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Updated: 09 जून, 2017 01:09 PM
सोनाक्षी कोहली
सोनाक्षी कोहली
 
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हर लड़की कभी न कभी ऐसे लोगों का सामना जरुर करती है जो उन्हें ऐसे घूरता है मानो उसकी आंखों में एक्स-रे लगा हो और वो कपड़ों के अंदर तक घुसकर देख सकती है. क्या लड़कों की इस बेशर्म निगाह से आप इतनी परेशान हो गईं कि अपने फैशन सेंस पर ही सवालिया निशान खड़ा करने लगीं? या फिर उसकी नजरों से बचने के लिए अपना रास्ता बदल लिया?

आपका तो पता नहीं, पर मैंने अपने जीवन में ऐसी घटनाओं को खूब झेला है और यहां तक ​​कि इस तरह की घटनाओं को अपने आसपास के कई लोगों के साथ शेयर करने की मूर्खता भी की है. मैं उसे मूर्खता कहती हूं क्योंकि मेरे दोस्तों की तरफ से मुझे सिर्फ सांत्वना ही मिली वो भी- 'यार तुझे इतने भड़काऊ कपड़े नहीं पहनने चाहिए थे!' सच कहूं तो इन सांत्वना देने वाले अपने सभी दोस्तों के लिए मेरे दिमाग में यही आया कि ये सब भी उन आदमियों की ही तरह कंसेंट यानि सहमति का अर्थ नहीं जानते. या फिर इनकी डिक्शनरी में कंसेंट नाम का शब्द होता ही नहीं है. तभी तो ये सारा दोष कपड़ो पर थोप देते और ज्ञान झाड़ने लगते हैं.

जबकि सच्चाई ये है कि छेड़छाड़ या किसी भी तरह की बदतमीजी में कभी भी गलती पीड़िता की नहीं होती है. मैं बताती हूं कि आखिर क्यों मैं जो चाहती हूं वही करुंगी बजाय इसके कि मुझे जो कहा गया है वो सुनने में टाइम बर्बाद करुं :

Social Media, Fashion, Stareनजर तेरी बुरी पर्दा मैं क्यों करूं

1- Maah Life, Maah Rulezz

ये इंटरनेट पर सिर्फ एंजिल प्रियाओं या पापा की परी बेटियों का ही सोशल मीडिया स्टेटस नहीं है, बल्कि इसका एक गहरा अर्थ है.

असल में, जब बात उन मूर्खों से निपटने की आती है जो लड़कियों से ढंग के कपड़े पहनने की उम्मीद करते हैं, तो ये लाइन उन्हें सीधे-सपाट शब्दों में करार जवाब देती है: मेरे जीवन में आपको बोलने का कोई हक नहीं है.

आखिर कोई मुझे क्यों बताएगा कि मुझे कैसे कपड़े पहनने चाहिए? मुझे याद नहीं कि कभी कपड़ों के अपने शौक को पूरा करने के लिए मैंने किसी के पैसे चुराएं हो और न ही मुझे याद आता है कभी मैंने कभी किसी से मुफ्त का ज्ञान मांगा हो. इससे भी बड़ी बात ये कि अपने चारों ओर घिनौने, ठरकी किस्म के लोगों को देखकर मेरा खून खौल जाता है और मुझे फील होता है कि ऐसे लोगों का मैं गला दबा दूं. लेकिन फिर भी कभी मैंने ऐसे लोगों को जान से मार देने की मांग नहीं की.

2- मेरे पैर की वैक्सिंग देखना छोड़ो, अपने भालू जैसे बालों की परवाह करो

मुझे याद नहीं है कि मैंने किसी लड़के के पैरों को घूरा हो, फिर चाहे उसने कितने भी छोटे शॉर्ट्स क्यों न पहन रखे हों. न तो मैंने कभी किसी मर्द की गठी हुई छाती को देखकर लार टपकाया है, फिर चाहे उसने अपने शर्ट के कितने भी बचन खोल रखे हों. तो फिर आखिर तुम्हें मेरे पैरों / छाती / या बाहों पर देखने की इतनी चुल्ल क्यों मचती है?

सम्मान जितना दोगे उतना ही वापस पाओगे.

3- तुम खुद को ढंकना क्यों नहीं शुरू कर देते?

मैं नहीं चाहती की तुमलोगों की ही तरह मैं भी एक बेशर्म, असंवेदनशील और क्रूर इंसान की तरह 'ढंग' के कपड़े पहनने का ज्ञान देकर तुम्हारा खून चूस लूं, और न ही मैं ऐसी हो सकती हूं. क्योंकि मुझे हमारे लोकतंत्र द्वारा दिए गए स्वतंत्रता के अधिकार के मूल्यों को जानती हूं. लेकिन मैं आपसे अपनी आंखों को बंद करने की मांग जरूर कर सकती हूं क्योंकि यह मेरा शरीर है जिसे आप घूर रहे हैं.

4- अपनी बेकद्री के बावजूद मैं तुम्हारी कद्र करती हूं, तुम्हारी तरह नहीं...

मेरे पास आपके और आपके आउट-ऑफ-कंट्रोल 'हथियार' के लिए एक परफेक्ट सॉल्यूशन है: पोर्न देखें. मुझे यकीन है कि वहां आपके लिए खूब सारा माल है. सबसे अच्छी बात? उन पोर्न फिल्मों को महिला की सहमति के साथ बनाया गया जाता है और इसलिए आपके उन्हें ताड़ने का पूरा अधिकार है. इसके अलावा, आपको खुद को रोकने की जरुरत नहीं पड़ेगी और अपने फ्रश्ट्रेशन को सही रास्ता भी दिखा सकेंगे. आपको तो पता ही होगा?

5- अपनी हवस को छुपाने के लिए मेरे कपड़ों को निशाना बनाना बंद करो

जब मैं बच्ची थी मुझे तब घूरा जाता था. जब मैंने मिनी स्कर्ट पहन ली मुझे तब भी घूरा गया, यहां तक की जब मैंने सलवार कमीज पहन रखी थी मुझे तब भी घूरा गया. तो क्या आपको पता है कि मेरे कपड़े बदलने से आपकी मानसिकता में कोई बदलाव नहीं आएगा?

6- मेरे पैर भी मीना कुमारी के पैरों की तरह सुंदर हैं

कभी आपने मेरे पैरों को नोटिस किया है? मुझे नहीं लगता. ये अपने आप में हास्यास्पद है कि लोगों की नजरें आमतौर पर या तो मेरी गर्दन के नीचे या सिर्फ मेरे पीछे ही अटक कर रह जाती है. कभी-कभी तो मुझे लगता है कि भगवान ने मेरे हाथों, पैरों और पेट को क्राफ्ट करने में बेकार ही टाइम बर्बाद कर दिया. ये सारे बॉडी पार्ट और कुछ नहीं हड्डियों और मांस की बर्बादी हैं. बस.

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लेखक

सोनाक्षी कोहली सोनाक्षी कोहली

सोनाक्षी कोहली एक युवा पत्रकार हैं और पितृसत्तात्मक समाज पर व्यंग्य के रुप में चोट करती हैं

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