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Updated: 09 मार्च, 2021 05:43 PM
देवेश त्रिपाठी
देवेश त्रिपाठी
  @devesh.r.tripathi
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पश्चिम बंगाल सरकार के मंत्री सिद्दीकुल्ला चौधरी एक टीवी चैनल को दिए साक्षात्कार में कहा कि बंगाल में 1,000-1,200 साल से गाय का मांस खाया जा रहा है, इससे वोट का क्‍या मतलब है. भाजपा के हिंदुत्ववादी एजेंडे में 'गाय' हमेशा से ही शामिल रही है. राज्य में भाजपा हिंदुत्व के नाम पर वोटों के ध्रुवीकरण का कोई मौका नहीं छोड़ रही है. भगवा दल के लिए चौधरी का ये बयान काफी फायदेमंद हो सकता है. लेकिन, यह केवल भाजपा के लिए ही फायदे का सौदा नहीं है. ममता सरकार के मंत्री ने 'एक तीर से दो शिकार' की कहावत को सिद्ध किया है.

तृणमूल कांग्रेस के लिए सिद्दीकुल्ला चौधरी का ये बयान काफी मायने रखता है. दरअसल, अब्बास सिद्दीकी की पार्टी इंडियन सेक्युलर फ्रंट (ISF) पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी का खास वोटबैंक रहे 'मुस्लिम वर्ग' में सेंध लगाने को तैयार खड़ा दिख रहा है. इस स्थिति में कहा जा सकता है कि 100 से ज्यादा सीटों पर जीत-हार में अहम भूमिका निभाने वाले मुस्लिम मतदाताओं को साधने के लिए तृणमूल कांग्रेस की एक रणनीति के तहत चौधरी का ये बयान सामने आया है.

ममता सरकार के मंत्री सिद्दीकुल्ला चौधरी जमीयत उलेमा-ए-हिंद की राज्‍य इकाई के प्रमुख भी हैं.ममता सरकार के मंत्री सिद्दीकुल्ला चौधरी जमीयत उलेमा-ए-हिंद की राज्‍य इकाई के प्रमुख भी हैं.

ममता सरकार के मंत्री सिद्दीकुल्ला चौधरी जमीयत उलेमा-ए-हिंद की राज्‍य इकाई के प्रमुख भी हैं. साथ ही अपनी 'कट्टर' छवि के लिए मशहूर भी हैं. तीन तलाक और CAA पर मोदी सरकार के खिलाफ हमलावर रहे चौधरी ने जमीयत की परिपाटी के अनुसार ही मुसलमानों को एक सूत्र में पिरोने की कोशिश की है. पश्चिम बंगाल के चुनाव में मुख्य मुद्दे स्थानीय होने चाहिए. फिर भी बाबरी विध्वंस, नरेंद्र मोदी की बढ़ती ताकत, गोकशी मुद्दा क्यों बन गए, सवाल उठना लाजिमी है. इस पर जाने से पहले चौधरी का बयान जान लेते हैं.

सिद्दीकुल्ला चौधरी ने कहा कि यूपी के योगीजी आए और बोला अगर यहां भाजपा सरकार बनेगी, तो गाय का गोश्‍त खाने पर पाबंदी लगाएंगे. बंगाल में 1000-1200 साल से गाय का गोश्‍त खाया जा रहा है. मुसलमान भी खाते हैं और भी खाते हैं. इससे वोट का क्‍या मतलब है? हिंदू मानसिकता को बढ़ावा दिया, तो इससे चेहरा दागदार नहीं हो रहा. बाबरी मस्जिद के मामले में मोदी का चेहरा दागदार हो चुका है. मोदी की ताकत सुप्रीम कोर्ट से भी भारी है. बाबरी भले ही चुनाव में मुद्दा बने न बने, लेकिन मुसलमान मोदी को वोट देने से पहले दस मर्तबा सोचेंगे.

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने फुरफुरा शरीफ में चल रहे उर्स में जाने का मन बना लिया था. इसमें कोई दो राय नहीं है कि ममता अपना राजनीतिक हित साधने के लिए वहां जाने की तैयारी कर रही थीं. लेकिन, दरगाह के पीरजादाओं ने कह दिया कि अगर उन्हें काले झंडे दिखाए गए, तो सारी जिम्मेदारी ममता की ही होगी. फुरफुरा शरीफ के पीरजादाओं में अब्बास सिद्दीकी भी शामिल हैं. टीएमसी मुखिया के लिए इस विधानसबा चुनाव में मुस्लिम वोटबैंक को अपने पक्ष में लामबंद करना सबसे मुश्किल काम साबित हो रहा है. चौधरी का बयान इन्ही मुस्लिम वोटों के बिखराव को कुछ हद तक रोकने की कवायद नजर आता है.

आईएसएफ की वजह से मुस्लिम मतदाताओं का तृणमूल कांग्रेस से छिटकना तय माना जा रहा है. इस स्थिति में सिद्दीकुल्ला चौधरी मोर्चा संभालते हुए देश में नरेंद्र मोदी की बढ़ती ताकत का डर दिखाकर पश्चिम बंगाल में मुस्लिम वोटबैंक को ममता बनर्जी के साथ लाने की कोशिश कर रहे हैं. पश्चिम बंगाल में भाजपा हिंदुत्व के फायरब्रांड नेता योगी आदित्यनाथ का भरपूर उपयोग कर ध्रुवीकरण के सारे प्रयास कर रही है. हाल ही में पश्चिम बंगाल के मालदा में यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ऐलान किया था कि बंगाल में भाजपा की सरकार आई, तो 24 घंटे में गो-तस्करी बंद करवा देंगे. माना जा रहा है कि चौधरी का ये बयान योगी के बयान का जवाब है.

भाजपा बनाम ममता बन चुके बंगाल के सियासी रण में कांग्रेस-वाम दलों और आईएसएफ गठबंधन का 'वोटकटवा' की भूमिका निभाना तय है. भाजपा के लिए चौधरी का ये बयान 'अंधे के हाथ बटेर लगने' जैसा भी है. भाजपा के हिंदुत्ववादी एजेंडे में 'गाय' हमेशा से ही शामिल रही है. भाजपा इसे लेकर वोटों के ध्रुवीकरण का कोई मौका नहीं छोड़ेगी. भाजपा नेता शलभ मणि त्रिपाठी ने ट्वीट कर लिखा है कि ममताराज है, इसीलिए ऐसी जिहादी सोच वाले सिद्दीकुला रसूखदार मंत्री हैं. योगीराज होता तो रासुका लग चुकी होती, जेल में बुरे दिन गिन रहे होते. तय कर लीजिए. तथाकथित सहिष्णु बन कर अपनी संस्कृति का नाश कराना है, या प्रखर राष्ट्रभक्त बन हमारी संस्कृति पर आए खतरे का खुल कर मुकाबला करना है.

लेखक

देवेश त्रिपाठी देवेश त्रिपाठी @devesh.r.tripathi

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं. राजनीतिक और समसामयिक मुद्दों पर लिखने का शौक है.

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