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Updated: 20 अक्टूबर, 2016 05:57 PM
बालकृष्ण
बालकृष्ण
  @Bala200
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समाजवादी पार्टी में घमासान की बात अब पुरानी हो चुकी है. अब गली चौराहे पर बात ये हो रही है कि समाजवादी पार्टी कब टूटेगी और नई पार्टी का नाम क्या होगा. अफवाहों का बाजार गर्म है और चर्चा यह भी है कि अगर बहुत जल्दी मुलायम सिंह यादव सुलह का कोई रास्ता नहीं खोज पाते हैं तो अखिलेश यादव अपनी नई पार्टी बनाकर अलग हो सकते हैं.

कई दौर की बैठक के बाद भी मुलायम सिंह यादव अखिलेश और शिवपाल के बीच सुलह कराने में नाकाम रहे हैं. सुबह में सुलह होती है तो शाम तक मामला फिर से भड़क जाता है. ना तो अखिलेश यादव झुकने को तैयार हैं और ना ही पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल यादव अपनी ताकत का बंटवारा करने को राजी हो रहे हैं.

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अफवाह है कि अखिलेश यादव अपनी नई पार्टी बनाकर अलग हो सकते हैं

हालात यहां तक पहुंच चुके हैं कि मुलायम सिंह यादव ने पूरी पार्टी को ताकत लगाकर 5 नवंबर को होने वाली समाजवादी पार्टी की पच्चीसवीं वर्षगांठ को यादगार आयोजन बनाने को कहा. बाकायदा इसके लिए कमेटी बनाई गई. लेकिन पार्टी की 25वीं सालगिरह का समारोह मनाने के लिए जिस कमेटी का गठन किया गया उसका अध्यक्ष उसी गायत्री प्रजापति को बनाया गया है जिसे अखिलेश यादव ने कौमी एकता दल वाले मामले पर मंत्रिमंडल से बाहर का रास्ता दिखा दिया था.

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मुलायम सिंह के दबाव में अखिलेश यादव ने उन्हें दोबारा मंत्री तो बना दिया लेकिन यह बात किसी से छिपी नहीं है कि अखिलेश यादव उन्हें जरा भी पसंद नहीं करते. समाजवादी पार्टी के चेहरे अखिलेश यादव हैं, लेकिन अखिलेश यादव के चुनाव प्रचार के रथ यात्रा का ऐलान पार्टी की तरफ से नहीं किया गया. अखिलेश यादव ने खुद ही चिट्ठी लिखकर मुलायम सिंह को बता दिया कि वह 3 तारीख को अपनी रथ यात्रा शुरू कर रहे हैं.

कहने का सीधा मतलब यह है की 5 तारीख को जब मुलायम सिंह यादव समाजवादी पार्टी के 25वें साल का जलसा कर रहे होंगे तो अखिलेश यादव वहां मौजूद नहीं होंगे.

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समाजवादी पार्टी के 25वें साल के जलसे में शामिल नहीं होंगे अखिलेश

अखिलेश यादव के तमाम समर्थक पहले ही ऐलान कर चुके हैं कि वह 5 तारीख को होने वाले जलसे में शामिल नहीं होंगे. अखिलेश यादव इस बात से भी नाराज हैं की तमाम कोशिशों के बावजूद उनके जिन समर्थकों को शिवपाल यादव ने पार्टी विरोधी गतिविधियों के आरोप में निकाल दिया था उन्हें अभी तक वापस नहीं लिया गया है. इसके लिए रामगोपाल यादव ने भी मुलायम को चिट्ठी लिखी थी. लेकिन शिवपाल यादव टस से मस नहीं हुए.

पार्टी के बड़े नेता इस मामले पर खामोशी ओढ़े हुए हैं, पार्टी के प्रवक्ता और पदाधिकारी रटी रटाई बात दोहरा रहे हैं कि सब कुछ ठीक हो जाएगा और पार्टी में मतभेद नहीं बल्कि लोकतंत्र है. लेकिन पार्टी के कार्यकर्ताओं की मायूसी छिपाए नहीं छिपती है. वह मानते हैं कि इस सप्ताह की रेस में  वे बुरी तरह पिछड़ चुके हैं. ज्यादातर इस असमंजस में है कि अगर पार्टी दो फाड़ होती है तो वह किधर जाना ठीक रहेगा.

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अफवाहों का आलम यह है कि कुछ कार्यकर्ताओं का यह भी कहना है कि अखिलेश यादव अगर अलग होते हैं तो नई पार्टी का चुनाव निशान मोटरसाइकिल होगा और इसके लिए कोशिश शुरू भी हो चुकी है. चुनाव निशान ही नहीं, नई पार्टी का नाम भी कार्यकर्ता गली चौराहे पर ही तय कर रहे हैं. किसी को क्षमता समाजवादी पार्टी पसंद है तो किसी को राष्ट्रीय समाजवादी पार्टी.  कुछ दूसरे कार्यकर्ता कहते हैं कि कांग्रेस आई के तर्ज पर समाजवादी पार्टी (अखिलेश) ही सबसे बेहतर नाम रहेगा. जितने मुंह उतनी बातें.

लेकिन पार्टी के जिम्मेदार नेता और प्रवक्ता इन बातों को बातों को कोरी बकवास बताते हैं और कहते हैं कि पार्टी टूटने का कोई सवाल ही नहीं है. गुरुवार को पार्टी के प्रवक्ता नावेद सिद्दीकी ने पार्टी में मचा घमासान के बारे में पूछे जाने पर कहा कि सब कुछ ठीक हो जाएगा और मुलायम सिंह यादव की बात कोई नहीं टालेगा.  

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 पार्टी के जिम्मेदार नेता और प्रवक्ता अफवाहों को कोरी बकवास बता रहे हैं

शह और मात के इस खेल में बड़े नेता खुद नहीं बोल रहे हैं लेकिन प्यादों के जरिए अपनी चाल चल रहे हैं.  मुलायम सिंह को चिट्ठी लिखने के बहाने अपनी बात कही जा रही है. बुधवार को अखिलेश यादव के करीबी एमएलसी उदयवीर सिंह ने मुलायम सिंह को चिट्ठी लिखकर यह सलाह दी कि वो अब पार्टी के संरक्षक बन जाएं और अखिलेश यादव को समाजवादी पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाकर पार्टी की कमान सौंप दें. उन्होंने यहां तक आरोप लगा दिया कि शिवपाल यादव अखिलेश के खिलाफ हो रही साजिश में शामिल हैं. चिट्ठी का जवाब चिट्ठी से आया. उदयवीर की चिट्ठी के  जवाब गुरुवार को पार्टी के दूसरे एमएलसी आशु मलिक ने चिट्ठी के जरिए ही जवाबी हमला बोला और कहा कि मुलायम पर सवाल उठाने वाले लोग स्वार्थी हैं. 

24 तारीख को मुलायम सिंह यादव ने पार्टी की बैठक बुलाई है जिसमें महत्वपूर्ण नेता शामिल होंगे. इससे पहले शनिवार को प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर शिवपाल यादव ने अपने नए कार्यकारिणी की बैठक बुलाई है. यह बात तय है कि मुख्यमंत्री कार्यकारिणी की बैठक में नहीं जाएंगे. अब कोशिश सिर्फ इस बात की हो रही है की 5 तारीख को होने वाले पार्टी के रजत जयंती समारोह में अखिलेश यादव किसी तरह से शामिल हों ताकि इज्जत बची रहे. कहा जा रहा है कि अखिलेश यादव रथयात्रा के बीच में से आकर भी समारोह में शामिल हो सकते हैं. लेकिन मुश्किल सिर्फ शिवपाल यादव की नहीं है. 5 तारीख के समारोह में अमर सिंह का होना भी तय है और अखिलेश यादव अमर सिंह के साथ मंच साझा नहीं करना चाहते.

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पार्टी में अभी बंटवारा भले ही ना हुआ हो, लेकिन गुटबाजी सड़क पर आ चुकी है. शिवपाल यादव के समर्थक समाजवादी पार्टी ऑफिस में दिखते हैं तो अखिलेश यादव के समर्थकों का अड्डा है हाल ही में बना जनेश्वर मिश्र ट्रस्ट. पार्टी के जिन युवा नेताओं को उम्मीद थी कि अखिलेश यादव के करीबी होने की वजह से उन्हें विधानसभा का टिकट मिलेगा वह अब समझ चुके हैं कि उनका पत्ता कट जाएगा. वह खुलेआम बागी होने को तैयार हो चुके हैं. कैमरे के सामने बोलने से उन्हें मना किया गया है लेकिन कैमरा हटने पर वो बेहिचक कहते हैं कि शिवपाल यादव की उन्हें कोई परवाह नहीं है और उनके नेता अखिलेश यादव ही हैं.

मुलायम सिंह यादव 5 नवंबर को जब लखनऊ के जनेश्वर मिश्र पार्क में समाजवादी पार्टी की 25 वीं वर्षगांठ मना रहे होंगे तो एक बड़ा सवाल उनके सामने जरूर होगा कि क्या समाजवादी पार्टी की उम्र भी 25 साल ही थी ?

लेखक

बालकृष्ण बालकृष्ण @bala200

लेखक आज तक में पत्रकार हैं.

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