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Updated: 16 सितम्बर, 2016 08:53 PM
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रेप करो और इससे पहले कि कानून का शिकंजा कसे... पुलिस के सामने गिड़गिड़ाने लगो कि 'हम तो नाबालिग हैं. गलती हो गई. माफी दे दो!' दिल्ली के अमन विहार इलाके में दो लड़कियों के साथ गैंगरेप की घटना हुई. अब कहा जा रहा है कि पकड़े गए चार आरोपियों में तीन नाबालिग हैं. यानी 18 साल से कम उम्र के. उन आरोपियों ने खुद पुलिस को ये बात बताई. अब पुलिस उनके उम्र की जांच कराएगी. ये लिखे जाने तक पांचवा आरोपी फरार है. पुलिस उसकी तलाश में भी जुटी है. इन पांचों में से एक बीए का छात्र है जबकि बाकी के चार बीच में ही स्कूल छोड़ चुके हैं. ये सभी बातें मीडिया रिपोर्ट्स के जरिए सामने आई हैं.

निर्भया मामले का नाबालिग दोषी जब पिछले साल अपनी सजा काट कर जेल से बाहर आने को था, तब जुवेनाइल जस्टिस एक्ट पर पर खूब बहस हुई. उसे छोड़ा जाना चाहिए या नहीं, इसे लेकर भी बातें हुई और इस विषय पर भी कि तीन साल जेल में काटने के बाद वो कितना बदला होगा. बहरहाल, तमाम कवायदें हुईं. कानून में संशोधन हुआ. लेकिन केवल कानून से तो अपराध घटते नहीं.

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 नबालिग द्वारा किए जाने वाले रेप जैसे अपराधों पर लगाम कैसे लगे..

अभी कुछ ही दिनों पहले नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB)-2015 के डाटा सामने आए. आकड़ों के अनुसार देश के मेट्रो शहरों में जो अपराध होते हैं उससे ज्यादा अपराध दिल्ली में अंजाम दे दिए जाते हैं. पिछले साल दिल्ली पुलिस ने 1.91 लाख अपराध के मामले दर्ज किए जो सभी मेट्रो शहरों के मामलों को मिला देने के बावजूद ज्यादा है. अगर बात नाबालिगों द्वारा अंजाम दिए जाने वाले अपराधों की कीजिए तो उसमें भी दिल्ली पीछे नहीं.

पिछले एक साल में जुवेनाइल मामलों में 16 फीसदी की बढ़ोत्तरी हुई. 2014 में 1,946 आपराधिक मामले सामने आए जबकि पिछले साल ये आंकड़ा 2,332 तक पहुंच गया. इसमें भी रेप और यौन हिंसा, छेड़छाड़ के मामले 338 हैं.

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अब जरूरी है कि हम पिछले कुछ और वर्षों के आकड़ों पर नजर डाल लें. पूरे देश में 2012 में जहां नाबालिगों के खिलाफ 35, 465 मामले सामने आए वहीं 2014 में ये बढ़कर 42, 566 हो गए. यही नहीं, नाबालिगों द्वारा रेप जैसी घटना को अंजाम देने के मामले में 2013 में 60 फीसदी तक बढ़ोत्तरी हुई. 2012 में जहां नाबालिगों द्वारा 1,316 रेप के मामले सामने आए, अगले साल बढ़ के ये 2, 074 हो गया.

ये भी गौर करने वाली बात है कि दिसंबर-2012 में ही निर्भया मामले ने पूरे देश को हिला कर रख दिया था और पूरी घटना में एक एक नाबालिग का शामिल रहना सबसे ज्यादा चिंता की बात थी. फिर अगले ही साल अपराधों में इतनी बढ़ोत्तरी! एक तर्क हो सकता है कि निर्भया मामले के बाद बड़ी संख्या में शिकायत करने वाले सामने आने लगे. उस प्रवृति में थोड़ा बदलाव आया जब घटना की सूचना न देना या पुलिस के सामने जाने से कतराने जैसी बातें होती थीं.

ये आंकड़े इशारा करती हैं कि साल दर साल जुवेनाइल मामले लगातार बढ़ ही रहे हैं. कारण बहुत हो सकते हैं, मसलन शिक्षा से लेकर समाज में व्याप्त बड़ा गैप. क्योंकि इन अपराधों में 90 फीसदी तक किशोर ऐसे घरों से आते हैं जिनके परिवार की सलाना कमाई एक लाख से भी कम है. उसमें भी आधे ऐसे जिनकी सलाना कमाई 25, 000 या उससे भी कम है. ऊपर से जुवेनाइल होम्स की असलीयत भी किसी से छिपी नहीं है.

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