New

होम -> संस्कृति

 |  5-मिनट में पढ़ें  |  
Updated: 23 मई, 2017 10:30 PM
आईचौक
आईचौक
  @iChowk
  • Total Shares

जब कभी भी अगर आप बैठकर अपने बारे में सोचते हैं तो पाएंगे कि हम सभी के इस धरती पर जन्म लेने का कोई ना कोई मकसद है. एक ओर जहां हम में से ज्यादातर लोग उस उद्देश्य की तलाश में ही अपना जीवन बिता देते हैं तो वहीं कुछ ऐसी भी महिलाएं हैं जिन्हें अपने अस्तित्व को तलाशने की कोई जरुरत नहीं पड़ती. ऐसी महिलाओं के जीवन का उद्देश्य उन्हें खुद थाली पर परोस रख दिया जाता है और अगर वो हिन्दू परिवार में पैदा हुई है तब तो सोने पर सुहागा. और ये कहने की कोई जरूरत नहीं है कि औरतों के जीवन का मकसद और उद्देश्य आदर्श हिन्दू महिला होना ही होता है.

हर लड़की का सपना होता है कि वो एक आदर्श बेटी, बहू और मां का तमगा पाए. तो इस टैग को पाने के लिए वेलेंटाइन डे का बहिष्कार करने, दिमाग में गलत ख्याल ना आएं इसलिए बालों को बांध कर रखना और चाऊमीन जैसे खानों का त्याग करने के अलावा भी कुछ काम हैं जिसे करने से आपको आदर्श औरत का टैग जरुर मिलेगा इस बात की गारंटी है.

संस्कारी होने की कोई शर्त ना रखें

परफेक्शनिस्ट होने के लिहाज से आमिर खान ही मेरा रोल मॉडल रहा है. उनसे ही प्रेरणा लेकर और अपने रोल को आत्मसात् कर लिया है. यही कारण है कि ये स्टोरी भी मैं एक ही हाथ से टाइप कर रही हूं क्योंकि दूसरे हाथ में मैंने आरती की थाली पकड़ रखी है. क्योंकि एक संस्कारी हिन्दू लड़की होने की पहली शर्त यही होती है. नहीं?

girl_650_041417055058.jpgआदर्श की नई परिभाषा

सच्चाई तो ये है कि मेरा दिमाग कहीं भी होगा लेकिन पूजा, भगवान और भजन में नहीं. और बता दूं कि ये स्टोरी खत्म होते ही तनाव से थोड़ा आराम पाने के लिए मेरे हाथ में शराब का ग्लास होगा. लेकिन हैलो! अगर 'पू' पार्वती हो सकती है, तो मैं तुलसी वीरानी क्यों नहीं हो सकती. कम से कम कुछ समय के लिए ही सही. आखिर ये पूरा शो वर्ल्ड है और आपके दिमाग में क्या चल रहा है इससे कोई फर्क नहीं पड़ता. फर्क सिर्फ इससे पड़ता है कि आप कैसे खुद को एक संस्कारी लड़की की तरह दिखाते हैं. है ना?

माथे पर पल्लू रखें, प्रभाव पड़ेगा

अगर अपने बालों को बांधकर रखने की बात नहीं होती तो मैं पल्लू रख भी लेती. लेकिन मुझे मेरा हेयर स्टाइल ज्यादा प्यारा है. तो क्या इसके लिए भगवान मुझे सजा देंगे?

अगर आप भी मेरी तरह इसी दुविधा का सामना कर रहे हैं तो चिंता न करें. किसी मंदिर में दो घंटे खर्च करने या हरिद्वार के बिसलेरी जैसी साफ निर्मल गंगा में कुछ डुबकियों के बाद आपको अपने सारे पापों से मुक्ती मिल जाएगी. लेकिन इस बात का ध्यान जरुर रखें कि जब भी आप कोई पाप करने जा रही हैं तो पीरियड्स ना हुए हों. क्योंकि पीरियड्स के दौरान फिर आप मंदिर तो जा नहीं पाएंगी ना.

खान से नफरत करें

क्योंकि वे लोग हमारी गौ माता (जिनकी त्वचा हम अपने फैंसी चमड़े के बैगों के लिए इस्तेमाल करते हैं) की हत्या सिर्फ अपने गंदे जीभ का स्वाद बदलने के लिए करते हैं. लेकिन वो हमारी तरह इंसान नहीं हैं.

इसके अलावा हिंदू होने के नाते हमें कृतज्ञ होने की भी ज़रूरत है. इसलिए हम आज भी अंग्रेजों और उनके द्वारा बनाई गई हिंदू-मुस्लिमों के बीच की खाई का सम्मान करते हैं.

अपने पति परमेश्वर की पूजा करना शुरु करें

सभी देवी-देवताओं, अपने माता-पिता और सासु मां की पूजा से फ्री होने के बाद अपने भगवान समान पति का आशीर्वाद प्राप्त करना ना भूलें. जब वो ऑफिस से वापस आता है तो अपने जूते और मोजे घर के अलग-अलग कोनों में फेंकता होगा. उसके जूतों मोजे को इकट्ठा करने और उन्हें वाशिंग मशीन में डालने का काम करना एक अच्छा तरीका है रोजाना अपने पति के चरण-स्पर्श करने का.

इसके अलावा अगर वो आपके साथ मारपीट करता है या आपके साथ गंदा व्यवहार करता है तो याद रखें कि पति के दरवाजे से सिर्फ अर्थी उठेगी. बस फिर क्या देखिए कैसे आपके सारे दुख दर्द हवा हो जाएंगे.

अपने खाने का ध्यान रखें

खाने का ध्यान रखने से हमारा मतलब ये नहीं की पोषण वाला खाना खा रहे हैं या नहीं. बल्कि सप्ताह के विशेष दिनों में आप क्या खाती हैं इसका ध्यान जरुर रखें. यहां तक ​​कि अगर आप एक उदारवादी, खुले विचारों वाली हिंदू महिला हैं तो भी मंगलवार और गुरुवार को मांसाहारी भोजन खाना तो दूर, छुएं भी नहीं.

कपड़े संभाल कर पहनें

हमेशा याद रखें कि हिन्दू होने के नाते आप रेपिस्टों, गंदी नजर वालों, जलनखोर आंटियों और उनकी बेटियों की नजर में चढ़ी रहेंगी. इससे बचने के लिए हमेशा घर से बाहर निकलने के पहले काला टीका लगाना ना भूलें. अगर अपना महंगा काजल आप इस काम के लिए खर्च नहीं करना चाहती तो ऐसा करें फ्रीज के पास जाएं उसमें से एक नींबू और कुछ मिर्च निकालें फिर इसकी एक धांसू सी ब्रेसलेट बनाएं और पहन लें.

अपनी नाजुक कलाई पर इसे पहनें और एक नया ही स्टाइल स्टेटमेंट चलाएं. अगर आप चाहें तो एक नारंगी टीका भी जोड़ लें. नारंगी क्यों? अरे आपने सुना नहीं क्या ऑरेंज इज न्यू ब्लैक!

ये भी पढ़ें-

फेयर करने वाली क्रीमों का बाजार लवली तरीके से ढह रहा है

सीबीएसई स्कूलों में अब बच्चों को फीचर नहीं लड़कियों के 'फीगर' बताए जा रहे हैं!

भारत को अपना ही लेना चाहिए 'ओल्ड एज होम' कल्चर

लेखक

आईचौक आईचौक @ichowk

इंडिया टुडे ग्रुप का ऑनलाइन ओपिनियन प्लेटफॉर्म.

iChowk का खास कंटेंट पाने के लिए फेसबुक पर लाइक करें.

आपकी राय