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Updated: 29 मार्च, 2017 12:53 PM
प्रथम द्विवेदी
प्रथम द्विवेदी
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'क्यों भाई ट्रोल उस दिन तुम ऑनलाइन नहीं आए, क्या हुआ सब ठीक है?' कंट्रोल ने ट्रोल के कंधे पर हाथ रखते हुए कहा.

ट्रोल: 'ऐ बकैत मुझसे चार फिट दूर ही रहना. स्साले उस दिन फालतू का ज्ञान पेल के मेरा पूरा दिन खराब कर दिया था तूने.'

कंट्रोल: 'मेरे प्यारे रोड रोमियो इतने गुस्से में क्यों रहते हो आजकल?'

troll-3_650_032817055008.jpgट्रोल भी हैं परेशान

ट्रोल: 'यार सरकार बन गई, जश्न हो गया और हमको क्या मिला? पुलिस की लाठी और उठक-बैठक. पुलिस ने जीना हराम कर दिया है हमारा. वो भी क्या दिन थे जब लड़कियों के कॉलेज के बाहर खड़े होकर लड़कियों को ताड़ते थे. किसी भी लड़की को आई लव यू बोल देते थे. कुल मिलाकर जिंदगी झंड.'

कंट्रोल: 'भाई. ये सरकार तो तुमने ही बनवाई थी, अब क्यों गाली दे रहे हो उसे?'

ट्रोल: 'ओ नरकानंद. हम किसी पार्टी के ट्रोल नहीं हैं. अब हम गुलाम भी नहीं हैं. अब हमने अपनी पर्सनल दुकान खोल ली है. सारा काम एक्सक्लूसिव है हमारा. इस सरकार को छोड़ेंगे नहीं. हमारा लड़की छेड़ना बंद करा दिया.'

कंट्रोल: 'अरे तो क्या हुआ? आप तो अंतर्यामी हैं प्रभू. आपकी तो नस-नस में लस्ट...'

'क्या बोला?'- (ट्रोल ने बीच में ही टोका)

कंट्रोल: 'मैं कह रहा है था कि आप तो ऑनलाइन भी खूब प्यार करते हैं. लड़की बनकर लड़कियों से ही दोस्ती करते हैं. लड़कियों की टाइमलाइन पर जाकर खूब सुंदर-सुंदर कमेंट देते हैं. आपके कमेंट तो ऐसे होते हैं जिसे पढ़कर आपकी बहन का भी आप पर थूकने का मन करे.'

ट्रोल का चेहरा गुस्से से तमतमा रहा था. इसी गुस्से में ट्रोल ने कंट्रोल को मारने के लिए हाथ उठाया ही था कि कंट्रोल ने उसे रोक लिया. 'ठहरो महाशय तुम क्या रेगिस्तान में पैदा हुए थे जो हर समय इतना गरम रहते हो. अच्छा और बताओ क्या-क्या कर रही है तुम्हारी सरकार?'

ट्रोल: 'एक ही शर्त पर बताऊंगा.'

कंट्रोल: 'क्या?'

ट्रोल: 'तुम्हें मुझे अपनी पड़ोस वाली लड़की का नंबर देना होगा. मुझे पता है तुम्हारी दोस्ती है उससे.'

कंट्रोल: 'ठीक है, अब बताओ.'

ट्रोल: 'यार पुलिस ना बहुत क्रूर हो गई है. हर चौराहे में डंडा लेके खड़ी है. औरतों, लौंडों को मार रही है. ये भी कोई लोकतंत्र है? कल ही मैं अपनी फेवरेट लड़की को छेड़ने के लिए उसकी कोचिंग के सामने वाली दुकान पर खड़ा था. तभी पुलिस आई और मुझे भगा दिया. हमने कहा हम सिगरेट पीने आए हैं. फिर भी भगा दिया. मैं जंतर-मंतर जाऊंगा, धरना दूंगा. ये अत्याचार नहीं चलेगा. इस योगीराज में मेरे जैसे भोगियों का क्या होगा.'

कंट्रोल: 'चलो तुम तो ठहरे लुच्चे, बाकी प्यार, इश्क और मोहब्बत वाली पार्टी का क्या हाल है.'

ट्रोल: 'उनका तो पूछो ही मत. ले-देकर बेचारों के पास पार्क और सिनेमा हॉल थे, कुछ कलरफुल पल बिताने के लिए. अब वो भी नहीं मिल रहे हैं. उन्हें भी आजादी चाहिए. वो भी हमारे साथ धरने पर बैठेंगे. हम पुलिस के खिलाफ भी आंदोलन करेंगे. मैंने सुना है कि कई पुलिस वाले तो सिर्फ अपनी कमाई करने के लिए लड़कों और लड़कियों को धर रहे हैं.'

troll_650_032817054925.jpgट्रोल और उनकी प्रजाति

कंट्रोल: 'तुम कहां से हो? शहर से, कस्बे से या गांव से?'

ट्रोल: 'इससे क्या फर्क पड़ता है? हर जगह यही हालात हैं.'

कंट्रोल: 'फर्क पड़ता है. तुम छद्मदर्शी हो. तुम कुएं में बैठे हुए मेंढक हो, जिसे बस अपना कुंआ ही पूरी दुनिया लगता है. जब राह चलते कोई टॉम, डिक या हैरी किसी लड़की पर अपनी भड़ास निकाल कर चला जाता है तब फर्क पड़ता है. फर्क पड़ता है उनकी जिंदगी पर, उनकी आज़ादी पर, उनकी सोच पर. तुम तो ये भी भूल गए कि तुम्हारे प्रदेश में ना जाने कितनी लड़कियों के चेहरों पर तेज़ाब फेंका गया है. कितनों का रेप हुआ है. एकतरफा प्यार में तुम्हारे जैसे कितने सिरफिरे आशिकों ने लड़कियों का कत्ल तक किया है. कितनी महिलाओं को शादी के बाद प्रताड़ित किया जाता है. तुमने तो कभी अपनी बहन से भी नहीं पूछा होगा कि जब वो सड़क पर निकलती है तो उसे क्या-क्या झेलना पड़ता है. तुम्हें बस चिल्लाना आता है. तुम्हें बस अपनी आजादी से मतलब है. दूसरों को आजादी मिलती है तो तुम्हें असुविधा होने लगती है. सोशल मीडिया पर ज्ञान उड़ेलना बहुत आसान है. जाओ जरा जमीन पर तस्वीर देखो सब समझ आ जाएगा. बड़े आए ट्रोल बनने.'

ट्रोल का चेहरा तमतमाया हुआ था. कंट्रोल को अपनी मिडिल फिंगर दिखाते हुए बोला- 'जा रहा हूं. मैं फिर आऊंगा. और अगली बार कुछ करके ही आऊंगा. तुम्हें भी मार गिराऊंगा. सुनो. तुम पुलिस लगा सकते हो, लेकिन मेरी आजादी नहीं छीन सकते. मुझे जो करना है मैं करूंगा. आज रात मैं इंटरनेट पर रति क्रिया देखूंगा और रति क्रिया करूंगा भी. जो उखाड़ना हो उखाड़ लेना.'

BYE LOL YOU.

कंट्रोल का मन दीवार में सर फोड़ने का था. फिलहाल वो कोचिंग के बाहर वाली दुकान पर सिगरेट पीने चल पड़ा.

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लेखक

प्रथम द्विवेदी प्रथम द्विवेदी @pratham643

लेखक आजतक में पत्रकार हैं

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