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Updated: 28 दिसम्बर, 2015 06:10 PM
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1. कोपा अमेरिका कप फुटबॉल चैंपियनशिप में अपनी टीम वेनेजुएला को सपोर्ट करने के लिए एक-दो नहीं बल्कि आठ महिलाओं ने अपने कपड़े उतारे. ये सारी महिलाएं एक वेनेजुएलन टीवी की रिपोर्टर और प्रजेंटर थीं.

2. फ्रांस में चल रहे एक मुस्लिम सम्मेलन के दौरान जब इस्लामिक कानून के दो जानकार इमाम अपनी बात रख रहे होते हैं तभी अचानक दो महिलाएं स्टेज पर पहुंचती हैं और निर्वस्त्र हो जाती हैं-कमर से ऊपर एकदम निर्वस्त्र. ये दोनों महिलाएं भी मुस्लिम थीं.

3. एक अमेरिकी महिला एक पोस्ट लिखकर कहती है कि वह चाहती है कि उसके बेटे उसे निर्वस्त्र देखें, क्‍योंकि वह नहीं चाहती कि उसके बच्‍चे मैगजीन में छपने वाली महिलाओं की काया को ही सच मानें.

अब ऊपर जिन घटनाओँ का जिक्र किया गया है उनके बारे में थोड़ा विस्तार से जान लीजिए.

वेनेजुएला में आठ महिला टीवी प्रजेंटेटर फुटबॉल के कोपा अमेरिका कप के दौरान अपने देश की फुटबॉल टीम का उत्साह बढ़ाने के लिए निर्वस्त्र हुई थीं. इन महिलाओँ ने अपनी टीम का समर्थन करने के साथ-साथ अपने निर्वस्त्र होने की वजह महिला सशक्तीकरण के मुद्दे को भी उठाना बताया. इनका उद्देश्य ऐसा करके महिला शरीर से जुड़े मिथक को तोड़ना भी था.

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वेनेजुएला की फुटबॉल अपनी टीम को सपोर्ट करने के लिए 8 मॉडल हुईं थीं न्यूड

पूरी खबर: ...इस तरह तो निर्वस्त्र होना भी जायज है

दूसरी घटना में फ्रांस में चल रहे एक मुस्लिम सम्मेलन के दौरान दो मुस्लिम महिलाएं स्टेज पर पहुंचकर टॉपलेस हो जाती हैं. ये महिलाएं यूक्रेन के उस नारीवादी FEMEN ग्रुप की सदस्य थीं जो महिलाओँ के अधिकारों के लिए लड़ने के लिए टॉपलेस होने का तरीका अपनाता रहा है. इस ग्रुप की पहुंच दुनिया भर के 9 देशों में हैं और इससे 300 महिलाएं जुड़ी हुई हैं. यूक्रेन में इस ग्रुप की शुरुआत सेक्स टूरिज्म और वेश्यावृत्ति के विरोध में हुई थी जो धीरे-धीरे महिला अधिकारों और महिला सशक्तिकरण की मांग के साथ दुनिया के कई अन्य देशों में फैल गई.

पूरी खबर: बहस का मुद्दा बन गई हैं इस्लामिक सम्मेलन में निर्वस्त्र हुई दो युवतियां

वहीं तीसरी घटना में एक अमेरिकी मां ने अपने चार छोटे बेटों के बड़े होने से पहले उनके सामने निर्वस्त्र होने की इच्छा इसलिए जताई ताकि वे जान सकें कि वास्तव में स्त्री का शरीर कैसा होता है, इससे पहले कि मैगजीन और फिल्में देखकर वे औरत के शरीर के बारे में कोई काल्पनिक छवि अपने दिमाग में बनाएं उन्हें यह औरत निर्वस्त्र होकर दिखाना चाहती थी कि खासकर बच्चों के जन्म के बाद कैसे महिलाओं के शरीर में बदलाव आता है और उसके पेट पर बने निशान से वे समझ पाएंगे कि बच्चे को गर्भ में रखना कितना मुश्किल होता है. इस महिला का मानना था कि ऐसा करके ये बच्चे बड़े होने पर अपने महिला पार्टनर को ज्यादा सम्मान देंगे.

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अपने चार बेटों के साथ रीटा टेम्पलटन

पूरी खबर: ये महिला क्यों चाहती है कि उसके बेटे उसे निर्वस्त्र देखें

ये सारी खबरें पिछले वर्ष मीडिया की सुर्खियों में छाई रहीं. ऐसा होता भी क्यों नहीं इन सबमें महिलाओं के निर्वस्त्र होने का मामला जो जुड़ा हुआ था. पुरुषों का निर्वस्त्र होना कोई मुद्दा ही नहीं है लेकिन अगर कोई महिला अपनी मर्जी से निर्वस्त्र होने का फैसला करे तो भौंहें तन जाती है. फिर भले ही स्त्री अपने देश के प्रति अपनी समर्थन जताने, अपनी आजादी की मांग करने या किसी जरूरत के लिए ऐसा फैसले ले, उसका ऐसा करना ही पुरुषों द्वारा उसके लिए बनाए गए नैतिकता की दीवारों को तोड़ने की कोशिशों के तौर पर देखा जाने लगता है. यानी शरीर भले ही स्त्री का हो लेकिन उस पर नियम पुरुष समाज के ही लागू होते हैं. इसीलिए पिछले वर्ष जब कभी महिलाओं के टॉपलेस होने की खबरें आईं बवाल और विवाद दोनों हुआ. नैतिकता की दुहाई देते हुए कइयों ने इन घटनाओँ की कड़ी निंदा की.

इन घटनाओं का विरोध करने वाले तर्क देंगे कि महिलाओँ की आजादी और सशक्तिकरण के नाम पर निर्वस्त्र होना सही कैसे है, आखिर कहीं तो कोई लकीर होनी चाहिए. लेकिन सवाल तो ये है कि क्या समाज की नैतिकता की ये लकीरें सिर्फ महिलाओँ के लिए होनी चाहिए, पुरुषों के लिए नहीं? खैर ऐसी घटनाएं अंतहीन बहस को जन्म देती है और इनके समर्थकों और विरोधियों के अपने-अपने तर्क होते हैं. इन बातों को पढ़कर आपके मन में भी इन घटनाओं के समर्थन या विरोध की भावनाएं उठी होंगी, तो बताइए आप इस बारे में क्या सोचते हैं?

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इंडिया टुडे ग्रुप का ऑनलाइन ओपिनियन प्लेटफॉर्म.

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