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Updated: 06 मई, 2017 06:50 PM
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पिछले साल सितंबर में शहाबुद्दीन के जेल से रिहा होने पर कड़ी प्रतिक्रिया हुई. जिन मामलों में शहाबुद्दीन जेल में थे उनसे जुड़े पीड़ित पक्ष बेहद डरे हुए थे. यहां तक कि उन दिनों मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की भी टेंशन बढ़ी हुई महसूस की गयी.

जब जाने माने वकील प्रशांत भूषण सुप्रीम कोर्ट पहुंचे और जमानत रद्द हो गयी तो शहाबुद्दीन को सरेंडर करना पड़ा. बाद में अदालत के आदेश पर शहाबुद्दीन को सिवान से तिहाड़ शिफ्ट कर दिया गया.

शहाबुद्दीन के चर्चा में होने की ताजा वजह एक चैनल पर पेश की गयी ऑडियो क्लिप है. दावा है कि इस ऑडियो में आवाज शहाबुद्दीन और आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद की है - जिसमें शहाबुद्दीन लालू को हिदायत देते सुने जा सकते हैं.

शहाबुद्दीन के निर्देश

क्या मोहम्मद शहाबुद्दीन इतने ताकतवर हैं कि लालू को भी हिदायत देते हैं? शहाबुद्दीन और लालू की बातचीत का ऑडियो करीब एक मिनट का है. इस ऑडियो में शहाबुद्दीन अपने इलाके सिवान की किसी घटना को लेकर लालू से शिकायत करते सुनाई दे रहे हैं.

लालू : हैलो

शहाबुद्दीन : प्रणाम

लालू : हां बोलो

शहाबुद्दीन : सिवान का कुछ खबर ले लीजिए

लालू : सिवान? मीरगंज की घटना का तो सुना हूं

शहाबुद्दीन : सिवान में हालात ज्यादा खराब हैं. उस दिन मैंने कहा था वह 'छातावाला' की गलती से, आज नौवीं था, पुलिस का डेप्युटेशन किया जाना चाहिए था.

लालू : नहीं किया था?

शहाबुद्दीन : नहीं नहीं कुछ नहीं.. आपका एसपी किसी काम का नहीं है. इन सबको हटाइए, नहीं तो ये सब दंगा करवा देंगे.

लालू : आज कुछ हुआ है?

शहाबुद्दीन : हां, मुझे पता चला है कि गोली भी चली है पुलिस की तरफ से.

lalu prasad, shahabuddinशहाबुद्दीन कितने ताकतवर? [फाइल फोटो]

लालू : अरे! कहां पर?

शहाबुद्दीन : नवलपुर में ईंट-पत्थर चला था, लेकिन अभी विधायक जी बात कर रहे थे, तो उन्हें लोगों ने बताया कि वहां गोली भी चली है. पुलिस फायरिंग में...

लालू : कहां पर?

शहाबुद्दीन : पता कर लीजिए.

लालू : एसपी को फोन लगाओ तो...

शहाबुद्दीन की ताकत

क्या सिवान के बाहुबली शहाबुद्दीन के लिए जेल की दीवारें कोई खास मायने नहीं रखतीं? अगर ऐसा है तो पिछले साल शहाबुद्दीन के जेल से छूटने पर लोग डरे हुए क्यों थे? जब जेल में रहते शहाबुद्दीन इतने ताकतवर हैं कि बाहर कुछ भी करा सकते हैं तो बाहर या भीतर होने से लोगों को कितना फर्क पड़ता है?

शहाबुद्दीन के मामले में उस वक्त सुप्रीम कोर्ट में नीतीश सरकार की काफी फजीहत हुई थी. कोर्ट ने जमानत रद्द कराने में हड़बड़ी पर कड़ी नाराजगी जताई थी. कोर्ट का सवाल था कि आखिर शहाबुद्दीन को 45 मामलों जमानत मिली तो उसके खिलाफ अपील क्यों नहीं हुई. कोर्ट ने पूछा सरकार कहां सो रही थी कि हाई कोर्ट को जमानत देनी पड़ी?

सुप्रीम कोर्ट के इन सवालों का सरकार के पास कोई ठोस जवाब नहीं था. जवाब था तो वो सिर्फ राजनीतिक हो सकता था जिसे कोर्ट में दर्ज नहीं कराया जा सकता था. ये तो साफ हो चुका था कि सरकार ने केस की पैरवी ठीक से नहीं की - और शहाबुद्दीन को कमजोर पैरवी का फायदा मिला. लेकिन सरकार को पैरवी कमजोर क्यों करनी पड़ी, ये भी किसी से छिपा नहीं. जब नीतीश ने बीजेपी का साथ छोड़ लालू प्रसाद से हाथ मिला लिया फिर ये तो होना ही था. वैसे ये नीतीश सरकार की पैरवी ही रही जिसके चलते ही शहाबुद्दीन को जेल में 11 साल गुजारने पड़े.

पीड़ित पक्षों की बातें मीडिया में आने से नीतीश काफी दबाव महसूस करने लगे थे - और ये बात उन दिनों बुलाई गयी लॉ अफसरों की उस मीटिंग में भी महसूस की गयी थी.

लालू का बचाव

शहाबुद्दीन और लालू की बातचीत को लेकर प्रसारित ऑडियो पर भी सवाल उठाये जा रहे हैं, लेकिन जिस तरह लालू प्रसाद शहाबुद्दीन का बचाव करते हैं उससे सवाल कमजोर पड़ जाते हैं. अगर शहाबुद्दीन का कोई प्रभाव नहीं होता तो इतने संगीन आरोपों के बावजूद भला आरजेडी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में उन्हें क्यों शामिल किया जाता?

जेल से छूटते ही शहाबुद्दीन का बयान था, 'लालू यादव ही हमारे नेता हैं, मैं उन्हीं को मुख्यमंत्री देखना चाहता था. मैं नीतीश को मुख्यमंत्री बनाने के पक्ष में नहीं था, लेकिन महागठबंधन के फैसले को मानना पड़ा.' जेल से घर के रास्ते में शहाबुद्दीन के काफिले और उसमें शामिल समर्थकों ने जो डर का वातावरण बनाया उसकी भी खूब चर्चा हुई.

लेकिन जब लालू के सामने शहाबुद्दीन के बयान का जिक्र हुआ तो उन्होंने कहा, 'शहाबुद्दीन आरजेडी के सदस्य हैं और यदि वे कहते हैं कि मैं उनका नेता हूं तो इसमें क्या गलत है? उन्होंने कोई अभद्र टिप्पणी नहीं की है.'

एक नये टीवी चैनल द्वारा प्रसारित इस ऑडियो पर कांग्रेस नेता शहजाद पूनावाला ने सवाल खड़े किये हैं. एक ट्वीट में पूनावाला ने इसे प्लांटेड स्टोरी बताया है.

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