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Updated: 14 अप्रिल, 2017 03:03 PM
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2014 में सत्ता से बेदखल होने के बाद से ही कांग्रेस विपक्ष को एकजुट करने में जुटी है. कभी किसानों के मुद्दे पर मार्च निकालती है तो कभी किसी और पर संसद से वॉकआउट. हालांकि, इसमें भी कभी उसे सभी विपक्षी दलों का साथ नहीं मिल पाता. एक-दो किसी न किसी वजह से अलग हो ही जाते हैं. विपक्ष को एकजुट करने सरकार को घेरने के लिए कांग्रेस को ताजा हथियार मिला है EVM के रूप में. 16 विपक्षी दलों को साथ लेकर कांग्रेस ने EVM के खिलाफ नयी मुहिम आगे बढ़ा रही है.

कांग्रेस की इस इस मुहिम को चुनौती उसकी विरोधी बीजेपी से नहीं बल्कि उसी के एक सीनियर नेता से मिली है. कांग्रेस नेता एम वीरप्पा मोइली ने EVM पर कांग्रेस के ताजा अभियान की हवा निकाल दी है.

EVM के विरोध में कांग्रेस

EVM के नाम पर एक छत के नीचे आये नेताओं को लेकर कांग्रेस ने चुनाव आयोग से मिल कर अपनी बात कही है. आयोग से मुलाकात में विपक्षी दलों ने गुजारिश की कि जब तक EVM के साथ छेड़छाड़ होने और उसमें गड़बड़ी की समस्या का हल नहीं निकल जाता और जब तक तकनीकी तौर ये पक्का नहीं हो जाता कि ये मशीनें बिलकुल सही हैं और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर इस बात की पुष्टि नहीं हो जाती, तब तक पुराने बैलट पेपर से ही वोटिंग के इंतजाम हों.

आयोग ने भी कांग्रेस और उसके साथियों को EVM पर कोई फैसला लेने से पहले जल्द ही सर्वदलीय बैठक बुलाने का भरोसा दिलाया है.

rahul-moily-650_041217063728.jpg"EVM का विरोध ठीक नहीें..."

EVM के विरोध का बिगुल सबसे पहले बीएसपी ने फूंका था और फिर अखिलेश यादव, अरविंद केजरीवाल से लेकर ममता बनर्जी सभी कारवां में शुमार होते गये. जब कांग्रेस को EVM विपक्ष को एकजुट करने के लिए मजबूत मुद्दा लगा तो उसने अभियान को आगे बढ़ाने की पहल की. चुनाव आयोग के अलावा विपक्षी दलों की राष्ट्रपति से मुलाकात में भी EVM एक प्रमुख मुद्दा रहा. मकसद तो स्वाभाविक तौर पर साफ था - केंद्र की मोदी सरकार को घेरने की एक नयी कवायद.

मोइली ने दिया जोर का झटका

वीरप्पा मोइली ने EVM के मुद्दे पर कांग्रेस सहित विरोध कर रहे सभी विपक्षी दलों को बराबर जिम्मेदार बताया है. मोइली की नजर में ये महज एक लोकलुभावन कोशिश है - और कांग्रेस भी इस मुहिम का हिस्सा बन कर हार के बहाने तलाश रही है.

मोइली की नजर में EVM में न तो कोई गड़बड़ी है और न ही उसमें किसी तरह की गड़बड़ी की गुंजाइश है. मोइली ने उस वक्त का भी हवाला दिया है जब वो कानून मंत्री थे और EVM पर सवाल उठाये गये थे. सवाल उठाने वालों में बीजेपी के सीनियर नेता लालकृष्ण आडवाणी भी शामिल थे.

मोइली की कहना है कि उनके कानून मंत्री रहते EVM को लेकर जो भी शिकायतें सामने आई थीं उन्हें सुलझा लिया गया था - और अब जो कुछ भी हो रहा है उसे वो बकवास मानते हैं.

मोइली ने एक खास बात भी कही है - ये सारी बातें पार्टी यानी कांग्रेस को भी पता है. मोइली का साफ कहना है कि EVM के मुद्दे पर विरोध के माहौल में कांग्रेस का भी शामिल हो जाना ठीक नहीं है. मोइली कहते हैं - 'सिर्फ मुद्दा गर्म है इस कारण ईवीएम का विरोध करना कांग्रेस की बड़ी भूल है.' मोइली को दुख इस बात का है कि इस मुद्दे पर उनसे कोई सलाह नहीं ली गयी. मोइली ने कांग्रेस के इस कदम को बड़ी भूल करार दिया है.

तो क्या EVM के खिलाफ कांग्रेस सिर्फ दिखावे का विरोध कर रही है?

कांग्रेस के सीनियर नेता अरसे से कह ही रहे हैं कि राहुल गांधी बतौर कांग्रेस अध्यक्ष ही काम कर रहे हैं. सोनिया गांधी का हाल के चुनावों में प्रचार से दूर रहना भी इसी बात का सबूत है.

फिर यूपी में कांग्रेस की हार की जिम्मेदारी किस पर बनती है? इस हिसाब से देखें तो सीधे सीधे राहुल गांधी नजर आते हैं. और EVM के खिलाफ मुहिम की अगुवाई कौन कर रहा है? गुलाम नबी आजाद जो यूपी के लिए कांग्रेस के प्रभारी रहे. क्या मोइली की बातों को इस तरीके से समझा जाये कि गुलाम नबी आजाद की इस मुहिम के जरिये कोशिश है कि राहुल गांधी को कोई हार के लिए जिम्मेदार न माने और खुद उन पर भी इसकी आंच न आने पाये. वैसे मोइली के इशारों को समझें तो बहुत कुछ ऐसा ही लग भी रहा है.

तो क्या सच में राहुल गांधी के लिए ही कांग्रेस हार के बहाने ढूंढ रही है? और कांग्रेस की इस कवायद में EVM कारगर हथियार साबित हो रहा है?

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