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Updated: 27 सितम्बर, 2016 09:35 PM
मृगांक शेखर
मृगांक शेखर
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इरोम शर्मिला और अरविंद केजरीवाल की पृष्ठभूमि काफी मिलती जुलती है. मुमकिन है इसीलिए इरोम ने इसीलिए केजरीवाल से ही राजनीतिक टिप्स लेने का फैसला किया होगा.

इरोम ने पहले इंडिपेंडेंट चुनाव लड़ने की बात कही थी. अब सुनने को मिल रहा है कि वो राजनीतिक दल बनाने पर विचार कर रही हैं. आइए जानने की कोशिश करते हैं वे 5 टिप्स जो केजरीवाल ने इरोम को दिये होंगे.

1. केजरीवाल ने अपनी ही तरह इरोम को भी 'थिंक-बिग-थ्योरी' फॉलो करने को कहा होगा. इस थ्योरी में हमेशा बड़े टारगेट को निशाना बनाना होता है. जिस तरह केजरीवाल पहले सोनिया गांधी और अब लगातार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमले करते रहते हैं - इरोम चाहें तो वही प्रैक्टिस कर सकती हैं. इसका सबसे बड़ा फायदा ये होता है कि मीडिया कवरेज के लिए कभी भी तरसना नहीं पड़ता.

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2. केजरीवाल ने इरोम को भी मणिपुर के मुख्यमंत्री ओकराम ईबोबी सिंह के खिलाफ टोबाल सीट से ही चुनाव लड़ने की सलाह दी होगी. दिल्ली में केजरीवाल भी पहली बार शीला दीक्षित के खिलाफ चुनाव लड़े और बंपर वोटों से जीते थे. केजरीवाल की भी छवि तब वैसी ही रही जैसी फिलहाल इरोम की है - आगे के बारे में अभी तो सोचना भी ठीक नहीं होगा.

3. 16 साल बाद अपना अनशन खत्म करते वक्त इरोम ने इंडिपेंडेंट चुनाव लड़ने की बात कही थी. संभव है केजरीवाल ने कहा हो कि आगे ऐसा नहीं चलेगा - फौरन पार्टी बनाओ या नहीं भी बनानी हो तो मीडिया में एलान जरूर कर दो.

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"AFSPA तो बिलकुल जनलोकपाल जैसा है..."

4. केजरीवाल के हिसाब से देखें तो इरोम ने जो इश्यू उठाया है वो मौजूदा राजनीति, या कहें केजरीवाल स्टाइल राजनीति के लिए परफेक्ट है. AFSPA बिलकुल 'जनलोकपाल' जैसा ब्रह्मास्त्र है जिसके नाम पर सब कुछ हासिल किया जा सकता है.

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5. केजरीवाल से मिलने के बाद ही इरोम को मालूम हुआ होगा कि मणिपुर का सीएम बन जाने के बाद भी AFSPA की धार कम नहीं होने वाली. 2019 तक तो वो यूं ही बात बात में AFSPA न हटाने के लिए 'मोदी-मोदी' शोर मचा सकती हैं - और मामला 24x7 बिलकुल हॉट रहेगा.

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मृगांक शेखर मृगांक शेखर @mstalkieshindi

जीने के लिए खुशी - और जीने देने के लिए पत्रकारिता बेमिसाल लगे, सो - अपना लिया - एक रोटी तो दूसरा रोजी बन गया. तभी से शब्दों को महसूस कर सकूं और सही मायने में तरतीबवार रख पाऊं - बस, इतनी सी कोशिश रहती है.

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