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Updated: 19 अप्रिल, 2017 05:15 PM
राकेश चंद्र
राकेश चंद्र
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सुप्रीम कोर्ट के ताजा फैसले के बाद लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती समेत बीजेपी के 13 नेताओं पर बाबरी मस्जिद विध्‍वंस के मामले में आपराधिक साजिश का केस चलेगा. यह फैसला सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई की पिटीशन पर सुनाया है. केस में लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती, कल्याण सिंह, विनय कटियार, साध्वी ऋतंभरा, सतीश प्रधान, चंपत राय बंसल, विष्णु हरि डालमिया, नृत्य गोपाल दास, सतीश प्रधान, आरवी वेदांती, जगदीश मुनी महाराज, बीएल शर्मा (प्रेम), धर्म दास के नाम शामिल है. कल्याण सिंह को राजस्थान के राज्यपाल होने के कारण संवैधानिक छूट प्राप्त है और उनके कार्यालय छोड़ने के बाद ही उनके खिलाफ मामला चलाया जा सकता है. इन सभी नेताओं पर आपराधिक षडयंत्र का मामला चलेगा, धारा 120 (बी) के तहत मामला चलाया जाएगा.

सेक्शन 120-B : इंडियन पेनल कोड, 1860 के मुताबिक, इस मामले में दोषी पाए जाने पर अधिकतम तीन साल तक की सजा मिल सकती है.

सबसे बड़ा नुकसान अगर होगा तो वह होगा लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी का. कुछ समय से यह चर्चाएं चल रही हैं कि अडवाणी और जोशी ही राष्ट्रपति पद की दौड़ में शामिल हैं.

advani-joshi-650_041917034903.jpgराष्ट्रपति पद की दौड़ में  शामिल थे आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी

अब शायद फैसले के दूरगामी नतीजे सामने आ सकते हैं. सबसे पहले बात करते हैं जुलाई में संपन्न होनेवाले राष्ट्रपति चुनावों की. लाल कृष्णा आडवाणी, मुरलीमनोहर जोशी राष्ट्रपति पद की दौड़ में शामिल हैं. अब बीजेपी के ये दिग्गज राष्ट्रपति पद की रेस से लगभग दूर होते जा रहे हैं, चाल चरित्र और चेहरे की बात बीजेपी में हमेशा ही की जाती है. हालांकि तीनों अभी दोषी करार नहीं दिए गए हैं.

आडवाणी ही वह सख्श थे जिन्होंने बीजेपी में चाल चरित्र को साबित किया था. उन्होंने जैन हवाला केस में नाम आने के बाद 1996 में संसद की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था और इस मामले में क्लीन चिट मिलने के बाद 1998 में वह संसद के लिए फिर से निर्वाचित हुए.

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अब बात रही उमा भारती की, तो वे साफ कर चुकी हैं कि अयोध्या, गंगा और तिरंगे के लिए वो कोई भी सजा भुगतने को भी तैयार हैं. यदि कोर्ट का फैसला उनके खिलाफ भी जाता है तो वे पहले ही तैयार हैं. पद से इस्तीफा उनके लिए बड़ी बात नहीं है. लक्ष्य जरुरी हैं. हालांकि अभी दोषी होना दूर की कौड़ी है. फैसला आने में अभी भी समय लगेगा. तब तक शायद बहुत कुछ हो चुका होगा.

लिब्राहन आयोग जिसका गठन 16 दिसंबर 1992 में किया गया था, ने भी अपनी रिपोर्ट में बाबरी विध्वंस को सुनियोजित साजिश करार देते हुए वाजपेयी, आडवाणी और जोशी समेत कुल 68 लोगों को दोषी माना था. जिन 68 लोगों में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी, लालकृष्ण आडवाणी, यूपी के तत्कालीन मुख्यमंत्री कल्याण सिंह, शिव सेना के अध्यक्ष बाल ठाकरे, विश्व हिन्दू परिषद के नेता अशोक सिंघल, राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के पूर्व सरसंघचालक के एस सुदर्शन, के एन गोविंदाचार्य, विनय कटियार, उमा भारती, साध्वी ऋतम्भरा और प्रवीण तोगड़िया के नाम भी शामिल थे. रिपोर्ट में तत्कालीन सीएम कल्याण सिंह पर उन्हें घटना का मूकदर्शक बताते हुए आयोग ने तीखी टिप्पणी की थी. लिब्राहन आयोग ने कहा कि कल्याण सिंह ने घटना को रोकने के लिए कोई कदम नहीं उठाया.

कानून की अगर बात करें तो भारतीय कानून में कहीं भी ऐसा जिक्र नहीं है कि जिसके खिलाफ कोई क्रिमिनल केस चल रहा हो वह चुनाव नहीं लड़ सकता.  इन नेताओं के खिलाफ जो भी आरोप हैं, अभी ट्रायल पर हैं व ट्रायल के बाद यह तय होगा कि ये दोषी हैं या नहीं. ऐसे में कानूनी तौर पर चुनाव लड़ने को लेकर कोई बार नहीं है. यहां अगर कोई अड़चन आयेगी तो वो होगी नैतिकता की.

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लेखक

राकेश चंद्र राकेश चंद्र @rakesh.dandriyal.3

लेखक आजतक में सीनियर प्रोड्यूसर हैं

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