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Updated: 10 मार्च, 2021 08:48 PM
बिलाल एम जाफ़री
बिलाल एम जाफ़री
  @bilal.jafri.7
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साल 2010 और वर्तमान में 2021. इन दोनों ही सालों के बीच 11 सालों का भारी अंतर है. कितना कुछ बदल गया है इन 11 सालों में आज से 11 साल पहले 2010 में देश की कमान कांग्रेस के हाथों में थी. डॉक्टर मनमोहन सिंह पीएम की कुर्सी पर विराजमान थे. आज भाजपा सत्ता में है और देश की बागडोर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथ में है. दोनों ही राजनेताओं की बदौलत यूं तो इन 10-11 सालों में तमाम चीजें बदली हैं लेकिन अगर कुछ नहीं बदला है तो वो हैं पेट्रोल डीजल जैसी चीजों की कीमतें. डीजल और पेट्रोल डॉक्टर मनमोहन सिंह के समय में भी आसमान छू रहा था और आज जब नरेंद्र मोदी देश संभाल रहे हैं तब भी पेट्रोल और डीजल दोनों के भाव बढ़े हैं. जिस हिसाब से पेट्रोल के दाम बढ़ रहे हैं सारे देश की निगाहें केंद्र सरकार पर हैं हर कोई ये जानने को उत्सुक है कि एक ऐसे समय में जब देश कोरोना वायरस की मार झेल रहा हो और महंगाई अपने उच्चतम स्तर पर हो सरकार क्या करती है? ध्यान रहे कि भले ही पीएम मोदी के मंत्रियों की तरफ से पेट्रोल के दामों पर बयान आ रहे हों मगर इस अहम मसले पर अब तक देश के प्रधानमंत्री मौन साधे हैं. सरकार चाहे डॉक्टर मनमोहन सिंह की रही हो या फिर नरेंद्र मोदी की अगर पेट्रोल के मद्देनजर दोनों ही सरकारों का तुलनात्मक अध्ययन किया जाए तो कई दिलचस्प चीजें हैं जो हमारे सामने आएंगी.

Manmohan Singh, Prime Minister, Congress, Petrol, Diesel, Narendra Modi, BJP, Opposition, TMCपेट्रोल की बढ़ी हुई कीमतों के मद्देनजर डॉक्टर मनमोहन सिंह और पीएम मोदी की नीतियों में बड़ा फर्क दिखाई देता है

तो आइये कुछ बिंदुओं के जरिये जानें कि कैसे पेट्रोल की बढ़ी हुई कीमतों के मद्देनजर तब के मुकाबले आज सरकार द्वारा बुनियादी बातों में बहुत बड़ा फर्क है.

'मौन' मनमोहन का मुखर होकर बोलना. लेकिन कुशल वक्त पीएम मोदी की चुप्पी.

चाहे वो 2010 रहा हो या फिर 2021 हालात दोनों ही वक़्त पर एक जैसे हैं. बात क्यों कि पेट्रोल की हुई है तो जैसी सूरत वर्तमान में हमें दिखाई दे रही है पेट्रोल की कीमतें आने वाले वक्त में दिन दूनी रात चौगुनी तरक्की करेंगी. दोनों ही सरकारों के बीच तुलनात्मक अध्ययन में जो बात सबसे दिलचस्प है वो ये कि 2010 में तत्कालीन प्रधानमंत्री ने मुखर होकर इस विषय पर अपनी बातें कही थीं. डॉक्टर मनमोहन सिंह ने साफ कह दिया था कि न तो पेट्रोल की बढ़ी हुई कीमतें वापस होंगी और न ही हम इस बात की कोई गारंटी देते हैं कि भविष्य में कीमत नहीं बढ़ेगी. वहीं बात आज की हो तो इस अहम मसले पर पीएम मोदी चुप्पी साधे हुए हैं और सोशल मीडिया पर जनता की आलोचना का सामना कर रहे हैं.

नहीं दिखाई दे रहा है विपक्ष का प्रतिनिधिमंडल

ध्यान रहे 2010 में जिस वक्त पेट्रोल आम आदमी की पहुंच से दूर हो रहा था उस वक़्त विपक्ष विशेषकर तृणमूल कांग्रेस ने इसे एक बड़े मुद्दे की तरह पेश किया था और तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह से मिलकर इस अहम विषय पर विचार विमर्श किया था. बात वर्तमान की हो तो आज कीमतें तो बढ़ रही हैं मगर जैसा विपक्ष का रवैया है लगता है या तो उसे सांप सूंघ गया है या फिर उसने कुछ न बोलने की कसम खा ली है.

शिकायत की गुंजाइश कहीं दूर दूर तक दिखाई नहीं देती

वो डॉक्टर मनमोहन सिंह का दौर था जब लोग पेट्रोल को मुद्दा बनाते और समस्या का निदान हो इसलिए प्रधनमंत्री से भेंट करते. ये एक जमाने पहले की बात है. आज दौर दूसरा है शायद ही कोई विपक्ष का नेता पेट्रोल को ज़रूरी मुद्दा बनाकर और इसकी शिकायत लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पास गया हो. बात बहुत सीधी और एकदम साफ़ है कि पेट्रोल एक ऐसा विषय है जिसपर संवाद की भरपूर गुंजाइश है लेकिन जिस तरह हर कोई इस विषय पर चुप है ये बात वाक़ई अखरने वाली है. काश अलग अलग दल पेट्रोल की शिकायत लेकर पीएम के पास गए होते.

पेट्रोल को लेकर विचारोँ का आदान प्रदान नहीं

पेट्रोल की बढ़ी हुई कीमतें सीधे तौर पर आम आदमी से जुड़ा मसला है. हमें इस बात को समझना होगा कि एक ऐसे समय में जब तेल शतक पार कर गया हो बहुत ज़रूरी था कि विपक्ष और सत्तापक्ष को इस मसले पर साथ बैठना था और कुछ ऐसी तरकीबें निकालनी थीं जहां समस्या का समाधान निकले. जिस तरह पेट्रोल को लेकर प्रधानमंत्री से लेकर अलग अलग दलों तक कोई संवाद नहीं हो रहा है वो न केवल विचलित करता है बल्कि ये भी बताता है कि कहीं न कहीं लोग भी इस बात को मान चुके हैं कि कीमतों का घटना बढ़ना सरकार के हाथ में नहीं है और ये उससे कहीं ऊपर की चीज है.

10 सालों में कुछ हुआ नहीं लेकिन मनमोहन ने उम्मीद की किरण दिखाई 

चाहे वो 2010 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का शासनकाल रहा हो या वर्तमान में पीएम मोदी का देश के प्रधानमंत्री की कमान संभालना कांग्रेस से लेकर भाजपा ने कुछ किया नहीं.लेकिन जिस तरह मनमोहन सिंह ने अलग अलग चीजों को लेकर पहल की देश को लगा कि पेट्रोल की कीमतों का कुछ निदान ही रहा है और सरकार इस दिशा में कुछ बड़ा करने वाली है. वहीं जब हम प्रधानमंत्री मोदी की बात करते हैं तो भले ही पेट्रोल महंगा हो रहा हो मगर जैसा उनका रवैया है शायद उन्हें आम आदमी और उसकी समस्याओं की कोई परवाह ही नहीं है.

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लेखक

बिलाल एम जाफ़री बिलाल एम जाफ़री @bilal.jafri.7

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं.

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