New

होम -> सियासत

 |  3-मिनट में पढ़ें  |  
Updated: 24 मई, 2015 07:05 AM
न्यूजफ्लिक्स
न्यूजफ्लिक्स
  @newsflickshindi
  • Total Shares

नजीब जंग और अरिवंद केजरीवाल के बीच जारी लड़ाई देश की लोकतांत्रिक परंपरा के मुताबिक है. उपराज्यपाल और मुख्यमंत्री के बीच यह जंग पहली बार नहीं है. कई राज्यों के मुख्यमंत्री आवास और राजभवन की जंग देश के कई कोनों में लड़ी जा चुकी है. जानिए कुछ और ऐसे ही मामलों के बारे में-

कमला बेनीवाल-नरेंद्र मोदी

1_052415065933.jpg
 नरेंद्र मोदी और कमला बेनीवाल

जब मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे, तो उनकी राज्यपाल कमला बेनीवाल से ज़रा भी नहीं बनती थी. सबसे बड़ा विवाद हुआ राज्य में लोकायुक्त की नियुक्ति और आतंक संबंधी कानून को लेकर. हालात तब और बिगड़े जब भाजपा ने बेनीवाल पर सरकारी पैसा अपनी ट्रैवलिंग पर खर्च करने का आरोप लगाया और राज्यपाल ने मुख्यमंत्री के सद्भावना उपवास पर सवाल उठाया.

राम नाइक-अखिलेश यादव

2_052415065948.jpg
 अखिलेश यादव और राम नाइक

नाइक ने कहा कि अच्छे दिन आने वाले हैं और समाजवादी पार्टी ने कहा कि राजभवन को सियासी रंग में रंगा जाना गलत है. यादव की पार्टी और सरकार ने राज्यपाल पर हमला बोला. हालात तब काफी बिगड़ गए, जब नाइक ने यूनिवर्सिटी को यादव को PHD की मानद उपाधि देने से रोक दिया.

एम के नारायणन-ममता बनर्जी

3_052415070002.jpg
 ममता बनर्जी और एम.के. नारायण

खुफिया विभाग के प्रमुख रहे नारायणन और तेज़-तर्रार नेता ममता बनर्जी के आपसी रिश्ते बेहद खराब रहे हैं. जब राज्यपाल ने किसानों की खुदकुशी, बच्चों की मौत, बलात्कार, बिगड़ती कानून व्यवस्‍था पर सवाल उठाया, तो मुख्यमंत्री ने पलटवार किया.

पी बी आचार्य-तरुण गोगोई

4_052415070016.jpg
 तरुण गोगोई और पी.बी. आचार्य

राज्यपाल ने काज़ीरंगा रिज़र्व में गेंडे के शिकार पर काबू पाने में नाकाम रहने पर गोगोई सरकार को खूब लताड़ लगाई. आचार्य ने खुलेआम आलोचना की और बजट सत्र के पहले रोज़ वन विभाग को डांट पिलाई. मुख्यमंत्री भी खफा हुए और उन्‍होंने इसका ज़िम्मा केंद्र और पैसे की कमी पर डाल दिया.

ईएसएल नरसिम्हन-किरण कुमार रेड्डी

5_052415070053.jpg
 किरण कुमार रेड्डी और ई.एस.एल. नरसिम्हन

अपने पेशेवर जीवन में नरसिम्हन को सख्‍़त पुलिस अधिकारी माना जाता है. वो जब राजभवन में आए, तो अपने साथ वही सख्‍़ती लेकर आए. आंध्र प्रदेश के बंटवारे से पहले उन्होंने मुख्यमंत्री रेड्डी की वाइस चांसलर और सूचना आयुक्त नियुक्त करने की सिफारिश को खारिज कर दिया था. रेड्डी के इस्तीफे के बाद राज्यपाल ने मुख्यमंत्री के कई फैसलों पर दोबारा विचार किया.

वजुभाई वला-सिद्धारमैया

6_052415070043.jpg
 सिद्धारमैया और वजुभाई वला

यह रिश्तेदारी एच आर भारद्वाज और बी एस येदियुरप्पा जितनी कड़वी तो नहीं थी, लेकिन जब बात कर्नाटक पब्लिक सर्विस कमिशन में नियुक्ति की आई, तो वला ने अपनी बात मनवाने के लिए हर कोशिश की.

वीरेंद्र कटारिया-एन रंगासामी

7_052415070113.jpg
 

मुख्यमंत्री रहे रंगासामी ने कई बार शिकायत की कि कटारिया एक अलग सरकार चला रहे हैं. उन्हें भेजी जाने वाली फाइलें वापस नहीं आती थीं, खाली पद भरे नहीं जाते थे. कटारिया ने कहा कि वो संवैधानिक पदों पर सियासी नियुक्तियों के खिलाफ हैं. और साथ ही उन्होंने पुडुचेरी में बिगड़ती कानून व्यवस्‍था पर भी सवाल उठाया.

#विवाद, #दिल्ली, #राज्य, राज्यपाल, मुख्यमंत्री, उपराज्यपाल

लेखक

iChowk का खास कंटेंट पाने के लिए फेसबुक पर लाइक करें.

आपकी राय