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एक फिल्म को रोकने से पाकिस्तान को मुहतोड़ जवाब नहीं मिल जाएगा...

    • विनीत कुमार
    • Updated: 14 अक्टूबर, 2016 09:32 PM
  • 14 अक्टूबर, 2016 09:32 PM
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सारी मुश्किल ऐ दिल है मुश्किल पर बैन लगाने से हल नहीं हो जाएगी. हां! राजनीति के नाम पर गुंडागर्दी का इतिहास जिन्होंने संजो कर रखा है....उन्हें अपनी करामात दिखाने का मौका मिला है और वे इस मौके को आसानी से नहीं छोड़ेंगे.

डर और देशभक्ति का ऐसा बेजोड़ कॉकटेल आपने कभी देखा है? 'सिनेमा ऑनर्स और एग्ज‍िबि‍टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया' (COEAI) ने घोषणा कर दी है कि ऐसी किसी फिल्म को रिलीज नहीं किया जाएगा जिसमें पाकिस्तानी कलाकार हैं. सीधे तरीके से समझिए तो अभी ये 'ऐसी वैसी फिल्म' ऐ दिल है मुश्किल ही है. दिवाली पर इस फिल्म को रिलीज होना है. COEAI सिनेमा हॉल के मालिकों का एक संगठन है. इस संगठन से ज्यादातर सिंगल स्क्रिन के मालिक ही जुड़े हुए हैं. महाराष्ट्र में इनकी अच्छी पैठ है. 400 से ज्यादा सदस्य यहीं से हैं. वैसे, मल्टीप्लेक्स में फिल्म रिलीज हो सकेगी या नहीं, इस पर कुछ भी साफ नहीं है. फिल्म की रिलीज डेट भी आगे बढ़ सकती है.

वैसे, ये दिलचस्प है. हो सकता है जब नरेंद्र मोदी इस्लामाबाद जाकर मिठाई खा रहे हों या फिर उपहार के तौर पर नवाज शरीफ को सॉल दे रहे हों तभी करण जौहर ने भी फवाद खान को अपनी फिल्म के लिए साइन किया हो. अब, फवाद खान को लेना उन पर भारी पड़ रहा है. जो भी हो लेकिन COEAI के प्रेजिडेंट नितिन दातार ने जब पाकिस्तानी कलाकारों वाली फिल्म को रिलीज नहीं करने की बात की तो ट्विटर पर कई तरह की प्रतिक्रिया आने लगी.

कोई फैसले पर ताली बजा रहा है तो कई आलोचना कर रहा है. अजीब विडंबना है. हम बेकार...

डर और देशभक्ति का ऐसा बेजोड़ कॉकटेल आपने कभी देखा है? 'सिनेमा ऑनर्स और एग्ज‍िबि‍टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया' (COEAI) ने घोषणा कर दी है कि ऐसी किसी फिल्म को रिलीज नहीं किया जाएगा जिसमें पाकिस्तानी कलाकार हैं. सीधे तरीके से समझिए तो अभी ये 'ऐसी वैसी फिल्म' ऐ दिल है मुश्किल ही है. दिवाली पर इस फिल्म को रिलीज होना है. COEAI सिनेमा हॉल के मालिकों का एक संगठन है. इस संगठन से ज्यादातर सिंगल स्क्रिन के मालिक ही जुड़े हुए हैं. महाराष्ट्र में इनकी अच्छी पैठ है. 400 से ज्यादा सदस्य यहीं से हैं. वैसे, मल्टीप्लेक्स में फिल्म रिलीज हो सकेगी या नहीं, इस पर कुछ भी साफ नहीं है. फिल्म की रिलीज डेट भी आगे बढ़ सकती है.

वैसे, ये दिलचस्प है. हो सकता है जब नरेंद्र मोदी इस्लामाबाद जाकर मिठाई खा रहे हों या फिर उपहार के तौर पर नवाज शरीफ को सॉल दे रहे हों तभी करण जौहर ने भी फवाद खान को अपनी फिल्म के लिए साइन किया हो. अब, फवाद खान को लेना उन पर भारी पड़ रहा है. जो भी हो लेकिन COEAI के प्रेजिडेंट नितिन दातार ने जब पाकिस्तानी कलाकारों वाली फिल्म को रिलीज नहीं करने की बात की तो ट्विटर पर कई तरह की प्रतिक्रिया आने लगी.

कोई फैसले पर ताली बजा रहा है तो कई आलोचना कर रहा है. अजीब विडंबना है. हम बेकार में सबसे बड़े लोकतंत्र और शासन प्रशासन की बात करते फिरते हैं. जब कुछ मुट्ठी भर लोग ही ऐजेंडा सेट कर रहे हैं, तो ये पूरा ढकोसला क्यों?

ये बात सही है कि कि उरी में हुए आतंकी हमले के बाद देश में पाकिस्तान के विरोध को लेकर एक माहौल बना. इंडियन मोशन पिक्चर प्रोड्यूसर एसोसिएशन (IMPPA) ने पाकिस्तान के कलाकारों के साथ काम नहीं करने को लेकर एक सहमति भी बनाई. लेकिन जो फिल्म तैयार है, रिलीज की तारीख तय है..उस पर हंगामा क्यों है? ये वाकई देशभक्ति है या माहौल का राजनीतिक फायदा लेने की कोशिश?

यह भी पढ़ें- ओम पुरी और अदनान सामी का फर्क समझिए

 मुश्किल में 'ऐ दिल है मुश्किल'

पिछले कई दिनों से इस फिल्म की रिलीज को लेकर एमएनएस की धमकियां सामने आ रही थीं. ये उसी की अगली कड़ी है. COEAI के प्रेजिडेंट नितिन दातार जब अपनी बात रख रहे थे तो उन्होंने सुरक्षा को भी फिल्म रिलीज नहीं करने का एक कारण बताया. उनके मुताबिक मौजूदा माहौल में ऐसी फिल्म रिलीज करना बड़ा खतरा साबित हो सकता है. फिर वो ये भी कहते हैं कि ये फैसला देशभक्ति की भावना और राष्ट्रहित का ख्याल रखते हुए लिया गया है. दोनों बातों में अपने आप में बड़ा विरोधाभास हैं. वे किस माहौल की बात कर रहे हैं और खतरा किससे है? देशभक्ति कोई खराब माहौल तो है नहीं!

दरअसल, फिल्मों पर निशाना केवल इसलिए क्योंकि ये सबसे आसान है. पाकिस्तान से लोग आने बंद तो नहीं हो गए. क्या पाकिस्तानियों को सरकार ने वीजा देना बंद कर दिया है या सरकार की ओर से कोई अल्टीमेटम आया है कि देश में मौजूद सभी पाकिस्तानी अगले दो दिन में अपने देश लौट जाएं? पाकिस्तान के साथ सारे व्यापार बंद हो गए क्या? दूतावास बंद हो गया?

मुझे उम्मीद है कि एमएनएस और राज ठाकरे उसे भी बंद कराने आएंगे. लेकिन अब तक ऐसा कुछ भी नहीं हुआ...और वैसे भी सारी मुश्किल ऐ दिल है मुश्किल पर बैन लगाने से हल नहीं हो जाएगी. हां! राजनीति के नाम पर गुंडागर्दी का इतिहास जिन्होंने संजो कर रखा है....उन्हें अपनी करामात दिखाने का मौका मिला है और वे इस मौके को आसानी से नहीं छोड़ेंगे.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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