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नोटबंदी के दौर में रिलीज होतीं ये फिल्में तो कुछ ऐसे होते टाइटल

    • श्रुति दीक्षित
    • Updated: 23 नवम्बर, 2016 02:00 PM
  • 23 नवम्बर, 2016 02:00 PM
offline
नरेंद्र मोदी की नोटबंदी ने देश में हाहाकार मचा रखा है. ऐसे में अगर बॉलीवुड की चर्चित फिल्में इस दौर में बनी होतीं तो क्या होता?

नोटबंदी ने पूरे देश में हाहाकार मचा रखा है. नेता से लेकर अभिनेता तक सभी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के फैसले से परेशान से नजर आ रहे हैं. आम जनता की तो जनाब पूछिए ही मत. वो तो लाइन में लगी हुई है और परेशान है. मोदी विरोधी और मोदी भक्त दोनों ही मोदी से आगे नहीं बढ़ पा रहे और मोदी जी अगली योजना की तैयारी में लगे हुए हैं.

ये भी पढ़ें- क्या होगा अगर सलमान अचानक कर लें शादी ?

सभी अपने-अपने काम को किसी ना किसी तरह से पूरा करने की सोच रहे हैं. अब इसी बीच सोचिए कि अगर इसी बीच हाल ही में रिलीज हुई फिल्में बनाईं जाती तो क्या होता? किस तरह के टाइटल होते, किस डायलॉग को सबसे ज्यादा ट्वीट किया जाता? चलिए देखते हैं कुछ ऐसी ही फिल्मों के पोस्टर.

 आखिर क्या हुआ था 8 नवंबर की रात

 

 काले धन की बात ही कुछ और होती है, नए नोटों पर सिर्फ मेरा हक है

 

नोटबंदी ने पूरे देश में हाहाकार मचा रखा है. नेता से लेकर अभिनेता तक सभी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के फैसले से परेशान से नजर आ रहे हैं. आम जनता की तो जनाब पूछिए ही मत. वो तो लाइन में लगी हुई है और परेशान है. मोदी विरोधी और मोदी भक्त दोनों ही मोदी से आगे नहीं बढ़ पा रहे और मोदी जी अगली योजना की तैयारी में लगे हुए हैं.

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सभी अपने-अपने काम को किसी ना किसी तरह से पूरा करने की सोच रहे हैं. अब इसी बीच सोचिए कि अगर इसी बीच हाल ही में रिलीज हुई फिल्में बनाईं जाती तो क्या होता? किस तरह के टाइटल होते, किस डायलॉग को सबसे ज्यादा ट्वीट किया जाता? चलिए देखते हैं कुछ ऐसी ही फिल्मों के पोस्टर.

 आखिर क्या हुआ था 8 नवंबर की रात

 

 काले धन की बात ही कुछ और होती है, नए नोटों पर सिर्फ मेरा हक है

 

  पांचसौ का नोट कभी अपनी आदत नहीं बदलता
 

 

 हमारे खर्चे बड़े हैं, लेकिन नोट.. बहुत छोटे...

नोट बंद हो गए हैं, टेंशन पाकिस्तान को होनी चाहिए.. मुझे नहीं

 आखिर क्या वजह थी इसकी...

 जब वो नोट बंद करने से नहीं डरते, तो तुम खर्च करने से क्यों डरते हो

 

 करंसी कभी बैन नहीं हो सकती...

 आओ मैं तुम्हें नए नोट दिला दूं...

 अब ये देश बढ़ता बच्चा है तो कूदेगा ही, नोट तो मुझे बचाने पड़ेंगे

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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