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Updated: 08 सितम्बर, 2016 03:50 PM
पारुल चंद्रा
पारुल चंद्रा
  @parulchandraa
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अक्सर कुछ वीडियो के शुरुआत में ही लिखा होता है कि ये दृश्य कुछ दर्शकों को परेशान कर सकते हैं. लेकिन इस वीडियो के दृश्य न केवल परेशान करने वाले थे बल्कि दिल डुबा देने वाले भी थे. ये पल थे एक छोटे से बच्चे के आखिरी लम्हों के, मौत से जंग लड़ रहे बच्चे के जो अपनी जिंदगी हार गया. प्लास्टिक का एक छोटा सा टुकड़ा बच्चे की श्वास नली में फंस गया, जिससे दम घुटने के कारण 9 महीने के लेटन की मौत हो गई. डॉक्टरों की तमाम कोशिशें भी उसे बचा नहीं पाईं.

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 अस्पताल में तीन दिनों तक लड़ता रहा लेटन

लंदन से आई ये खबर अपने आप में परेशान करने वाली थी, लेकिन जिस चीज ने ज्यादा परेशान किया, वो था इन पलों को एक टीवी चैनल पर दिखाया जाना. बच्चे के माता-पिता ने चैनल 4 को अपने बेटे के आखिरी लम्हों को पूरी दुनिया को दिखाने की इजाजत दे दी. कैमरा क्रू को बच्चों के अस्पताल के अंदर फिल्माने दिया गया.

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 माता-पिता ने टीवी चैनल को बच्चे के आखिरी लम्हे फिल्माने की इजाजत दी

दिल तोड़ देने वाले इस एपिसोड को हाल ही में टीवी पर दिखाया गया कि घर पर तमाम कोशिशें करने के बाद कैसे लेटन के पिता उसे अस्पताल ले जाते हैं जहां उसके दिल ने धड़कना बंद कर दिया था. और तीन दिन की जद्दोजहद के बाद कैसे लेटन मौत की नींद सो गया.

देखिए इस एपिसोड के कुछ अंश-

इस घटना को टीवी पर दिखाने के लिए कुछ लोगों ने बच्चे के माता-पिता को बहुत हिम्मती और मजबूत कहा. उन्होंने ऐसा क्यों किया इसपर बच्चे के माता-पिता एडम और सेरीना ने बड़ी ही बेतुकी सी बात कही, वो ये कि वो अपने बच्चे को श्रृद्धांजलि और अस्पताल के लोगों को धन्यवाद देना चाहते थे.

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इस दौरान लेटन कोमा में चला गया था, उसके पास बैठी उसकी मां

उन्होंने ये भी कहा कि 'ये सब अपने बच्चे की याद में किया, जिसने मौत के साथ जंग लड़ी, लोगों को ये बताना चाहते थे कि बरमिंघम अस्पताल का स्टाफ और सुविधाएं कितनी अच्छी हैं. ये कार्यक्रम देखकर लोगों में जागरुकता फैलेगी और अगर कोई भी माता-पिता एक भी जीवन बचाने में सफल हुए तो हम ये समझेंगे कि हमारे बच्चे का जीवन व्यर्थ नहीं हुआ.'

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तमाम कोशिशों के बाद भी लेटन को बचाया नहीं जा सका

अब जरा अंदाजा लगाइए उस पल का जब ऐसी किसी तकलीफ से गुजर रहे बच्चे को लेकर माता-पिता अस्पताल की तरफ दौड़ते हैं. उस समय बच्चे की सलामती से ज्यादा माता-पिता को कुछ और नहीं सूझता, तब डॉक्टर अपना काम कर रहे होते हैं और परिजन भगवान से प्रार्थना कर रहे होते हैं कि कोई चमत्कार ही हो जाए और बच्चा कैसे भी ठीक हो जाए. हमें तो नहीं लगता कि ऐसे समय में कोई माता-पिता किसी टीवी चैनल से सिर्फ इसलिए संपर्क साधेगा कि वो अपने बच्चे को श्रद्धांजलि और डॉक्टरों को धन्यवाद देना चाहते हैं. दुनिया भले ही इन माता-पिता को मजबूत कहे, लेकिन हमें तो ये माता-पिता बेहद असंवेदनशील नजर आए जिन्होंने अपने ही बच्चे की मौत को फिल्‍माने दिया.

लेखक

पारुल चंद्रा पारुल चंद्रा @parulchandraa

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं

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