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Updated: 21 जून, 2017 08:00 PM
अशोक उपाध्याय
अशोक उपाध्याय
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भारत जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने बिहार के राज्यपाल रामनाथ कोविंद को एनडीए की ओर से राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाए जाने की घोषणा करके सबको हैरान कर दिया. जहां भाजपा एवं उसके समर्थकों ने इस कदम को पार्टी का मास्टरस्ट्रोक मानते हुए पार्टी नेतृत्व के इस निर्णय का स्वागत किया वहीं विरोधियों ने यह कह के इस घोषणा का विरोध किया कि वो ऐसे जाने-माने व्यक्ति नहीं हैं जिनको राष्ट्रपति बनाया जाए. कुछ विरोधी दलों ने यह कह कर रामनाथ कोविंद की उम्मीदवारी का विरोध किया कि भाजपा ने उनसे बिना सलाह लिए राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार घोषित कर दिया है.

Ram Nath Kovind

कोविंद दो बार राज्यसभा के सदस्य होने और पार्टी के तमाम राजनैतिक पदों पर रहने के बावजूद कभी विवादित नहीं रहे और शायद उनकी पूंजी भी यही है. उनके समर्थक उनके उम्मीदवारी के पक्ष में उनकी निर्विवाद छवि की भी बात कर रहे हैं. लाइम लाइट से दूर रहने वाले कोविंद फिर भी विवादों से बहुत दूर नहीं रह पाए हैं. उनकी उम्मीदवारी के घोषित होने के कुछ घंटों के भीतर ही उनके खिलाफ दो विवाद मीडिया में आ चुके हैं.

बंगारू लक्ष्मण का साथ दिया था

अंग्रेजी वेबसाइट वायर की खबर के अनुसार 2012 में रामनाथ कोविंद ने भाजपा के पूर्व अध्यक्ष बंगारू लक्ष्मण के समर्थन में गवाही दी थी. हालांकि बंगारू लक्ष्मण को  भ्रष्टाचार के मामले में बाद में सजा हो गई. वो तहलका के एक स्टिंग में पैसे लेते हुए पकड़े गए थे. इस खबर के अनुसार रामनाथ कोविंद ने अपने गवाही में कहा था कि वो बंगारू लक्ष्मण को पिछले 20 वर्षों से जानते हैं और वो एक सीधे सादे एवं ईमानदार व्यक्ति हैं. रामनाथ कोविंद ने यह भी कहा कि इस एक्सपोज़ के टेलीकास्ट के बाद वो बंगारू लक्ष्मण से मिले थे एवं उन्होंने कहा था कि उनको इस मामले में फंसाया गया है.

ईसाइयों एवं मुसलमानों को दलितों का दर्जा दिए जाने का विरोध

रामनाथ कोविंद ने रंगनाथ मिश्रा कमीशन की रिपोर्ट के आधार पर ईसाइयों एवं मुसलमानों के पिछड़ों को दलितों का दर्जा दिए जाने का विरोध किया था. 26 मार्च 1910 को भाजपा के प्रवक्ता के तौर पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि अगर रंगनाथ मिश्रा कमीशन की रिपोर्ट को मान लिया गया तो दलित  ईसाइयों एवं दलित मुसलमानों को न केवल दलितों के लिए आरक्षित सीट पर चुनाव लड़ने की योग्यता मिल जाएगी बल्कि इस श्रेणी की नौकरियों पर भी उनका हक हो जायेगा. यानी दलितों को अपने हिस्से की सीट एवं नौकरियां इनको देनी पड़ेंगी. उन्होंने ने यह भी कहा कि भीम राव अम्बेडकर, जवाहरलाल नेहरू, सरदार पटेल एवं राजगोपालाचारी जैसे लोगों ने भी इस मांग का विरोध किया था. जब उनसे ये पूछा गया कि अगर सिख दलितों को कोटा दिया जा सकता है तो मुस्लिमानों एवं क्रिश्चियन को क्यों नहीं, तो उन्होंने कहा कि इस्लाम और क्रिश्चियनिटी भारत में प्रारम्भ हुए धर्म नहीं हैं.

पर इन आरोपों में इतना दम नहीं है कि ये रामनाथ कोविंद के राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी में रोड़ा अटका सकें. बंगारू लक्ष्मण के पक्ष में उन्होंने जो भी कहा वो उनका व्यक्तिगत विचार हो सकता है. ऐसा करना गैरकानूनी नहीं है. जहां तक ईसाईयों एवं मुस्लिम समुदाय के पिछड़ों को रिजर्वेशन देने की बात है, तो भाजपा प्रारम्भ से इसके विरुद्ध रही है.

देखना है कि आने वाले समय में रामनाथ कोविंद के खिलाफ और कौन से विवाद सामने आते हैं एवं इनका उनके राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी पर क्या असर पड़ता है.

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लेखक

अशोक उपाध्याय अशोक उपाध्याय @ashok.upadhyay.12

लेखक इंडिया टुडे चैनल में एडिटर हैं.

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