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Updated: 25 जनवरी, 2016 05:57 PM
राहुल मिश्र
राहुल मिश्र
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स्टेट बैंक ऑफ इंडिया समेत देश के एक दर्जन बैंकों के 7200 करोड़ रुपये डकार कर बैठी है किंगफिशर एयरलाइंस. किंगफिशर किंग विजय माल्या डिफॉल्टर घोषित किए जा चुके हैं. ऐसे में जन्मदिन की ग्रैंड पार्टी करने से माल्या को भला कौन रोक सकता है. बीते महीने विजय माल्या 60 साल के हो गए, लिहाजा उन्हें बिलेटेड जन्मदिन मुबारक.

गोवा के कैनडोलिन में आलिशान किंगफिशर विला में सैकड़ो वीवीआईपी मेहमानों ने तीन दिन तक नॉन स्टॉप पार्टी कर माल्या को हैपी बर्थडे विश किया. विजय माल्या के नजदीकी दोस्तों के अलावा कुछ फिल्मी हस्तियां और उनकी कंपनी के विदेशी निवेशक इस पार्टी में मौजूद थे. पार्टी के लिए स्पैनिश पॉप स्टार एनरीके एंग्लेशिया को मेहमानों के लिए स्पेशल प्रोग्राम करने के लिए बुलाया गया था. तीन दिन तक चली इस पार्टी में शराब और शबाब का जलवा कायम रहा. ऐसा होना भी था क्योंकि शराब के लिए माल्या की अपनी किंगफिशर ब्रेवरी है तो बाकी जलवों के लिए उनके किंगफिशर कैलेंडर की तड़क-भड़क.

अब पार्टी बीत जाने के बाद रिजर्व बैंक के मुखिया रघुराम राजन महज इशारों-इशारों में कह रहे हैं कि देश में आम आदमी को महंगा कर्ज ऐसी आलिशान बर्थडे पार्टियों के चलते मिल रहा है. देशभर के बैंकों का बैंक रिजर्व बैंक यदि ऐसा कहे कि बैंकों का उधार न लौटा पाने वाले बड़े डिफॉल्टरों को पैसे की नुमाइश कर ऐसी अय्याशी के साथ जन्मदिन मनाने से गलत संदेश जा रहा है तो ऐसे में उस आम आदमी को क्या समझ में आना चाहिए?

क्या जिन बैंकों के साथ कर्ज की धोखाधड़ी हुई वे किसी भी निजी कंपनियों को पैसा देने से पहले उनकी माली हालत को ठोक-बजाकर नहीं देखती? क्या ये बैंक बड़ी से बड़ी रकम ऐसी कंपनियों को दे देते हैं जिनकी माली हालत पतली होती है? या फिर लोन देने के बाद ये बैंक खुद आश्वस्त रहते हैं कि उनका पैसा डूबने जा रहा है क्योंकि लोन लेने वाली कंपनी की नियत लोन चुकाने की नहीं है? क्या इसीलिए रघुराम राजन यह सलाह दे रहे हैं कि लोन डिफॉल्ट करने वाले कॉरपोरेट जगत को इतनी तड़क-भड़क और भव्यता के साथ पार्टी से गुरेज करना चाहिए?

अगर ऐसा नहीं है तो क्या ये सरकार सो रही है या फिर बैंक में सुरक्षा के नाम पर महज दरवाजे पर दो बंदूकधारी गार्ड बैठाए जाते हैं. जबकि हकीकत ये है कि इन बैंकों को ये मालूम भी नहीं रहता कि उनसे कर्ज लिए गए पैसों का क्या हो रहा है. ऐसा इसलिए कि बैंक के इन गंदे कर्जों का खामियाजा तो असल में करदाताओं की जेब पर ही भारी पड़ रहा है. क्योंकि बैंक का कर्ज में दिया पैसा भी कर्जदाताओं का है. और क्योंकि गंदे कर्ज का पैसा वापस न आने पर अपना घाटा पूरा करने कि लिए ये बैंक आम आदमी को देने वाले कर्ज को महंगा कर देती है. लिहाजा, माल्या को जन्मदिन मुबारक के साथ-साथ इस सरकार के अंधेपन को भी मुबारक कहना ही पड़ेगा.

लेखक

राहुल मिश्र राहुल मिश्र @rmisra

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में असिस्‍टेंट एड‍िटर हैं

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