर ही इतना डरावना है कि हमारे बॉलीवुड में बनी अच्छी से अच्छी हॉरर फिल्म भी थोड़ी पीछे रह जाए.

अब यहां देखिए हॉन्टेड 3D का ट्रेलर. इस फिल्म का प्रचार बहुत जोरों शोरों से हुआ था. इस फिल्म को 3D में बनाया गया था. जहां ट्रेलर देखकर ही स्पेशल इफेक्ट्स का अंदाजा लगाया जा सकता है.

चलिए एक और ट्रेलर देखिए. ये है हॉरर स्टोरी का ट्रेलर.

इंडियन फिल्म तो ठीक है, लेकिन एनाबेल क्रिएशन देखकर जो हालत हुई उसका विवरण इस पोस्ट में तो नहीं किया जा सकता है और इसलिए उसे हम भूली हुई बात समझकर आगे बढ़ जाते हैं. फिलहाल एनाबेल क्रिएशन फिल्म सिनेमा हॉल में देखने के बाद मुझे लग रहा है कि भारतीय हॉरर फिल्म और हॉलीवुड की हॉरर फिल्मों में कई ऐसी बातें हैं जो अलग हैं और यकीनन भारतीय हॉरर फिल्में सिर्फ मेरे जैसे लोगों के लिए ही बनाई जाती हैं. न कि उन लोगों के लिए जो बड़े चाव से हॉरर फिल्में देखते हैं और आहट जैसे शो से भी नहीं डरे हैं. खैर, चलिए उन अहम बातों को जानते हैं जहां हमारी हॉरर फिल्में हॉलीवुड से अलग हैं...

1. भूत...

अब भूत की बात हो रही है तो सबसे पहले भूत को ही आड़े हाथों ले लेते हैं. रामसे और एक्स जोन या जी हॉरर शो...

रोमांस, कॉमेडी, एक्शन, थ्रिलर और हॉरर भारतीय सिनेमा में इसकी अलग ही परिभाषा है. जहां तक हॉरर फिल्मों की बात है वहां तो भारतीय सिनेमा अभी तक दर्शकों को निराश ही करती आई है. हॉरर फिल्मे देखने के शौकीन लोग अगर इस स्टोरी को पढ़ रहे हैं तो वो आसानी से समझ जाएंगे कि मैं क्या कहने की कोशिश कर रही हूं. दरअसल, मैं उन लोगों में से हूं जो हॉन्टेड 3D जैसी फिल्म देखकर भी डर जाते हैं, लेकिन सभी हॉरर फिल्में देखते जरूर हैं.

एक बार देख लीजिए उस फिल्म का ट्रेलर जिसके बारे में यहां बात हो रही है. इसका ट्रेलर ही इतना डरावना है कि हमारे बॉलीवुड में बनी अच्छी से अच्छी हॉरर फिल्म भी थोड़ी पीछे रह जाए.

अब यहां देखिए हॉन्टेड 3D का ट्रेलर. इस फिल्म का प्रचार बहुत जोरों शोरों से हुआ था. इस फिल्म को 3D में बनाया गया था. जहां ट्रेलर देखकर ही स्पेशल इफेक्ट्स का अंदाजा लगाया जा सकता है.

चलिए एक और ट्रेलर देखिए. ये है हॉरर स्टोरी का ट्रेलर.

इंडियन फिल्म तो ठीक है, लेकिन एनाबेल क्रिएशन देखकर जो हालत हुई उसका विवरण इस पोस्ट में तो नहीं किया जा सकता है और इसलिए उसे हम भूली हुई बात समझकर आगे बढ़ जाते हैं. फिलहाल एनाबेल क्रिएशन फिल्म सिनेमा हॉल में देखने के बाद मुझे लग रहा है कि भारतीय हॉरर फिल्म और हॉलीवुड की हॉरर फिल्मों में कई ऐसी बातें हैं जो अलग हैं और यकीनन भारतीय हॉरर फिल्में सिर्फ मेरे जैसे लोगों के लिए ही बनाई जाती हैं. न कि उन लोगों के लिए जो बड़े चाव से हॉरर फिल्में देखते हैं और आहट जैसे शो से भी नहीं डरे हैं. खैर, चलिए उन अहम बातों को जानते हैं जहां हमारी हॉरर फिल्में हॉलीवुड से अलग हैं...

1. भूत...

अब भूत की बात हो रही है तो सबसे पहले भूत को ही आड़े हाथों ले लेते हैं. रामसे और एक्स जोन या जी हॉरर शो के जमाने में हमें सिर्फ यही दिखाया गया था कि भूत जो हैं वो थर्ड डिग्री बर्न विक्टिम की तरह लगते हैं. इसके बाद फिल्मों में लंबे चौड़े शैतान दिखाए जाने लगे. अपने जमाने की हिट फिल्म वीराना के भूत को भी अब देखा जाए तो शायद भूतनी को देखकर डर तो बिलकुल नहीं लगेगा. यहीं अगर पुराने जमाने की हॉरर फिल्म द रिंग सीरीज देखी जाए तो भूत कैसा होता है वो दिख जाएगा. अगर ब्लॉकबस्टर फिल्म द एक्जॉरिज्म ऑफ एमिली रोज देखी जाए तो और लगने लगेगा कि भूत इतने रियल भी हो सकते हैं. तो जी हम इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि बॉलीवुड के भूत ज्यादा डरावने दिखाने के चक्कर में थोड़ी फनी हो जाते हैं.

2. स्टोरी...

अब बात करते हैं स्टोरी की. स्टोरी लाइन को लेकर वैसे भी भारतीय फिल्मों की गाहे-बगाहे बात होती ही रहती है, लेकिन हॉरर स्टोरी का क्या? एक निश्चित पैटर्न है... चाहें राज देखें, या वीराना, अशोक कुमार की महल देखें या फिर हाल ही में रिलीज हुई बिपाशा बासु की अलोन. सभी फिल्मों में हिरोइन और हीरो की लव स्टोरी बहुत जरूरी होती है. बहुत पुरानी फिल्मों को छोड़ दिया जाए तो हालिया फिल्मों में रोमांटिक गाने और थोड़े हॉट सीन होने जरूरी है. फिर जो कुछ बचता है उसमें भूत आता है और स्क्रीन स्पेस भी काफी कम होती है उसकी. एक और बात. हिरोइन को बचाने के लिए हीरो की जरूरत पड़ती ही है.

यहीं अगर हॉलीवुड फिल्मों की बात करें तो हिरोइन खुद अपने आप में एक मजबूत कैरेक्टर होती है. इसके अलावा, यहां भूत को और उससे जुड़ी हरकतों को ज्यादा स्क्रीन टाइम दिया जाता है. इसी के साथ, स्टोरी में एक बात खास होती है. लगभग 80% हॉलीवुड हॉरर फिल्मों में भूत ऐसे घर से जुड़ा होता है जहां कोई नया परिवार आकर रहने लगता है.

3. स्पेशल इफेक्ट...

अब बॉलीवुड की बातें तो आपको पता ही हैं और हॉलीवुड के स्पेशल इफेक्ट देखने हों तो हालिया रिलीज एनाबेल क्रिएशन देख सकते हैं. स्पेशल इफेक्ट के मामले में अभी तक बाहूबली जैसी फिल्म को ही सफलता हासिल हुई है. स्पेशल इफेक्ट की ही बात की जाए तो साधारण से दिखने वाले जोकर को भी फिल्म इट (IT) में इतना खतरनाक बना दिया है कि ट्रेलर देखकर ही डर लगता है.

फिल्म IT का सीन

4. हनुमान चालिसा या फिर एक्जॉरिस्म...

हिंदी फिल्मों में हनुमान चालिसा हमेशा काम आती है. कोई भी भूत हो वो इससे डरता ही है. पहली वाली 1920 फिल्म में तो एक्जॉरिस्म काम नहीं आया था और आखिर में हीरो को हनुमान चालिसा से काम चलाना पड़ा था जो उसे जबानी याद थी. अब देखिए अंग्रेजी फिल्मों में कई बार एक्जॉरिस्म काम कर जाता है, लेकिन अभी एनाबेल क्रिएशन के बाद समझ आया कि भगवान की प्रेयर और होली क्रॉस भी कई बार कोई काम नहीं आता है. तो यहां भी विदेशी फिल्में देसी से अलग हैं. आने वाली फिल्म क्रूसिफिक्शन में तो और भी ज्यादा डरावने सीन हैं.

5. बच्चे...

हॉलीवुड हो या बॉलीवुड दोनों ही तरह की फिल्मों में बच्चों का बहुत बड़ा योगदान होता है. हां बॉलीवुड के बच्चे और हॉलीवुड के बच्चे दोनों ही बहादुर होते हैं. कभी भूत से दोस्ती कर लेते हैं तो कभी उनसे लड़ते हैं. फर्क सिर्फ इतना होता है कि हॉलीवुड के बच्चे इतने बहादुर होते हैं कि अकेले किसी भी कमरे में चले जाते हैं. उनके पास सभी तरह के साधन होते हैं जिनसे वो भूत से दूर रह सकें. उनके घर में कई कोने होते हैं जहां वो छुप सकें साथ ही इतनी हिम्मत होती है कि उन्हें मालूम होता है कि भूत है फिर भी वो कमरे में अकेले सो जाते हैं.

तो कुल मिलाकर ऐसा लगा कि एनाबेल क्रिएशन फिल्म को थिएटर में देखकर मैंने कोई गलती नहीं की. फिल्म देखकर कम से कम इतनी सारी बातें तो पता चल गईं. वीकएंड के लिए अगर आप प्लान कर रहे हैं तो ये फिल्म एक अच्छा विकल्प है.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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