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Updated: 03 जनवरी, 2017 08:14 PM
पारुल चंद्रा
पारुल चंद्रा
  @parulchandraa
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बेंगलुरु में नए साल का जश्न कुछ इस तरह मनाया गया कि इंसानियत शर्मसार हो गई. नए साल का जश्न मनाने गई लड़कियों का मास मॉलेस्टेशन हुआ. सड़कों पर लड़कों ने उन्हें गलत तरह से छुआ, उन्हें छेड़ा, भद्दे कमेंट्स किए गए, और तो और उन्हें सड़कों पर दौड़ाया भी गया. लड़कों की इस हरकत को हम अभी धिक्कार ही रहे थे कि देश के मर्दों के एक हिमायती ने ऐसा बयान दिया कि अब समझ नहीं आ रहा कि जहालत के मामले में कौन टॉप पर है. वो बेहूदा लड़के या फिर उनके हिमायती समाजवादी पार्टी के नेता अबु आज़मी.

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  'जहां पेट्रोल होगा आग वहीं लगेगी'

इस मामले पर अबु आज़मी ने आदत के मुताबिक एक बेहद शर्मनाक बयान दिया. उनका कहना है कि 'जहां पेट्रोल होगा आग, वहीं लगेगी. शक्कर पर चींटी आएगी ही, उसे आमंत्रण नहीं भेजना पड़ता.'

ये लड़कों की गलीच हरकतों को न कहते हुए भी जायज करार दे देते हैं. जैसा कि लड़के तो ऐसा करेंगे ही. क्योंकि महिलाएं इंसान नहीं पेट्रोल हैं उन्हें आग के पास नहीं जाना चाहिए, अब पेट्रोल से तो नहीं कह सकते कि तुम जलो मत. लड़कों की गलती ठहराने के बजाए ये लड़कियों के कपड़ों की लंबाई को ही गलत ठहराते रहे, वो इस बात को सही बताने की कोशिश करते रहे कि लड़कियों का इस तरह बाहर जाना उनके लिए सेफ नहीं है. उन्हें ऐसे रहना चाहिए कि बिगड़े हुए लड़कों को मौका ही न दें.

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अबू आजमी बार-बार कहते रहे कि वो ऐसा काम ही न करें कि लड़के भड़कें. वो इस बात की भी दलील देते रहे कि महिलाएं पूरे कपड़े पहने तो उन्हें नहीं छेड़ा जाएगा. वो अपना सम्मान खुद रखें. अबु आज़मी ने इस बात का समर्थन किया है कि मुस्लिम महिलाओं की तरह ही बाकी महिलाओं को भी पर्दे में ही रहना चाहिए और उनपर नजर रखनी चाहिए कि उन्हें किसके साथ बाहर जाना चाहिए और किसके साथ नहीं.

सुनिए ये शर्मनाक बयान एक तीखी बहस के साथ-

2014 में भी अबू आज़मी ने रेप को लेकर एक ऐसी ही बात कही थी. उनका कहना था कि 'जो महिलाएं सहमति या बिना सहमति के सेक्स करती हैं उन्हें फांसी पर टांग देना चाहिए.' इस शर्मनाक बयान को सुनकर खुद उनकी बहु आयशा टाकिया को भी शर्मिंदा होना पड़ा था. आयशा ने ट्वीट किया था कि 'मीडिया में मेरे ससुर का जो बयान सामने आया है, अगर वही सही है, तो मैं और फरहान इसे लेकर बेहद शर्मिंदा हैं. हम इस तरह की मानसिकता नहीं रखते. यह महिलाओं का अपमान है. अगर यह बयान सही है तो बेहद ही दुर्भाग्यपूर्ण है.'

कुल मिलाकर एक बार फिर साबित करने की कोशिश की गई कि महिलाएं जो करें वो सरासर गलत है, लड़के तो बिगड़े हुए ही होते हैं. उन्हें सुधरने या सुधारने की कोशिश करना बेकार है, सारी कोशिशें लड़कियों पर लगाम लगाने पर करनी चाहिए. 

समझ नहीं आता हम कब तक इस तरह के बयानों पर अफसोस करते रहेंगे. और इस तरह की जहालत बर्दाश्त करते रहेंगे.

लेखक

पारुल चंद्रा पारुल चंद्रा @parulchandraa

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं

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