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Updated: 04 नवम्बर, 2021 04:02 PM
बिलाल एम जाफ़री
बिलाल एम जाफ़री
  @bilal.jafri.7
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सोशल मीडिया पर अगर राइट विंग्स की भरमार है, तो वहीं लेफ्ट की तरफ झुकाव रखने वाले बुद्धिजीवियों की भी कोई कमी नहीं है. इस वर्ग का मानना है कि जम्मू कश्मीर से धारा 370 और अनुच्छेद 35 ए हटने के बाद आम कश्मीरियों को पूर्व में मिली विशेष सुविधाएं लगभग खत्म हो गई हैं. वो सरकार से नाराज हैं और यही वो कारण है कि वो बगावत पर उतरे हैं. ऐसे लोग प्रायः अलगाववादियों को रहम की निगाह से देखते हैं और इनका यही मानना है कि यदि आम कश्मीरी आवाम ने बंदूक उठाई है तो इसकी वजह सरकार है. ऐसे में सवाल ये है कि क्या बंदूक ही समस्या का समाधान है? जवाब उन कश्मीरी छात्रों ने दे दिया है जो केटरिंग सर्विसेज में पार्ट टाइम नौकरी कर रहे हैं और जिनकी तस्वीरें इंटरनेट पर वायरल हैं. ध्यान रहे ये छात्र अच्छे घरों के हैं और खूब पढ़े लिखे भी हैं. छात्रों का शादियों और बारातों में बेझिझक पार्ट टाइम केटरिंग करना इस बात की तस्दीख कर देता है कि यही वो तरीका है जिससे श्रम को इज्जत और उचित सम्मान मिलेगा.

Kashmir, Student, IAS, Twitter, Tweet, Marraige, Catering, Jobआईएएस आबिद शाह के साथ वो स्टूडेंट्स जो शादियों में बतौर केटर काम कर रहे हैं

इंटरनेट पर वायरल हो रहीं और तमाम तरह की प्रतिक्रिया बटोर रही ये तस्वीरें जम्मू और कश्मीर सरकार में इकोनॉमिक रिकंस्ट्रक्शन एजेंसी में बतौर सीईओ कार्यरत आईएएस सैय्यद आबिद रशीद शाह ने डाली हैं. कश्मीरी छात्रों की इन तस्वीरों के जरिये आबिद ने ये बताने का प्रयास किया है कि अपने फ्यूचर के लिए किसी आम भारतीय छात्र की तरह कश्मीर के ये छात्र भी फ़िक्रमंद हैं और ईमानदारी से मेहनत कर कामयाबी हासिल कर रहे हैं.

अपने पोस्ट में आबिद ने इन छात्रों के उज्ज्वल भविष्य की कामना की है. जिक्र क्योंकि आईएएस सैय्यद आबिद रशीद शाह द्वारा पोस्ट की गई तस्वीरों का हुआ है तो बताते चलें कि शादियों में पार्ट टाइम केटरिंग कर रहे इन छात्रों की तस्वीरों को डालते हुए आबिद ने लिखा है कि, आज एक विवाह समारोह में मैंने इन होनहार नौजवानों को केटरिंग करते देखा.

पता चला कि वे सभी श्रीनगर कॉलेज के अंतिम वर्ष के छात्र हैं, जो इवेंट मैनेजमेंट में पार्ट टाइम कमाते हैं. इन लड़कों से मिलकर बहुत खुशी हुई ये अपने सपने साकार करने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं.

शादियों में केटरिंग कर रहे कश्मीरी छात्रों की ये तस्वीरें उन तमाम लोगों के लिए सबक है. जिनकी आंखों में सपनें तो हैं लेकिन जो मेहनत करने से घबराते हैं और हर दूसरी चीज में शार्ट कट की तलाश करते हैं. इन छात्रों ने सिर्फ कश्मीर के लोगों को नहीं बल्कि पूरे देश को बताया है कि कोई भी बड़ा या छोटा नहीं होता बस व्यक्ति में उसे करने का सलीका और जुझारूपन होना चाहिए.

जैसा कि हम ऊपर ही बता चुके हैं इन तस्वीरों पर प्रतिक्रियाओं की भरमार है और जिसकी जैसी सोच है व्यक्ति उस सोच को ध्यान में रखकर इन तस्वीरों पर रियेक्ट कर रहा है.

लोगों का मानना है कि कश्मीर में कई जगहों पर छात्रों को शादियों में केटरिंग करते देखा गया है. छात्रों का अपने करियर के प्रति ये रुख इस बात की तस्दीख कर देता है कि अब लोगों का माइंड सेट बदल गया है.

वहीं एक अन्य ट्वीट में आबिद ने ये भी लिखा है कि बहुत ही सराहनीय है कि ये युवा लड़के रूढ़िवादिता को तोड़ें और रूबिकॉन को पार करें. मैंने उनसे बात की और महसूस किया कि उनका स्वभाव बहुत अच्छा है. उनका भविष्य बहुत अच्छा होगा इंशाअल्लाह

ट्विटर पर कई यूजर्स ऐसे भी थे जिनका कहना है कि ये कोई अच्छा सुझाव नहीं है. छात्रों को अपनी लिखाई पढ़ाई पर फोकस करने की जरूरत है. अभी कमाने का समय नहीं है.

अब चूंकि देश में हर दूसरी चीज में एजेंडा चल रहा है इसलिए लोगों ने आबिद की इस पोस्ट पर भी एजेंडा तलाश कर लिया है और जो उन्हें सही लग रहा है उस अंदाज में अपनी बात कह रहे हैं.

बहरहाल, अब जबकि तस्वीरें वायरल हैं तो हम भी बस इतना ही कहेंगे कि कश्मीरी छात्रों के इस रवैये पर मीन मेख निकालने से बेहतर है हम इन तस्वीरों से प्रेरणा लें और इस बात को समझें कि यही छात्र होंगे जो कल की तारीख में न केवल श्रम को उचित सम्मान देंगे बल्कि इन्हें इस बात का भी एहसास रहेगा कि व्यक्ति किस मेहनत से पैसा कमाता है.

ट्विटर पर तमाम लोग ऐसे हैं जो इन छात्रों की 'कश्मीरियत' को मुद्दा बना रहे हैं तो जाते जाते हम इतना जरूर कहना चाहेंगे कि होने को तो इन छात्रों के हाथ में बंदूक भी हो सकती थी लेकिन धारा 370 और अनुच्छेद 35 ए ख़त्म होने के बाद घाटी के छात्र भी इस बात को बखूबी समझ गए हैं कि बंदूक भले ही क्षणिक हीरो बना दे लेकिन समाज उसी को याद रखता है जिसने मेहनत कर सफलता अर्जित की हुई होती है.

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लेखक

बिलाल एम जाफ़री बिलाल एम जाफ़री @bilal.jafri.7

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं.

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