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Updated: 07 जनवरी, 2017 06:11 PM
पारुल चंद्रा
पारुल चंद्रा
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बिग बॉस के घर में अपनी सू-सू बानी और रोहन पर फेंकने के बाद स्वामी ओम को बिग बॉस के घर से तो निकाल दिया गया, लेकिन घर से बाहर आने के बाद स्वामी जी आउट ऑफ कंट्रोल हुए जा रहे हैं. बिग बॉस और सलमान खान के खिलाफ बयान देना तो स्वाभाविक है, लेकिन स्वामी ओम ने जब महिलाओं और भारतीय संस्कृति पर अपने विचार रखे तो उनकी पीड़ित सोच पर मुहर भी लग गई.

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 इनकी हरकतों की वजह से बिग बॉस ने इन्हें बाहर का रास्ता दिखाया

इंडिया टुडे के एक कार्यक्रम में हिंदू महासभा के अध्यक्ष स्वामी ओम ने भारतीय परंपरा का हवाला देते हुए कहा कि महिलाएं सर से लेकर पांव तक 'सेंशुअस' यानि कामुक होती हैं, इसीलिए उन्हें कामिनी कहा जाता है'. नाए साल के जश्न के दौरान बेंगलुरू में हुए मास मेलेस्टेशन पर स्वामी ओम का कहना था कि- 'भाई या पिता को लेकर घर से बाहर निकला जाता है, अकेले आप मत निकलिए'.

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इस कार्यक्रम में स्वामी जी, अपने अपने क्षेत्र की तीन दिग्गज महिलाओं से भिड़ गए. और उनका कहना भी ठीक वैसा ही था जैसा कि अबु आजमी ने कहा था कि महिलाएं पेट्रोल होती हैं उन्हें आग के बचना चाहिए...इनका कहना था कि महिलाएं गुड़ की तरह होती है जिनपर मक्खियां तो आएंगी ही. देखिए भारतीय संस्कृति की बात करने वाले इस शख्स ने क्या क्या दलीलें दीं.

आखिरी तक स्वामी ओम को ये समझाया जाता रहा कि पुरुषों की सोच को भी बदलने की जरूरत है. भारतीय संस्कृति अगर ये कहती है कि महिलाओं को छोटे कपड़े नहीं पहनने चाहिए, तो किस भारतीय संस्कृति में ये लिखा है कि पुरुषों को महिलाओं के साथ जबरदस्ती करने का अधिकार है. बलात्कार अगर रात को बाहर निकलने की वजह से होते हैं, छोटे कपड़े पहनने की वजह से होते हैं, तो 6 महीने की बच्ची के साथ बलात्कार होता है तो किसलिए??

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पर स्वामी ओम के मुंह से ये भारतीय संस्कृति वाली बातें तो वैसे भी सूट नहीं करतीं, बिग बॉस के घर में रहकर वो अपने सभी रंग दिखा चुके हैं. सन्यासी का ढोंग करके नॉनवैज खाना हो, चाहे महिलाओं पर भद्दे कमेंट्स करना हो, या रसोई में खड़े होकर पेशाब करना हो, और तो और एक महिला पर पेशाब फेंकना हो, ऐसा करना तो किसी भी संस्कृति में नहीं लिखा. भला हो कि बिग बॉस का कि इस शख्स को घर से निकाल दिया, लेकिन देखा जाए तो ये समाज में रहने लायक ही नहीं है. इन्हें बोलने के लिए न तो कोई मंच देना चाहिए, और न ही इनकी बात को महत्व, क्योंकि ये तो वही बोलेंगे जो इनके अंदर भरा है.

स्वामी ओम जैसे लाखों हैं इस देश में जो महिलाओं को सिर्फ 'चीज़' समझते हैं, इंसान नहीं और ऐसे लोगों को समझाना, उनकी सोच बदलना वाकई एक मुश्किल काम हैं...देश भले ही बदल जाएगा, इन जैसों की सोच नहीं. 

लेखक

पारुल चंद्रा पारुल चंद्रा @parulchandraa

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं

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