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Updated: 22 अप्रिल, 2016 06:53 PM
राहुल मिश्र
राहुल मिश्र
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विजय माल्या से सवाल मत पूछिए क्योंकि सवाल पूछने का अधिकार आपके पास नहीं है. देश की अदालत में 17 सरकारी बैंकों से कर्ज लेकर डकार जाने का मुकदमा विजय माल्या पर चल रहा है. कर्ज देकर फंसे एक बैंक ने अदालत के हवाले से माल्या की ऑफशोर (विदेश में) संपत्ति का ब्यौरा मांगा. इस पर माल्या का कहना है कि उन्हें इस ब्यौरे के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता है क्योंकि वे तो देश के बस आधे नागरिक हैं. यानी वे एनआरआई है यानी उनकी तो आधी नागरिकता ही ऑफशोर है. लिहाजा, कर लो जो करना है- चाहे सेबी हो, बैंक हों या कोई और.

लगभग दो महीने पहले रिजर्व बैंक गवर्नर रघुराम राजन ने बिना नाम लिए माल्या को नसीहत दी थी कि देश का कर्ज खाकर विलासता के साथ जन्मदिन मनाना शोभा नहीं देता. अब माल्या ने इस नसीहत पर गौर किया कि नहीं यह तो उनके अगले जन्मदिन पर ही पत चलेगा. लेकिन राजन की नसीहत ने उनके लिए एक बात साफ कर दी कि उनकी विलासिता में साथ देने वाले दोस्त सतर्क हो चुके हैं और उनसे किसी मदद की उम्मीद नहीं रखी जा सकती. लिहाजा बोरिया-बिस्तर पैक हुआ और वह देश से नौ-दो-ग्यारह हो लिए.

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इस बीच देश में टी20 विश्व कप करा लिया गया और आईपीएल भी शुरू हो चुका है. उनके बेटे के नाम पर खड़ी की गई टीम रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर सादगी के साथ अपने मैच खेल रही है. टीम के कर्ताधर्ता नहीं होने से उत्साह कम है लिहाजा चार में से 3 मैच में हार का सामना करना पड़ा है. जाहिर है इन मैचों में विजय माल्या के वो दोस्त भी नहीं आ रहे होंगे जो पिछले साल तक किंगफिशर बियर और खूबसूरत चीयरलीडर के बीच टीम को हर मैच जिताने के लिए दर्शक दीर्घा में दिख जाते थे. खास बात यह है कि पिछले साल तक ऐसे दोस्तों की बाकायदा लिस्ट तैयार की जाती थी. सभी दोस्तों को स्पेशल स्टैंड के वीआईपी पास, एयर टिकट और होटल बुकिंग समेत पूरा टूर पैकेज ही मिल जाता रहा. वहां पहुंचने पर बियर की चुस्कियों के साथ मैच देखा जाता और फिर मैच खत्म होते ही रातभर चलने वाली आईपीएल स्पेशल पार्टी होती.

जाहिर है ऐसे माहौल में ज्यादातर दोस्तों को इस गाने पर थिरकना ही पड़ता - लंदन से आया मेरा दोस्त, दोस्त को सलाम करो...

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विजय माल्या

अब जिन लोगों ने विजय माल्या को बतौर कारोबारी जाना और समझा है, उम्मीद है उन्हें इस विवाद से पहले पता होगा कि विजय माल्या एक एनआरआई हैं. जिन दोस्तों की मदद से वो देश की संसद में एक नहीं हो दो बार पहुंच गए उन्हें भी ये जाहिर तौर पर मालूम होगा ही कि वो एनआरआई हैं. हालांकि, देश के उन 17 सरकारी बैंकों ने इस बात पर गौर नहीं किया कि विजय माल्या की नागरिकता का खेल क्या है?

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गौरतलब है कि देश के किसी नागरिक को एनआरआई का सर्टिफिकेट मिलने के दो आधार हैं. पहला फॉरेन एक्सचेंज मैनेजमेंट एक्ट (फेमा) के तहत और दूसरा इन्कम टैक्स एक्ट के तहत. फेमा के तहत उन भारतीय नागरिकों को एनआरआई कहा जाता है जो साल के कम से कम 183 दिन देश से बाहर किसी काम से जाएं लेकिन पर्मानेंट आधार पर उन्हें विदेश में न रहना हो. वहीं इन्कम टैक्स एक्ट के तहत कोई भारतीय नागरिक कम से कम 182 दिन भारत में रहें तो उसे देश में इन्कम टैक्स का भुगतान करना होगा. वहीं इससे कम रहने पर वह देश में पूरे साल का इन्कम टैक्स देने से बच जाएगा.

बीते कुछ वर्षों में इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल करते समय विजय माल्या ने देश में आमदनी पर रिटर्न दाखिल जरूर किया है लेकिन विदेशी संपत्ति का खुलासा इसलिए कभी नहीं किया क्योंकि वे अपनी घोषणा में एनआरआई बन जाते थे. देश में क्रिकेट का कारोबार करने और संसद में राज्यसभा जाने के लिए एक आदमी भारतीय नागरिक रहता है. लेकिन जब बैंकों का कर्ज लौटाने की बात आती है तो वही भारतीय नागरिक एनआरआई बन जाता है.

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खुद विजय माल्या का कहना है कि उनके तीनों बच्चे अमेरिकी नागरिक हैं और वे खुद एनआरआई. स्वाभाविक है कि एक हाई प्रोफिल ग्लोबल कारोबारी होने के नाते वह इन दोनो कैटेगरी, फेमा और इन्कम टैक्स एक्ट, के तहत एनआरआई हों और बीते कई साल में उन्होंने इन दोनों कैटेगरी में मिलने वाले फायदे का भी भोग किया हो. लेकिन आश्चर्य इस बात पर होता है कि कैसे देश के 17 सरकारी बैंको ने माल्या के एनआरआई होने के इस खेल को ज्यादा बारीकी से क्यों नहीं देखा. कहीं ऐसा तो नहीं कि एनआरआई विजय माल्या राज्यसभा भी महज इसलिए पहुंचे की वे बैंकों से भारतीय नागरिक बनकर कर्ज ले सकें, क्योंकि देश में बतौर एनआरआई कर्ज लेना होता तो विदेश में अपनी चल-अचल संपत्ति के ब्यौरे के साथ-साथ गारंटी देनी ही पड़ती.

लेखक

राहुल मिश्र राहुल मिश्र @rmisra

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में असिस्‍टेंट एड‍िटर हैं

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