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Updated: 21 अगस्त, 2017 01:10 PM
अभिनव राजवंश
अभिनव राजवंश
  @abhinaw.rajwansh
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भारत-श्रीलंका के बीच पांच एकदिवसीय मैचों की सीरीज कई मायनों में महत्वपूर्ण होगी. हाल ही में संपन्न हुए तीन टेस्ट मैचों की सीरीज में भारत ने श्रीलंका का सूपड़ा साफ़ करते हुए, एकतरफा मुकाबले में तीनों ही मैच जीत लिए थे. लेकिन एकदिवसीय मैचों की इस सीरीज का परिणाम के लिए लिहाज से बहुत ज्यादा महत्‍व भले न हो, मगर कुछ खिलाड़ियों के लिए यह काफी महत्त्वपूर्ण हो सकता है.

भारतीय टीम के कप्तान विराट कोहली ने पहले मैच में जिस तरह जीत दर्ज की है, वह बताता है कि दाम्बुला को वे कितना मान देते हैं. इसी मैदान से विराट ने अपने अंतरराष्ट्रीय करियर का आगाज किया था. विराट उस मैच में गौतम गंभीर के साथ ओपनिंग बल्लेबाजी करते हुए 22 गेंद में 12 रन ही बना सके थे.

धोनी, क्रिकेट, श्रीलंका   कहा जा सकता है कि इस सीरीज से धोनी को अपनी खोई साख बचाने का मौका मिलेगा

इस मैच में धोनी को कुछ खास करने का मौका तो नहीं मिला, लेकिन यह सीरीज उनके लिए कुछ अलग तरह की होगी. एक तरफ जहां महेंद्र सिंह धोनी इस सीरीज से पहले 296 एकदिवसीय मैच खेल चुके हैं, और इस सीरीज में उनके पास 300 मैच खेल कर उस विशिष्ट क्लब में शामिल होने का मौका होगा, जिसमें हाल ही में उनके साथी युवराज शामिल हुए हैं. तो वहीं दूसरी ओर यह सीरीज उनके भविष्य के लिहाज से भी काफी महत्वपूर्ण है. इस सीरीज में अच्छा प्रदर्शन कर जहां धोनी 2019 विश्वकप में खेलने की उम्मीदें बरकरार रख सकते हैं तो उनका ख़राब प्रदर्शन उनके करियर को एक बुरे अंत की तरफ धकेलने के साथ ही 2019 की विश्व कप टीम में खेलने के उनके मंसूबे पर भी पानी फेर सकता है.

धोनी के लिए कई वर्षों में यह पहला मौका होगा जब वो टीम में अपनी जगह को लेकर जद्दोजहद में होंगे. ऐसा इसलिए क्योंकि 2004 में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में पदार्पण के बाद से ही धोनी लगातार बुलंदियों के शिखर की ओर बढ़े हैं और इस दौरान भारतीय क्रिकेट इतिहास में अपना नाम सुनहरे अक्षरों में भी दर्ज करने में सफल रहें हैं. इस दौरान धोनी ने अपनी कप्तानी में आईसीसी के सभी टूर्नामेंट जीतने वाले कप्तान बनने का भी गौरव हासिल किया था.

धोनी अब 36 वर्ष के हो गए हैं और अब उनकी बल्लेबाजी में वो धार भी कभी कभी ही दिखती है, जिससे विश्व का हर गेंदबाज और कप्तान खौफ खाया करता था. हालांकि धोनी विकेट के पीछे अभी भी उसी चपलता के साथ खड़े दिखाई देते हैं, मगर युवा उम्र के कुछ होनहार विकेटकीपर बल्लेबाजों ने उनकी जगह को खतरे में डाल दिया है. और हाल ही में टीम चयन के बाद मुख्य चयनकर्ता एमएसके प्रसाद ने इशारों इशारों में इस बात के भी संकेत दे दिए हैं कि धोनी अब टीम चयन के लिए नेचुरल चॉइस नहीं रह गए हैं. इनके अलावा टीम के नए कोच रवि शास्त्री ने भी इस बात की घोषणा कर दी कि 2019 की विश्व कप टीम में वही होगा जो फिट होगा.

धोनी के करियर के लिहाज से निश्चित रूप से मुख्य चयनकर्ता और कोच का बयान काफी मायने रखता है. क्योंकि प्रदर्शन के हिसाब से पिछले दो सालों में धोनी ने जहाँ 2016 में 13 वनडे मैच खेले जिसमें उन्होंने 27 की औसत से 278 रन बनाए. वहीं 2017 में अभी तक उन्होंने 13 मैच खेले हैं, जिसमें उन्होंने 386 रन बनाए हैं. इस दौरान इंग्लैंड के खिलाफ उन्होंने 134 रन भी बनाए थे.

बहरहाल इस दौरान धोनी कई बार मैच को फिनिश करने में भी नाकाम रहे हैं जिसके लिए विश्व क्रिकेट उनका कायल हुआ करता था. और साल 2019 में होने वाले विश्व कप तक धोनी 38 वर्ष के हो जायेंगे, इस लिहाज से उनको अपनी फिटनेस पर भी काफी मेहनत करनी होगी. धोनी को यह भी ध्यान में रखना होगा की इस सीरीज के पहले युवराज और रैना फिटनेस टेस्ट पास करने में नाकाम रहे हैं.

धोनी का अब तक का करियर बताता है कि धोनी का प्रदर्शन दबाव में और निखर कर आता है, और ऐसी ही उम्मीद फिर से तमाम क्रिकेटप्रेमी भी उनसे कर रहे हैं. क्योंकि सच्चाई यही है कि आज विश्व क्रिकेट में धोनी के स्तर के बल्लेबाज कम ही हैं, और अगर एक फिट और इन फॉर्म धोनी भारतीय टीम की तरफ से 2019 में उतरेगा तो यह भारतीय टीम के लिए भी अच्छी खबर होगी.

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अभिनव राजवंश अभिनव राजवंश @abhinaw.rajwansh

लेखक आज तक में पत्रकार है.

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