New

होम -> सियासत

 |  3-मिनट में पढ़ें  |  
Updated: 30 नवम्बर, 2016 06:06 PM
आलोक रंजन
आलोक रंजन
  @alok.ranjan.92754
  • Total Shares

क्या हमारे सैन्य ठिकाने और कैंप सुरक्षित नहीं है? क्या इन सैन्य ठिकानों की सुरक्षा पुख्ता नहीं है? क्या आतंकवादी हमलों को रोकने में वे पूरी तरह सक्षम नहीं हैं? सभी लोगों के जेहन में यही सवाल उठने लगे हैं. और उठें भी क्यों न, क्योंकि नगरोटा में कल जिस तरह से आतंकवादी हमला हुआ है वो सुरक्षा खामियों की ओर ही इशारा कर रहा है.

जम्मू-कश्मीर के नगरोटा स्थित सेना की 16 कॉर्प्स के मुख्यालय पर हुए आतंकी हमले ने एक बार फिर हमारे सैन्य प्रतिष्ठानों की सुरक्षा खामियों को उजागर कर दिया है. पिछले एक साल के भीतर हमारे अहम सैन्य प्रतिष्ठानों पर यह तीसरा बड़ा आतंकवादी हमला है. नगरोटा से पहले जनवरी 2016 में पठानकोट एयरबेस और सितंबर 2016 में उरी आर्मी कैंप पर आतंकवादी हमला हो चुका है, जिसमें कई जवान शहीद हुए हैं.

ये भी पढ़ें- क्या पाकिस्तान एक और सर्जिकल आपरेशन झेलना चाहता है ?

nagrota-650_113016035223.jpg
इस हमले ने हमारे सैन्य प्रतिष्ठानों की सुरक्षा खामियों को उजागर किया है

नगरोटा के आतंकवादी हमले में हमारी सेना के दो अफसर और पांच जवान शहीद हुए हैं और सेना की जवाबी कार्रवाई में तीन आतंकी भी मारे गए हैं. नगरोटा जैसे महत्वपूर्ण आर्मी के ठिकाने पर हमले ने हमारे सुरक्षा तंत्र के खामियों की पोल खोल कर रख दी है. नगरोटा 16 कॉर्प्स का मुख्यालय होने के साथ ही काफी अहम जगह है क्योंकि ये पाकिस्तान बॉर्डर से महज 40 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. यहां कई आयल डिपो और गोदाम स्थित हैं, यहां पर नामी-गिरामी आर्मी स्कूल भी मौजूद हैं. सबसे बड़ी बात ये है कि नगरोटा कॉर्प्स भारतीय सेना के कुछ विशालतम कॉर्प्स में एक है. ऐसे महत्वपूर्ण ठिकाने में हमला होना हमारी चूक को ही दर्शाता है. खबरें तो ये भी आ रही हैं कि खुफिया एजेंसियों ने कुछ दिन पहले ही हमले का अलर्ट दे दिया था.

ये भी पढ़ें- पाकिस्तान का मुकाबला तो डटकर किया, लेकिन बीमारी मार रही जवानों को...

अब प्रश्न ये उठता है की अगर पहले ही इस तरह की आशंका जता दी गयी थी तो सुरक्षा तंत्र को मजबूत क्यों नहीं किया गया था. क्यों खामियों को दुरुस्त नहीं किया गया.

अगर भारत ने पठानकोट हमला और उरी अटैक से सीख ली होती तो शायद इस तरह के हमले को आतंकवादी अंजाम नहीं दे पाते. पठानकोट हमले में आतंकवादी अंतराष्टीय बॉर्डर का उल्लंघन कर के भारतीय सीमा में दाखिल हुए थे क्योंकि सेंसर काम नहीं कर रहे थे. वे एयरबेस में दाखिल दीवार पार करके उस जगह से हमला करते हैं जहां सुरक्षाकर्मी निगाह नहीं रख रहे थे. जैश आतंकवादियों द्वारा किये गए इस हमले में कुल 7 सुरक्षाकर्मियों की जान गयी थी. उसी तरह उरी हमले में आतंकवादियो ने दो गॉर्ड टावर के बीच की सुरक्षा बेडा का उल्लंघन करते हुए सेना के बेस में गुसने में सफलता हासिल की थी और सोये हुए जवानों पर हमला किया था. इस हमले में करीब 18 जवान मारे गए थे.

पठानकोट हमले के बाद जनवरी 2016 में हमारे रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर द्वारा लेफ्टिनेंट जनरल फिलिप कैम्पोस के नेतृत्व में एक समिति गठित की और जिसने अपनी रिपोर्ट रक्षा मंत्रालय को सौंप दी है. इसने आर्मी बेस और ठिकाने के सुरक्षा को और अधिक मजबूत बनाने के लिए कई सिफारिशें की है. उन्होंने मानव , इंफ्रास्ट्रक्चर, कैंप/परिधि की सुरक्षा और उससे जुडी रिस्पांस पर कई चीजे अपनी सिफारिशों में की है.

ये भी पढ़ें- कश्मीर में युद्ध शुरू हो गया है, सिर्फ एलान बाकी है

अब समय आ गया है की भारत सरकार को कोई ठोस कदम उठाना चाहिए ताकि फिर कभी कोई आतंकवादी आर्मी कैंपो और ठिकानो में हमले करने से डरे और अगर हमले हो भी जाते हैं तो सुरक्षा इतनी पुख्ता हो कि उनके हमले पूरी तरह नाकाम हो जाएं और हमारे जवानों को कोई नुकसान न पहुंचे.

लेखक

आलोक रंजन आलोक रंजन @alok.ranjan.92754

लेखक आज तक में सीनियर प्रोड्यूसर हैं.

iChowk का खास कंटेंट पाने के लिए फेसबुक पर लाइक करें.

आपकी राय