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Updated: 20 जून, 2017 05:20 PM
आलोक रंजन
आलोक रंजन
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भाजपा ने बिहार के राज्यपाल रामनाथ कोविंद को एनडीए की ओर से राष्ट्रपति पद का उम्‍मीदवार बनाया है. बीजेपी ने दलित कार्ड खेलकर विपक्ष को चारों खाने चित कर दिया. कोविंद की उम्मीदवारी का ऐलान होने के बाद विपक्षी दलों की प्रतिक्रिया मिली जुली थी. जेडीयू के नीतीश कुमार और बीएसपी की मायावती ने हालांकि बीजेपी के कदम का स्वागत किया लेकिन उन्होंने साथ में यह भी कह दिया कि उनका सपोर्ट 22 जून को होने वाले विपक्ष की बैठक के बाद ही किया जायेगा. दोनों ने समर्थन देने के मुद्दे पर तुरंत कुछ साफ करने से मना कर दिया.

Ram Nath Kovindरामनाथ कोविंद के खिलाफ विपक्ष की रणनीतियां तेज

विपक्षी पार्टियां कोविंद के खिलाफ अपनी रणनीति बनाने में जुट गयी हैं. लेफ्ट, तृणमूल कांग्रेस, एनसीपी आदि कई पार्टियां कोविंद के खिलाफ उम्मीदवार खड़े करने के पक्ष में है. कांग्रेस पहले ही अपनी असहमति जाहिर कर चुकी है. विपक्ष अब खुद राष्ट्रपति चुनाव को लेकर दलित कार्ड खेलने पर लगा हुआ है. 22 जून को इस मुद्दे पर गैर-एनडीए दलों की बैठक होने वाली है. सूत्रों के अनुसार पूर्व लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार, पूर्व केंद्रीय मंत्री सुशील कुमार शिंदे, और भारिपा बहुजन महासंघ के नेता और डॉ. बी आर अंबेडकर के पौत्र प्रकाश अंबेडकर को कोविंद के खिलाफ लड़ाने का ऐलान कर सकती है. हालांकि सुशील कुमार शिंदे ने साफ कर दिया है की वो राष्ट्रपति पद के दावेदार नहीं है.

विपक्ष एक संभावना ये भी तलाश कर रहा है कि किसी आदिवासी को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया जाए. अगर विपक्ष मीरा कुमार को राष्ट्रपति पद के लिए खड़ा करता है तो शायद नीतीश कुमार को सपोर्ट करने में कोई दिक्कत न हो, क्योंकि मीरा कुमार खुद बिहार की रहने वाली हैं. और हो सकता है कि महिला और दलित होने के नाते मायावती को भी इन्हें सपोर्ट करने में कोई गुरेज न हो. इसी तर्ज पर अगर शिंदे या प्रकाश अंबेडकर को विपक्ष का उम्मीदवार बनाया जाता है तो शिवसेना को भी समर्थन देने में कोई परेशानी नहीं होगी क्योंकि ये दोनों महाराष्ट्र से ताल्लुक रखते हैं.

एनडीए के ऐलान के बाद टीआरएस, एआईएडीएमके, वाईएसआर कांग्रेस और बीजेडी ने एनडीए उम्मीदवार कोविंद को समर्थन देने का ऐलान किया है. इन चारों का करीब 12 प्रतिशत वोट राष्ट्रपति चुनाव में हैं. ऐसे में अगर देखा जाये तो अगर चुनाव होते भी हैं तो एनडीए के उम्मीदवार को किसी भी प्रकार से हराया नहीं जा सकता.

रामनाथ कोविंद के नाम का ऐलान होने के बाद राजनीतिक सरगर्मी तेज हो गयी हैं और विपक्ष बीजेपी के दलित कार्ड के खिलाफ अब खुद दलित कार्ड खेलने में उतारू हैं. कोविंद के खिलाफ एक ही चीज इतर जाती हैं और वो हैं आरएसएस से उनका जुड़ाव रहना. कांग्रेस और विपक्ष हमेशा से सेक्युलर पॉलिटिक्स के पक्षधर रहे हैं और ऐसे में वो टीआरएस, एआईएडीएमके, वाईएसआर कांग्रेस, बीजेडी, सपा, बसपा आदि अन्य पार्टियों को समझाने में सफल हो जाते हैं तो अंतिम समय तक कांटे का मुकाबला हो सकता है और पासा किसी के तरफ भी पलट सकता है.

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आलोक रंजन आलोक रंजन @alok.ranjan.92754

लेखक आज तक में सीनियर प्रोड्यूसर हैं.

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